इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लि. (इफको) ने किसानों के लिए दुनिया का पहला नैनो यूरिया तरल विकसित किया है। कंपनी की ऑनलाइन-ऑफलाइन होने वाली 50वीं आमसभा बैठक में इसे पेश किया गया। इफको की विज्ञप्ति के अनुसार, कंपनी के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने कई वर्षों के शोध के बाद नैनो यूरिया लिक्विड को विकसित किया है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ योजना के तहत कलोल के नैनो बायोटेक्नोलॉजी शोध संस्थान में इस मालिकाना तकनीक को विकसित किया गया है। इस साल जून से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा।
इफको ने देशभर में किसानों के बीच बड़े पैमाने पर इसके प्रदर्शन और इसके उपयोग को लेकर प्रशिक्षण अभियान चलाने की योजना बनाई है। शुरुआत में यह इफको के ई-कॉमर्स मंच पर बिक्री के अलावा मुख्य रूप से किसानों के लिए सहकारी बिक्री और विपणन चैनल के माध्यम से उपलब्ध होगा।
कमाल की खूबियां
नैनो यूरिया लिक्विड पौधों के पोषण के लिए प्रभावी और कुशल पाया गया है। यह बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ उत्पादन भी बढ़ाने में सक्षम है। खास बात यह है कि भूमिगत जल की गुणवत्ता पर भी इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इफको का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर प्रभाव के साथ इससे ग्लोबल वार्मिंग में भी महत्वपूर्ण कमी आएगी। यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल से पर्यावरण प्रदूषण होता है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है और पौधों को रोग व कीट के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। इसके अलावा, फसल पकने में देरी और उत्पादन में भी कमी आ जाती है। लेकिन नैनो यूरिया तरल का उपयोग करके न केवल यूरिया के अत्यधिक प्रयोग से बचा जा सकेगा, बल्कि संतुलित पोषण कार्यक्रम को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके प्रयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहेगा, फसलें स्वस्थ होंगी और कीटों के प्रभाव से इनकी रक्षा भी होगी।
जेब पर भारी नहीं
इफको के अनुसार, नैनो यूरिया तरल किसानों की जेब पर भारी नहीं पड़ेगा और उनकी आय बढ़ाने में भी कारगर होगा। पारंपरिक यूरिया के कम से कम एक बैग की जगह 500 मिलीलीटर तरल यूरिया की बोतल पर्याप्त होगी। 500 मिलीलीटर की बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो पारंपरिक यूरिया के एक बैग में मौजूद नाइट्रोजन पोषक तत्व के प्रभाव के बराबर है। एक बोतल की कीमत 240 रुपये होगी, जो पारंपरिक यूरिया के एक बैग की कीमत से 10 प्रतिशत सस्ता है। इससे कृषि पर लागत कम होगी। साथ ही, आकार और वजन में छोटा होने के कारण इसे जेब में भी रखा जा सकेगा। इसके लिए गोदाम की जरूरत नहीं पड़ेगी और ढुलाई पर होने वाला खर्च भी बचेगा।
8 प्रतिशत बढ़ा उत्पादन
तरल यूरिया का कई स्थानों और कई फसलों पर प्रयोग करने के बाद इसे एफसीओ-1985 में शामिल किया गया है। एग्रीकल्चर रिसर्च सिस्टम (नार्स) में 21 आईसीएआर शोध संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और केवीके के 43 फसलों पर इसका प्रयोग किया गया। हाल ही में इसकी प्रभावशीलता को परखने के लिए देशभर के करीब 11,000 किसान क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) में 94 से अधिक फसलों पर इसका परीक्षण किया गया। इस दौरान उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इफको का कहना है कि नैनो यूरिया तरल, पारंपरिक यूरिया की जगह लेगा। इसके प्रयोग से पारंपरिक यूरिया के उपयोग में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी आएगी।
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