गत गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए योगी सरकार की जमकर प्रशंसा की. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोविड प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार की तारीफ की.
हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की ओर से दी गई रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया. हालांकि हाईकोर्ट ने कोई आदेश पारित नहीं किया और सुनवाई के लिए जून के दूसरे सप्ताह में कोई तारीख तय करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार द्वारा बहराइच, श्रावस्ती , बिजनौर, बाराबंकी और जौनपुर ज़िले में उपलब्ध मेडिकल सुविधाओं के संबंध में दाखिल रिपोर्ट का कोर्ट ने संज्ञान लिया और कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में उठाये गए कुछ कदम प्रशंसा के योग्य हैं. कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख पर पांच और ज़िलों – भदोही, ग़ाज़ीपुर, बलिया , देवरिया और शामली- की मेडिकल सुविधाओं के बारे में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरटीपीसीआर, एंटीजन ,ट्रूनेट टेस्ट और सी टी स्कैन की दरें निर्धारित किये जाने की सरकार की पहल पर विशेष तौर पर संतुष्टि ज़ाहिर की. कुछ निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए अधिक पैसे वसूलने की शिकायतों का मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं संज्ञान लिया था और सरकार की ओर से सभी टेस्ट की दरें निर्धारित कर दी थीं. कोर्ट ने इसका सकारात्मक संज्ञान लिया कि सरकार की ओर से आरटीपीसीआर की दर पांच सौ रूपए से नौ सौ रूपए के बीच, एंटीजन टेस्ट दो सौ रूपये, ट्रूनेट टेस्ट एक हजार दो सौ रूपए और सी टी स्कैन दो हजार रूपए से ढाई हजार रूपए के बीच निर्धारित की गई हैं.
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