पूर्णिया प्रमंडल का किशनगंज जिला जमीन जिहाद का केंद्र बन गया है। इसके अलावा इस प्रमंडल में जहां भी हिंदू कम हैं, वहां जमीन जिहाद अनेक रूपों में सामने आ रहा है। सरकारी भूखंडों पर कब्जा करके वहां बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बसाया जा रहा है और गांव—घर के अंदर हिंदुओं की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उनकी हत्या की जा रही है, उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले किया जा रहा है
बिहार के किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया जिले में जमीन जिहाद चरम पर है। हाल ही में पूर्णिया के बायसी और किशनगंज के बहादुरगंज में जो घटनाएं हुई हैं, उनका मकसद है हिंदुओं में डर पैदा करना, ताकि वे अपने घर—द्वार छोड़कर और कहीं चले जाएं और उनकी जमीन—जायदाद पर मुसलमानों का कब्जा हो जाए। हालांकि प्रशासन ऐसा नहीं मानता है। इसलिए सेकुलर मीडिया भी इन जिलों की ऐसी खबरों को दबा देता है, लेकिन मुस्लिम—बहुल इलाकों में रहने वाले हिंदू साफ बताते हैं कि जमीन जिहाद चरम पर है। इसी जिहाद का परिणाम है कि किशनगंज जिले में मुसलमानों की आबादी केवल चार दशक में 20 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ी है। 1960 के दशक में किशनगंज जिले में हिंदू और मुसलमानों की जनसंख्या लगभग बाराबर थी। अब इस जिले में मुसलमानों की आबादी 70 प्रतिशत से अधिक है और हिंदू 30 प्रतिशत से भी नीचे जा चुके हैं। इसका मुख्य कारण है बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ। स्थानीय मुसलमान नेताओं की मदद से ये घुसपैठिए पूरे जिले में बस चुके हैं। ज्यादातर सरकारी भूखंडों पर कब्जा करके इन लोगों को बसाया गया है। लेकिन विडंबना देखिए कि जो नेता इन लोगों को इस इलाके में बसाते हैं, वे बराबर यह बयान देते रहते हैं कि किशनगंज ही नहीं, पूरे भारत में एक भी बांग्लादेशी घुसपैठिया नहीं है। और पटना में बैठे वोट बैंक के भूखे नेताओं के इशारे पर स्थानीय प्रशासन कह देता है कि घुसपैठ की बात सही नहीं है। पर यही प्रशासन यह नहीं बता पाता है कि आखिर मुस्लिम—बहुल इलाकों में हिंदुओं की जमीन, दुकान और मकान पर कब्जा क्यों किया जा रहा है! पर जो लोग इन घटनाओं को जमीन जिहाद मानते हैं, वे इसके लिए तर्क भी देते हैं और अनेक उदाहरण भी बताते हैं।
ऐसी ही एक घटना है किशनगंज के बहादुरगंज थानाक्षेत्र के अन्तर्गत देसिया टोली में 23 मई की रात को हुई लालचंद की हत्या। लालचंद की गर्दन पर चाकू से वार कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया गया। तुरंत उसे किशनगंज के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां स्थिति नहीं संभली। इसके बाद 24 मई को उसे सिलीगुड़ी ले जाया जा रहा था कि रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। लालचंद की पत्नी की शिकायत पर तीन नामजद समेत दो अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। सभी आरोपी देसिया टोली के ही रहने वाले हैं। मृतक के पिता झुबरा लाल ने दो हत्यारों की पहचान भी की है। उनके अनुसार घटना के पूर्व अपराधियों ने लालचंद की पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की, लेकिन इस मामले में प्रशासन अभी तक कागजी कर्रवाई के अलावा और कुछ कर नहीं पाया है।
झुबरा लाल के अनुसार सभी लोग रात में घर में सो रहे थे। इसी बीच देर रात को कुछ युवक घर में घुसकर लालचंद की पत्नी के साथ छेड़खानी करने लगे। पत्नी के शोर मचाने पर लालचंद की नींद टूट गई और उसने उनका विरोध किया। शोर सुनकर घर के बाकी लोग भी जग गए। लेकिन दबंग स्वभाव के मोहम्मद रजा और मोहम्मद रिजवान ने उन लोगों को देख लेने की धमकी दी और इस दौरान उन लोगों ने लालचंद पर जानलेवा हमला कर दिया।
लालचंद के पिता ने आरोप लगाया कि गांव के दबंग मुसलमान हिंदुओं को बराबर धमकी देते हैं, कि गांव छोड़कर और कहीं चले जाओ। उन्होंने यह भी कहा है कि गांव के हिंदुओं की जमीन और बहू—बेटियों पर मुसलमानों की नजर रहती है। इसलिए वे लोग आए दिन हिंदुओं में डर पैदा करने के लिए कुछ न कुछ हरकतें करते रहते हैं।
इससे पहले 19 मई की रात को पूर्णिया जिले के बायसी प्रखंड की खपड़ा पंचायत के मझवा महादलित टोले के हिंदुओं पर हमला किया गया। भीड़ ने मेवालाल हरिजन नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी, जबकि तीन साल का एक बच्चा गायब है। मुसलमानों की भीड़ ने 15 घरों को आग के हवाले कर दिया। इस मामले में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। यह मामला भी हिंदुओं से जमीन हड़पने का ही है।
एक ऐसी ही घटना 10 जून, 2018 की रात को करीब 12 बजे कटिहार जिले के आजमनगर थाना अंतर्गत हरनागर गांव में हुई थी। मुसलमानों की भीड़ ने चाय की दुकान चलाने वाले बज्जन दास, उनकी गर्भवती पत्नी मंजुला देवी और दो बच्चियों पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी। इसमें दो बच्चियां जिंदा जल कर मर गई थीं। बज्जन और मंजुला को महीनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था। घटना के संबंध में कहा गया था कि बज्जन की चाय दुकान सरकार जमीन पर थी और उस पर मुज्लिम नामक एक व्यक्ति की नजर थी। उसने कई बार उस जगह को खाली करने की धमकी दी थी, लेकिन बज्जन ने उसकी धमकी पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद मुज्लिम ने करीब 200 लोगों की भीड़ के साथ उस पर हमला कर दिया था।
एक दूसरी घटना 2015 की है। पूर्णिया जिले के मुस्लिम—बहुल अमोर प्रखंड के खारी हाट में उषारानी दास की 15 दुकानों पर आग लगा दी गई थी। बता दें कि उषारानी ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर इन दुकानों का निर्माण कराया था। इन्हीं दुकानों के किराए से उनके परिवार का भरण—पोषण होता था, लेकिन वहां के कुछ मुस्लिम गुंडों को उनकी दुकानें सुहा नहीं रही थीें। इसलिए उन्होंने उन पर कब्जा करने की नीयत से एक रात को उन दुकानों में आग लगा दी। जब विरोध किया गया तो सैकड़ों मुसलमानों की भीड़ ने हिंदुओं पर हमला कर दिया और उन दुकानों पर कब्जा कर लिया। मामला अदालत में चल रहा है, लेकिन उन दुकानों पर आज भी मुसलमानों का ही कब्जा है। उषारानी का परिवार तंग आ चुका है। अब शायद ही उन्हें न्याय मिलेगा।
लोग यह भी कह रहे हैं कि इस प्रमंडल में जब से हैदराबाद के ओवैसी की पार्टी एआईएमआई के विधायक जीते हैं, तब से जमीन जिहाद में तेजी आ गई है। लेकिन उनके विधायक इन चीजों को सिरे से नकार रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे सेकुलर नेता कहते हैं कि देश में घुसपैठ जैसी कोई बात नहीं है। लालू यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहते गुलाम सरवर तो साफ कहते थे, ”देश में घुसपैठ कहीं नहीं हुई है, यह सब तो भाजपा द्वारा फैलाई गई सिर्फ अफवाह है।”
अब गुलाम सरवर इस दुनिया में तो रहे नहीं, लेकिन उनकी इस बात को आगे बढ़ाने के लिए आज गुवाहाटी, हैदराबाद, मुम्बई, दिल्ली, पटना, किशनगंज, बेंगलूरु, श्रीनगर जैसे शहरों में बहुत लोग हैं। वोट बैंक के लिए इन लोगों ने बांग्लादेश की सीमा से लगे पूर्णिया मंडल में अनेक ‘छोटे—छोटे बांग्लादेशों’ का निर्माण कर दिया है। यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही घातक है।
– संजीव कुमार
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