पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग मामले में राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद तृणमूल सरकार के दो मंत्रियों और दो अन्य नेताओं की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सत्ता की अराजकता को तमाशा खड़ा किया, उसने पिछले तमाम उदाहरणों को पीछे छोड़ दिया। न सिर्फ राज्यपाल भवन पर धक्कामुक्की, नारेबाजी और जबरन घुसने की कोशिश हुई बल्कि सीबीआई कार्यालय में पहुंच कर उसकी कार्यवाही में भी बाधा डाली गयी और स्वयं मुख्यमंत्री छह घंटे धरने पर बैठी रहीं।
पश्चिम-बंगाल की राजनीति में एक बार पुन: तूफान आ गया जब सीबीआई ममता सरकार के 2 मंत्रियों फिराद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा व कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को 17 मई को उनके आवास से नारदा स्टिंग केस में पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर कोलकाता के निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय ले आई। अपने दो मंत्रियों, एक विधायक व कोलकाता के पूर्व मेयर को सीबीआई को द्वारा गिरफ्तार किए जाते ही तृणमूल कांग्रेस व सरकार सकते में आ गई। अभी 5 मई 2021 को ही ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार प्रदेश बागडोर संभाली थी, इसके कुछ ही दिनों बाद ममता के चारों बड़े चहेतों को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। प्रदेश के राज्यपाल ने 7 मई को ही इन चारों अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के सीबीआई के अनुरोध पर स्वीकृति दे दी थी।
प्रदेश की मुख्यमंत्री इनकी गिरफ़्तारी से इतनी ज्यादा आगबबूला हो गयीं कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के 5000 हजार से ज्यादा उन्मादी समर्थकों के साथ निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय पहुँचकर सीबीआई की जांच में न सिर्फ हस्तक्षेप किया बल्कि सीबीआई अधिकारियों के ऊपर मानसिक दबाव बनाया ताकि अभियुक्तों को सीबीआई डर से छोड़ दे। तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने सीबीआई अधिकारियों को भला-बुरा तो कहा ही, कुछ समर्थकों के साथ सीबीआई कार्यालय में घुसकर धक्का-मुक्की किया और क्षति पहुंचाने का प्रयास किया। प्रदेश में तृणमूल कांगेस सरकार में ये दूसरा ऐसा मौका है जब प्रदेश की राजनीति में तूफान आया है। प्रदेश में हुए हजारों-हजारों करोड़ रुपये के सारधा व रोजवैली चिटफण्ड घोटाले ने राजनीति में तूफान ला दिया था जिसमें ममता सरकार के उस समय के मंत्री मदन मित्रा लंबे समय तक जेल में रहे और ममता से जुड़े अनेक लोगों को सीबीआई ने अभियुक्त बनाया था, उनको सजा हुई और वे लोग लंबे समय जेल में रहे। जब सीबीआई रोजवैली के प्रमुख जांचकर्ता आईपीएस राजीव कुमार, जिन पर रोजवैली चिटफण्ड जाँच के कागजात नष्ट करने का आरोप है, को फरवरी 2019 में गिरफ्तार करने उनके आवास पर गई तो मुख्यमंत्री ममता अपने आला अधिकारियों के साथ राजीव कुमार को बचाने के लिए उनके आवास में ही धरने में बैठ गयी थीं और उस समय भी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकतार्ओं ने सीबीआई अधिकारियों पर हमला किया था और उनको जानमाल के नुकसान की धमकी तक दी गयी थी। अभी नारदा स्टिंग केस के मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार किए जाने पर भी ममता निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय में 6 घंटे धरने में बैठी रही।
युद्ध स्थल बना निजाम पैलेस…
कोलकाता में केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों का ठिकाना निजाम पैलेस के बाहर ऐसी स्थिति देखने को मिली जैसे कोई महायुद्ध हो गया हो। चूंकि प्रदेश की मुख्यमंत्री अपने समर्थकों के साथ स्वयं सीबीआई कार्यालय पहुँच गयीं थी, एक तरफ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान तो दूसरी तरफ कोलकाता पुलिस बल के जवान व आला अधिकारियों का जमावड़ा तो वहीं 5000 से ज्यादा तृणमूल कांग्रेस के समर्थक। तृणमूल समर्थकों ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल पर चप्पल, जूते, पानी की बोतलें तो फेंकी ही, पत्थरों से भी हमला किया। एक तरफ केन्द्रीय पुलिस बल के जवान पोजीशन लिए हुए थे, दूसरी तरफ तृणमूल समर्थक मरने-मारने पर उतारू थे और तृणमूल कांग्रेस के झंडे लहरा रहे थे, नारेबाजी कर रहे थे जबकि प्रदेश में कोविड महामारी के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है।
राज्यपाल को कहा गया भला बुरा…
नारदा स्टिंग केस में सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी से क्रुद्ध तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने राज्यपाल को भला-बुरा तो कहा ही, उनके सरकारी आवास को भी घेर लिया, राजभवन के उत्तरी द्वार पर जाकर नारेबाजी की और राजभवन के भीतर जाने का भी प्रयास किया। राज्यपाल की सुरक्षा को तृणमूल कांग्रेस के समर्थको ने तार-तार कर दिया जिसके बाद राज्यपाल ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट पुलिस आयुक्त से मांगी। इतना ही नहीं, नारदा स्टिंग मामले में हुई गिरफ़्तारी से बौखलाए तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल सनकी व रक्तपिपासु हैं। इस सनकी राज्यपाल को अब एक मिनट भी यहां नहीं रुकना चाहिए। वह पागल कुत्ता की तरह घूम रहा है।
ममता को नहीं है भरोसा (केंद्र सरकार की संस्थाओं)…
प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भारत सरकार की संस्थाओं पर कोई भरोसा नहीं है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ बल्कि ममता बनर्जी व उनकी तृणमूल कांग्रेस के विधायक, मंत्री व सांसद ऐसा पहले भी कर चुके हैं। सारधा व रोजवाली चिटफण्ड घोटाला हो या नारदा स्टिंग केस हो, दोनों में ममता अभियुक्तों को बचाने के लिए अभियुक्तों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर साथ खड़ी रही हैं। नारदा स्टिंग केस में तो वह 6 घंटे निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय में धरने में बैठी रहीं। ऐसा कृत्य एक लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी मुख्यमंत्री का नहीं हो सकता। इतना ही नहीं, उन्होंने सीबीआई की कार्यवाही में दखल भी दिया और सीबीआई चार्जशीट दाखिल न कर पाए, ऐसा माहौल खड़ा कर दिया। इसलिए सीबीआई अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के दिन उनसे रोई पूछताछ नहीं कर पाई। इससे सीबीआई कोर्ट में कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाई और उसे कोर्ट से और समय मांगना पड़ा। हालाँकि 21 मई को कोलकाता उच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ नारदा स्टिंग आॅपरेशन केस में चारों अभियुक्तों को जमानत नहीं दे पाई और लॉकडाउन के कारण उनको घरों में ही नजरबंद कर दिया गया और मामले को न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया गया। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थित यह है कि यहाँ पर भारत सरकार को कोई संस्था स्वतंत्र व भयमुक्त होकर कार्य कर ही नहीं सकती है। नारदा केस मामले में प्रदेश के कानून मंत्री मलय घटक सिटी सेशन्स कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपस्थित थे, वहीं एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने सीबीआई कार्यालय में तृणमूल समर्थकों को उकसाया और सीबीआई की कार्यवाही बाधित की, वही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 6 घंटे सीबीआई कार्यालय के सामने धरना देकर यह बता दिया है वह कितनी अराजक हैं। ल्ल
क्या है नारद स्टिंग केस
चार वर्ष पहले 2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नारदा स्टिंग वीडियो ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा तूफान खड़ा कर दिया था। ये एक स्टिंग आॅपरेशन था जिसका वीडियो नारदा न्यूज पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने जारी किया था। इस वीडियो में तृणमूल कांग्रेस के 12 मंत्रियों, नेताओं और एक आईपीएस अधिकारी को कुछ लाभ के बदले रिश्वत लेते दिखाया गया था। ये वीडियो तब जारी हुआ था जब तृणमूल कांग्रेस पहले से ही कोरोड़ों रुपये के सारधा और रोजवैली चिटफण्ड घोटाले में फंसी थी।
कौन-कौन हैं अभियुक्त…
नारदा स्टिंग आॅपरेशन के फुटेज में तृणमूल कांग्रेस के 12 नेताओं और मंत्रियों को रुपये लेते दिखाया गया था। जिन नेताओं को कैमरे में दिखाया गया था, उनमें सुब्रत मुखर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्रा फिराद हकीम, सौगत राय, काकोली घोष दस्तीदार और प्रसून बनर्जी के नाम हैं। वहीं वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एस.एम.एच मिर्जा को भी रिश्वत लेते दिखाया गया था।
अदालत से सीबीआई को मिली जांच
नारदा स्टिंग मामले में पारदर्शी जांच की मांग करते हुए दायर याचिका के आधार पर मार्च 2017 में कोलकाता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को दे दिया था। सीबीआई को जरूरत पड़ने पर मामले में शामिल अभियुक्तों के खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश भी दिए गए थे और उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को बहाल रखा था।
डॉ. अम्बा शंकर बाजपेयी
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