राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य और प्रख्यात लेखक एवं विचारक श्री सुरेश सोनी ने आज एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि यह समय एक-दूसरे की सहायता और सेवा करने का है
आज 26 मई को शांति, ज्ञान और अहिंसा के प्रतीक भगवान बुद्ध की 2,556वीं जयंती के पावन पर्व के अवसर पर एक वेबिनार आयोजित हुई। इसका विषय था-बुद्ध के विचार आज के संदर्भ में। इसके मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री सुरेश सोनी। मुख्य अतिथि थे अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री प्रेमा खांडू और विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे भारत में मंगोलिया के राजदूत गोचिंग गांबोल्ड। वेबिनार का आयोजन समरसता मंच, दिल्ली ने किया था।
वेबिनार को संबोधित करते हुए श्री सुरेश सोनी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने विश्व को मैत्री और करुणा का संदेश दिया है। वैश्विक महामारी के इस दौर में उनके इस संदेश की महत्ता और बढ़ जाती है। सभी मैत्री और करुणा के भाव के साथ एक-दूसरे का सहयोग करें, एक-दूसरे की सहयता और सेवा करें, तो दुनिया जल्दी ही इस महामारी से बाहर निकल सकती है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कोरोना पीड़ितों की सेवा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए, उनके ह्दय में मैत्री और करुणा के भाव थे, तभी उन लोगों ने अपनी चिंता न करते हुए पीड़ितों की सेवा के लिए अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर दिया था। आज इस भाव को और विस्तार देने की आवश्यकता है।
श्री सोनी ने कहा कि जब घना अंधेरा होता है, तो प्रकाश का महत्व अधिक समझ में आता है। आज जब महामारी के रूप में चारों ओर अंधेरा है, तब बुद्ध के उपदेश बहुत याद आते हैं। उन्होंने कहा कि समस्त समाज एक-दूसरे पर आश्रित है। विश्व में निरपेक्ष कुछ नहीं है, सब कुछ सापेक्ष है। यानी एक-दूसरे के सहयोग से ही हम आगे बढ़ सकते हैं और आज इस महमारी ने भी समस्त विश्व को यही सीख दी है। उन्होंने यह भी कहा कि आज विश्व में कट्टरवाद, रंगभेद, जातिगत द्वेष आदि के कारण कई तरह की समस्याएं हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए हमें बुद्ध की शरण में जाना होगा, उनके विचारों को अपनाना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि समाज में समरसता लाने के लिए और उसे बढ़ावा देने के लिए भी बुद्ध के उपदेशों को अपनाना होगा। श्री सोनी ने कहा कि बुद्ध के विचारों पर चलकर हम आज प्रकृति की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध कहा करते थे कि जीवन का नियमन होना चाहिए। यानी मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को कम करे, तो समाज सुखी होगा और प्रकृति भी सुरक्षित रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान बुद्ध ने विश्व की विविधताओं को बनाए रखने पर जोर दिया है और यह तभी होगा जब आज समानता के सूत्रों को खोजकर उनके आधार पर हम सब चलेंगे।
श्री प्रेमा खांडू ने कहा कि आज के माहौल में बुद्ध के विचारों की प्रसांगिकता और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कोई भी बुद्ध हो सकता है, यदि वह सही दिशा में चले। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने समस्त मानव को जोड़ने का कार्य किया था। आज यदि प्रत्येक व्यक्ति यह सोच ले कि वह विश्व से जुड़ा है, और दूसरे से जुड़ने में ही हित है, तो विश्व का कल्याण हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि समानता और समृद्धि के लिए भी बुद्ध के विचारों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया बुद्ध के विचारोें को अपना भी रही है, जो मानव जाति के लिए अच्छा संकेत है।
श्री गोंचिग गांबोल्ड ने हिंदी भाषा में वेबिनार को संबोधित कर सभी को चकित कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और मंगोलिया एक-दूसरे के साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से जुड़े हैं। उन्होेंने बताया कि लगभग 2000 वर्ष पहले बौद्ध मत भारत से मंगोलिया पहुंचा था। भारत भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि है। इसलिए मंगोलिया के लोग भी भारत को ज्ञान की भूमि मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और मंगोलिया मिलकर कई परियोजनाओं को पूरा करने का काम कर रहे हैं, इससे दोनों देशों के बीच के संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने मंगोलिया के छात्रों को भारत में पढ़ने के लिए भारत सरकार द्वारा दी जा रही छात्रवृत्ति हेतु भारत का धन्यवाद भी किया।
-वेब डेस्क
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