पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुल कर केंद्र सरकार के विरोध में आ गई हैं। तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाने का आदेश जारी किया था। लेकिन ममता बनर्जी केंद्र में अधिकारी की वापसी के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार इस कठिन घड़ी में वह अपने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं करेंगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपना फैसला वापस लेने का अनुरोध किया है। साथ ही, आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार का आदेश एकतरफा, कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व और पूरी तरह असंवैधानिक है।
अधिकारी के केंद्र में वापसी के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। पांच पन्नों के पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘‘मेरा आपसे आग्रह है कि व्यापक जनहित में अपना तथाकथित हालिया आदेश वापसे लें, इस पर पुनर्विचार करें और आदेश को रद्द कर दें। हमारी समझ के अनुसार, इस महत्वपूर्ण समय में पश्चिम बंगाल सरकार अपने मुख्य सचिव को न तो कार्यमुक्त कर सकती है और न ऐसा करने वाली है।’’ उन्होंने कहा है कि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद 1 जून से अगले तीन माह के लिए मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ाने का जो आदेश दिया था, उसे ही प्रभावी माना जाए। सेवा विस्तार देने के बाद मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के फैसले से वे स्तब्ध और हैरान हैं। उन्होंने आदेश को एकतरफा और असंवैधानिक करार देते हुए आरोप लगाया है कि यह ‘आदेश’ राज्य सरकार के साथ बिना किसी परामर्श और ‘अधिकारी की इच्छा के बिना’ भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियमों की पूर्व शर्तों को पूरा किए बिना दिया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 28 मई को पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र भेजा था। इसमें राज्य के मुख्य सचिव अलपन बद्योपाध्याय को 31 मई, 2021 तक कार्यमुक्त करने के लिए कहा गया था।
ममता कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हालिया आदेश का कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात से कोई संबंध नहीं है। यदि यही कारण है, तो यह दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण होगा और गलत प्राथमिकताओं की वेदी पर जनहित का त्याग करने जैसा होगा। इसलिए मैं पश्चिम बंगाल के लोगों की ओर से आपके विवेक और अच्छे ज्ञान से विनम्रतापूर्वक अपील करती हूं और आपसे नवीनतम ‘आदेश’ को रद्द करने का अनुरोध करती हूं।’’
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