इन दिनों देश में केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप को लेकर तरह—तरह की चर्चाएं हैं। वामपंथी, कांग्रेसी और अन्य सेकुलर वहां बने कुछ कानूनों को लेकर भाजपा और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी वहां के प्रशासक के माध्यम से लक्षद्वीप का ‘भगवाकरण’ कर रहे हैं
लक्षद्वीप आजादी के 75 वर्ष बाद भी विकास के मामले में बहुत ही पीछे रह गया है। इसको देखते हुए कुछ दिन पहले लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने कुछ नियम बनाए हैं। जैसे इनमें एक है नियम है कि दो से अधिक बच्चे वाले पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। प्रदेश में गोमांस पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ ही विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए शराब की बिक्री को अनुमति दी गई है। बता दें कि इस द्वीप में पर्यटन उद्योग से एक बड़े वर्ग को रोजगार मिल सकता है, लेकिन आज तक किसी भी प्रशासक ने इस पर ध्यान नहीं दिया। विदेशी खतरों को देखते हुए यह भी निर्णय लिया गया है कि समुद्र तट के किनारे अवैध भंडारण कोई नहीं करेगा। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि अधिकारियों से उचित अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी नाव किराए या पट्टे पर किसी को नहीं दे सकता है। प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए गुंडा एक्ट भी बनाया गया है। संवेदनशाील इलाकों में अवैध रूप रह रहे मछुआरों को भी वहां से हटा दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) ने विदेशी जहाजों की यहां अवैध आवाजाही और पुलिस द्वारा इन विदेशी जहाजों से निपटने में दिखाई जाने वाली ढिलाई को लेकर चिंता व्यक्त की है। यह भी कहा जा रहा है कि हाल के दिनों में लक्षद्वीप में आईएसआईएस के आतंकवादियों की गतिविधियां भी बढ़ी हैं। इन सबको देखते हुए ही प्रशासक ने वहां के नियमों में बदलाव किए हैं, लेकिन इसके विरोध में माकपा, कांग्रेस और एनसीपी जैसे दल खुलकर सामने आ गए हैं। राहुल गांधी और शशि थरूर जैसे नेता लोगों को भड़काने वाले ट्वीट कर रहे हैं। केरल के कुछ संगठनों ने तो प्रशासक को हटाने के लिए अभियान चला रखा है। इनका कहना है कि 96 प्रतिशत आबादी वाले इस प्रदेश में भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडों को थोपना चाहती है। लेकिन प्रशासक प्रफुल्ल पटेल इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। वे कहते हैं, ”नए नियमों से उन लोगों को परेशानी हो रही है, जिन लोगों ने इस प्रदेश को लूटा है, और जिन लोगों ने प्रदेश की आम जनता को भ्रम में रखकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी हैं। अब प्रदेश में विकास की गंगा बहाने के लिए काम किए जा रहे हैं और आने वाले समय में निश्चित रूप से इनका लाभ प्रदेश के लोगों को मिलेगा।”
बता दें कि प्रफुल्ल पटेल इन दिनों केवल लक्षद्वीप ही नहीं, बल्कि केंद्रशासित प्रदेश दमन-दीव और दादरा नगर हवेली के भी प्रशासक हैं। उन्हें अगस्त, 2016 में दमन-दीव का प्रशासक बनाया गया था। जनवरी, 2020 में दादरा व नगर हवेली की भी जिम्मेदारी उन्हें दी गई। इसके बाद दिसंबर, 2020 में पटेल को लक्षद्वीप का भी प्रशासक बनाया गया। पटेल गुजरात के रहने वाले हैं और वहां के गृहमंत्री भी रह चुके हैं।
लक्षद्वीप का यह है हाल
लगभग 70,000 आबादी वाले लक्षद्वीप का कुल क्षेत्रफल 32,500 वर्ग किलोमीटर है। लक्षद्वीप छोटे—बड़े 32 द्वीपों का समूह है, लेकिन केवल 10 द्वीपों में ही लोग रहते हैं। भारत के इस सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी कवरत्ती है और बाकी प्रमुख द्वीप अगाती और मिनिकॉय हैं। भारत का सबसे नजदीकी तटीय इलाका केरल का कोच्ची है, जहां से अगाती के लिए हवाई जहाज जाते हैं। अगाती से कवरत्ती के लिए हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध है। इस प्रदेश का वार्षिक बजट लगभग 1,200 करोड़ रु. का है। यहां कोई विधानसभा नहीं है। राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में प्रशासक ही यहां का शासन चलाता है। यहां से एक सांसद चुना जाता है। इस समय यहां के सांसद हैं एनसीपी के नेता मोहम्मद फैजल।
—वेब डेस्क
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