इन दिनों सऊदी अरब की सरकार से आम आदमी खुश है, तो मुल्ला—मौलवी की भौंहें तन गई हैं। लोग इस बात से प्रसन्न हैं कि अब उन्हें कानफोड़ू नमाज की आवाज से मुक्ति मिल गई है, तो मुल्ला—मौलवी इस बात से बेहद नाराज हैं कि सरकार उनकी एक नहीं सुन रही है
गत कुछ बरसों में अनेक देशों में बहुत सारे लोगों ने कहा है कि उनके घर के पास स्थित मस्जिद से सुबह चार बजे आने वाली नमाज की आवाज से उनकी नींद टूट जाती है। इतनी—सी बात पर मुल्ला—मौलवी इस तरह भड़क जाते हैं कि मानो इस्लाम खतरे में आ गया हो। अब ऐसी आवाज उस सऊदी अरब से उठी है, जिसे कट्टर इस्लामी देश माना जाता है। इसके बावजूद वहां के कुछ लोगों ने सऊदी सरकार से शिकायत की थी कि नमाज की कानफोड़ू आवाज के कारण बच्चे सो नहीं पाते हैं। इसके बाद सऊदी अरब सरकार ने नमाज के दौरान माइक की आवाज कम करने को कह दिया है। इसके बाद तो वहां के मुल्ला—मौलवी सरकार के खिलाफ उतर गए हैं, वहीं आम लोग इसे बहुत अच्छा निर्णय मान रहे हैं। सऊदी अरब सरकार ने कहा है कि सऊदी अरब की मस्जिदों में अजान के दौरान लाउडस्पीकर की आवाज अधिकतम आवाज का एक तिहाई ही होनी चाहिए।
यही नहीं आदेश में यह भी कहा गया है कि अजान शुरू करने का संकेत देने के बाद लाउडस्पीकर को बंद कर देना चाहिए। सरकार ने यह भी कहा है कि पूरी नमाज को लाउडस्पीकर पर सुनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब इसका विरोध शुरू हुआ तो सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री अब्दुल लतीफ अलशेख ने सफाई दी है कि कई परिवारों ने शिकायत की थी कि नमाज के तेज आवाज में काफी देर तक प्रसारित होने के कारण उनके बच्चों की नींद प्रभावित होती है।
माना जा रहा है कि सऊदी अरब में यह बदलाव सार्वजनिक जीवन में मजहब की भूमिका को लेकर प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की ओर से किए जा रहे सुधार का हिस्सा है। मोहम्मद सलमान ने कई सामाजिक प्रतिबंधों में छूट दी है। जैसे वहां की महिलाओं को गाड़ी चलाने का भी अधिकार मिल गया है। इसी तरह कोई महिला अपने निकट रिश्तेदार के बिना भी अपने घर से निकल सकती है। पहले वहां की महिलाएं अपने निकट के रिश्तेदार के साथ ही घर से बाहर निकल सकती थीें।
-web desk
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