उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद जब मदरसों का लेखा – जोखा आनलाइन किया जाने लगा तो एक हजार से अधिक मदरसों ने अपना विवरण ही नहीं दिया. वर्ष 2018 में मदरसों का रिकार्ड ऑनलाइन करने पर खुलासा हुआ कि प्रति वर्ष 50 करोड़ रूपये का घोटाला किया जा रहा था. फिलहाल आजमगढ़ जनपद में तीन सौ मदरसों में घोटाला पकड़ा गया है. एसआईटी ने कुछ लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है.
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद जब अनुदान और नियुक्तियों का विवरण आनलाइन करने का कार्य शुरू हुआ तो उसके बाद से मदरसों में नित नए घोटाले सामने आने लगे. फिलहाल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में मदरसों का घोटाला प्रकाश में आया है. जनपद में संचालित लगभग 683 मदरसों में से तीन सौ मदरसों में घोटाला पकड़ा गया है. इन मदरसों में किसी में शिक्षक और कर्मचारी की नियुक्ति में धांधली पाई गई. कुछ मदरसे तो अस्तित्व में ही नहीं थे. केवल अनुदान राशि शासन से ली जा रही थी. जिन तीन सौ मदरसों में धांधली पाई गई. उसमें से सौ ऐसे मदरसे हैं जहां पर राज्य सरकार की तरफ से सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही थीं.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने प्रदेश के सभी मदरसों का विवरण ऑनलाइन करने का आदेश दिया था. इसके बाद मदरसों का लेखा – जोखा ऑनलाइन किया जाने लगा. इसी प्रक्रिया में आजमगढ़ जनपद के जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जब सभी 683 मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया तो उसमे से तीन सौ मदरसों में घोटाला प्रकाश में आया. सौ मदरसे तो ऐसे निकले जो केवल कागज़ पर संचालित हो रहे थे. धरातल पर उन मदरसों का कोई अस्तित्व ही नहीं था. घोटाला पकड़ में आने के बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इन मदरसों की मान्यता रद्द करने की संस्तुति की थी. इसके बाद इस घोटाले की जांच एसआईटी से कराई गई. एसआईटी ने 23 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है. जिसमें कई मदरसा संचालक, शिक्षक और कर्मचारी शामिल हैं. बाकी अन्य मदरसों की जांच चल रही है.
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में जब मदरसों का रिकॉर्ड डिजिटल किया जाने लगा तो उस समय पूरे प्रदेश में 1 हजार के करीब मदरसों ने अपना विवरण ही मुहैया नहीं कराया. जांच में मदरसों के ढाई हजार शिक्षक फर्जी निकले. इस प्रकार इन मदरसों के द्वारा प्रति वर्ष 50 करोड़ रूपये का घपला किया जा रहा था. मदरसों में पठन – पाठन का वातावरण बिल्कुल भी नहीं था. इन मदरसों से केवल सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाते थे. इन सार्टिफिकेट को लगाकर मुस्लिम लड़के विदेश चले जाते थे. यह अशिक्षित लड़के जब विदेश पहुंच जाते थे तो बहुत से देशों में अशिक्षित होने की वजह से इनका शोषण किया जाता था.
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