इस महामारी में भी झारखंड में पुलिस से लेकर अपराधी तक लोगों को लूटने में लगे हैं। केरल से झारखंड के श्रमिकों को लेकर राज्य में आने वाली बसों के चालकों से भी वसूली की जा रही है। कई स्थानों पर सत्ता में शामिल झामुमो और कांग्रेस के नेताओं की शह पर कुछ अपराधी तत्व कीमती जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। रांची, जमशेदपुर, धनबाद आदि शहरों में इस तरह की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं झारखंड में भ्रष्टाचार बेलगाम होता जा रहा है। सत्तारूढ़ नेता, उसके चहेते, पुलिस और अपराधी तत्व आम लोगों को लूट रहे हैं। ये लोग राज्य में बाहर से आने वाले लोगों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों केरल से झारखंड के श्रमिकों को लेकर 17 बसें राज्य के विभिन्न हिस्सों में आईं। इन बसों के चालकों से पहले सीमा पर पुलिस ने उगाही की। प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड में प्रवेश कराने के लिए पुलिस ने बस चालकों से 2,000 रु. लिए। इसके बाद ये बसें राज्य के अंदर आईं, तो वैध पार्किंग पर खड़ी करने के नाम पर कुछ लोगों ने उनसे 5,000—10,000 रु. वसूले। इन सबसे परेशान बस चालकों ने केरल के मुख्य सचिव डॉ. बीपी जॉय से इसकी शिकायत की। जॉय ने झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर आग्रह किया कि झारखंड जा रही केरल की बसों की सुरक्षा की जाए और बस चालकों तथा अन्य कर्मियों की मदद की जाए। मामले की गंभीरता देखते हुए मुख्य सचिव के निर्देश पर परिवहन आयुक्त किरण कुमारी पासी ने गोड्डा और दुमका जिले के उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और जिला परिवहन पदाधिकारियों को अवैध वसूली रोकने के निर्देश दिए। इसके साथ ही केरल से आई बसों के लिए नि:शुल्क सुरक्षित पार्किंग और वाहन चालक और कर्मियों को आवश्यक सुविधाएं देने को कहा। उल्लेखनीय है कि झारखंड के हजारों श्रमिक केरल में काम करते हैं। इन दिनों वहां जारी लॉकडाउन के कारण इन श्रमिकों के सामने कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। इन सबको देखते हुए ये श्रमिक अपने घर लौटना चाहते थे। इसलिए वहां से इन दिनों बहुत सारी बसें झारखंड आ रही हैं। लोग कह रहे हैं कि केरल की जो बसें न्यूनतम किराया लेकर झारखंड के लोगों को उनके घर तक छोड़ रही हैं, उनसे पुलिस और अन्य लोगों द्वारा वसूली करना बहुत ही गंभीर मामला है। वहीं दूसरा मामला भी कम गंभीर नहीं है। इन दिनों राजधानी रांची सहित राज्य के अनेक शहरों में सत्ताधारी दलों के समर्थक कीमती जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। इसमें निजी और सरकारी दोनों तरह की जमीन शामिल है। —रितेश कश्यप
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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