एक आदर्श हिंदू राज्य व्यवस्था स्थापित करने वाली मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। सनातन धर्म के न जाने कितने तीर्थों, मंदिरों को पुनर्जीवित, संरक्षित करने का श्रेय अहिल्याबाई को जाता है।
मराठा महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने मालवा क्षेत्र पर 30 साल शासन किया और एक आदर्श हिंदू राज्य व्यवस्था स्थापित की। पुष्कर से लेकर गया तक अयोध्या, मथुरा से लेकर केरल-तमिलनाड़ु तक महारानी आहिल्या बाई ने सैकड़ों मंदिरों-तीर्थों को पुनर्जीवित किया। राजसी वेश में भी सादगी की प्रतिमान, चेहरे पर दया और करुणा के साथ ही वीरता का तेज और हाथों में महादेव शिव का प्रतीक लिंग धारण किए महारानी अहिल्या बाई आज भारतीय जनमानस में एक देवी का दर्जा प्राप्त कर चुकी हैं। ऐसी मालवा की महारानी अहिल्या बाई की आज 294वीं जन्मतिथि है।
ससुर से ली राजकाज की शिक्षा
महारानी अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 को जामखेड (महाराष्ट्र) में हुआ था। ये वह समय था जब पेशवा बाजीराव के नेतृत्व में मराठा सेना उत्तर भारत में तेजी से मराठा साम्राज्य का प्रसार कर रही थी। जल्द ही मराठों ने मालवा क्षेत्र को मुगलों से मुक्त करा लिया और यहां पर पेशवा बाजीराव ने अपने एक सशक्त सेनापति मल्हावराव होल्कर को कमान सौंप दी। आगे चल कर इन्हीं मल्हावराव होल्कर के बेटे खांडेराव होल्कर से उनका बचपन में ही विवाह हो गया लेकिन जल्द ही उनके पति की एक युद्ध में मृत्यु हो गई। इसके बाद अहिल्याबाई अपने पति के चिता के साथ सती होना चाहती थीं लेकिन उनके ससुर मल्हावराव होल्कर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। बड़े होने पर महारानी अहिल्याबाई ने अपने ससुर मल्हावराव होल्कर से ही राजकाज की शिक्षा ली। पानीपत की तीसरी लड़ाई के कुछ समय बाद साल 1766 में मल्हावराव होल्कर का भी देहांत हो गया। इसके बाद अगले 30 साल तक महारानी अहिल्याबाई ने मालवा क्षेत्र का नेतृत्व किया और इस पूरे क्षेत्र को सुख,-संपदा और भक्ति-शक्ति से संपन्न एक राज्य बनाया।
आदर्श राज माना जाता है उनका शासन
महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करीब 30 साल 1767 से लेकर 1795 तक मालवा क्षेत्र पर शासन किया। उनके शासन को आदर्श राज के रूप में माना जाता है। पं. जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती एनी बेसेंट से लेकर कई देसी-विदेशी विद्वानों ने उनके शासन व्यवस्था की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। अगर माता जीजाबाई ने संघर्ष की बीज बोया और महारानी ताराबाई ने उस बीज को आंधियों और तूफानों से बचाया तो महारानी अहिल्याबाई होल्कर ही हैं जिन्होंने उस संघर्ष से प्राप्त होने वाली सुखद फल की अनुभूति हिन्दू समाज को कराई।
मृतप्राय हिंदू तीर्थों का कायाकल्प
मालवा में तो उन्होंने एक आदर्श हिन्दू राज स्थापित किया ही, अपनी राज्य की सीमाओं से परे जाकर भी उन्होंने मृतप्राय पड़े हिन्दू तीर्थों का पुनरोद्धार किया। आज जिन भी स्थानों को हिन्दू समाज तीर्थ के रूप में जानता है उसके 80 फीसदी निर्माण महारानी आहिल्या बाई होलकर ने कराया है। काशी विश्वनाथ, वैद्यनाथ, सोमनाथ, ॐकारेश्वर, भीमाशंकर, महाकालेश्वर जैसे ज्योतिर्लिंग या इन तीर्थों में दूसरे अन्य बड़े मंदिरों, कुंडों, धर्मशालाओं का निर्माण महारानी आहिल्या बाई ने कराया। पुष्कर से लेकर गया तक अयोध्या, मथुरा से लेकर केरल-तमिलनाड़ु तक महारानी आहिल्या बाई ने सैकड़ों मंदिरों-तीर्थों को पुनर्जीवित किया। काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, कांची, द्वारका, बद्रीनारायण, रामेश्वर और जगन्नाथपुरी का आज जो भी रूप हम देखते हैं, वह महारानी आहिल्या बाई की ही देन है।
महाकवि भूषण ने जो पंक्ति शिवाजी महाराज के लिए कही थी कि,” पीरा पयगम्बरा दिगम्बरा दिखाई देत, सिद्ध की सिधाई गई, रही बात रब की। शिवाजी न होतो तो सुन्नति होती सबकी” उसे सच्चे रूप में चरितार्थ करने वाली अहिल्या बाई होल्कर ही रही हैं। अपने 70 वर्ष के जीवन में चाहे महारानी अहिल्याबाई ने कितने भी दुख और संताप झेले लेकिन 30 साल के अपने शासन में एक शासक के तौर पर वो हमेशा जनता की सेवा में लगी रहीं। इसलिए आज भी कई राज्य उनके नाम पर लोक कल्याणकारी योजना चलाते हैं। सारे देश में उन्हें देवी के तौर पर माना जाता है।
-अविनाश
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