पूर्वी दिल्ली के बाबरपुर में रहने वाले अनिमेष की हत्या महबूब और उसके साथी जिहादियों ने पीट—पीट कर कर दी, लेकिन किसी ने इसे ‘मॉब लिचिंग’ नहीं कहा।
वह केवल 17 साल का था, लेकिन दूसरे की मदद करने में सदैव तत्पर रहता था। वह दो बहनों का भाई और अपनी मां का एक मात्र सहारा था। पिता मनोज कुमार के निधन के बाद मजबूरीवश वह इस उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर एक फैक्ट्री में काम कर रहा था। लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं रहा। जिहादियों के एक झुंड ने उसकी हत्या बहुत ही क्रूरतापूर्वक कर दी। इसके बाद से ही उसकी मां जानकी देवी का पूरा संसार उजड़ गया है। रो—रोकर उनका बुरा हाल है। जो भी मिलता है, एक ही बात कहती है,”कोई है, जो मुझे इंसाफ दिला दे।”
उसका घरेलू नाम था बल्लू और कागजों में उसका नाम अनिमेष सिंह लिखा जाता था। वह अपनी मां के साथ पूर्वी दिल्ली के बाबरपुर के गली नंबर तीन में 797 नंबर मकान में किराए पर रहता था।
घटना 6 मई की शाम करीब साढ़े पांच बजे की है। कहा जा रहा है कि उस दिन महबूब ने उसे अपने घर बुलाया और अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। हत्या इसलिए की गई कि बल्लू कुछ दिनों से मदद के रूप में दिए गए पैसे महबूब से वापस मांग रहा था। प्राप्त जानकारी के अुनसार बल्लू और महबूब एक ही फैक्ट्री में काम करते थे। कुछ दिन पहले महबूब की बहन का निकाह तय हुआ तो उसने बल्लू से 5,000 रु. की मदद मांगी। बल्लू ने अपने पास न रहते हुए भी मदद का आश्वासन दिया और कुछ दिन बाद ही कहीं से 5,000 रु. का इंतजाम कर महबूब को दे दिया। निकाह के बाद भी महबूब ने बल्लू को पैसे नहीं दिए, तो उसने एक दिन पैसे की मांग कर दी। इतनी सी बात पर महबूब ने उस दोस्त की हत्या कर दी, जिसने किसी से उधारी लेकर भी उसकी मदद की थी।
अब जब हत्या की है, तो महबूब और उसके जिहादी साथियों को पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया है। लेकिन सेकुलर जमात ने बहुत चालाकी से सोशल मीडिया में यह बात फैला दी कि महबूब और उसके साथियों की करतूत से उसके समाज के लोग इतने गुस्से में आ गए कि उन्होंने ही उन लोगों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। इस बात को इस तरह फैलाई गई कि दूसरे पक्ष के लोगों ने भी इस पर भरोसा कर लिया और सोशल मीडिया में कहा जाने लगा कि अब इस घटना की चर्चा करना ठीक नहीं है। यह सब इसलिए किया गया कि लोग इसे ‘मॉब लिचिंग’ यानी भीड़ द्वारा पीट—पीट कर की गई हत्या न कहें और आश्चर्य तो यह है कि ऐसा ही हुआ। इस हत्या की चर्चा भी ठीक से नहीं हुई। वहीं, दूसरी ओर जब कोई मुसलमान की हत्या हो जाती है, तो उसे ‘मॉब लिचिंग’ करार देकर ऐसा हंगामा मचाया जाता है कि पूरी दुनिया में खबर फैल जाती है कि भारत में 2014 के बाद से मुसलमान बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं। जबकि सच यह है कि दिल्ली में ही 2016 से अब तक अनेक हिंदुओं की हत्या मुसलमानों की भीड़ ने की है। विकासपुरी में डॉ. पंकज नारंग, मंगोलपुरी में रिंकू शर्मा, बसईदारापुर में ध्रुव त्यागी, रघुबीर नगर मे अंकित सक्सेना, आदर्श नगर में राहुल राजपूत आदि। इन सबकी हत्या मुसलमानों की भीड़ ने की थी, लेकिन इनमें से किसी की भी हत्या हत्या को ‘मॉब लिचिंग’ नहीं माना गया।
हिंदू समाज में गजब की पाचनशक्ति है।
—वेब डेस्क
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