असम के नए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने स्पष्ट कहा रूप से कहा है कि जहां हिंदू रहते हैं, वहां गोहत्या नहीं होनी चाहिए। उनके इस बयान का विरोध बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ ने किया है।
असम में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। इस बार भाजपा ने सर्वानंद सोनोवाल की जगह अपने वरिष्ठ नेता हिमंत बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाया है। हिमंत जिस बात के लिए जाने जाते हैं, उसी के अनुसार उन्होंने काम भी करना शुरू कर दिया है। 24 मई को उन्होंने असम विधानसभा में राज्यपाल जगदीश मुख्री के अभिभाषण के बाद जो कहा, उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। उन्होंने कहा, ”जहां गोवंश की पूजा होती है और जहां हिंदू रहते हैं, वहां गोहत्या पर रोक होनी चाहिए।” सरमा ने यह भी कहा, ”इसकी कोई आवश्यकता नहीं है कि गुवाहाटी के फैंसी बाजार, गांधी बस्ती अथवा शांतिपुर में ‘होटल मदीना’ हो, क्योंकि इन जगहों पर हिंदू रहते हैं।” उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि लोग गोमांस खाने के लिए गोहत्या बंद कर दें।
इससे पहले 15वीं असम विधानसभा के पहले सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने कहा था, ”भारत के लोग गाय का सम्मान और पूजा करते हैं। इसलिए राज्य सरकार गोरक्षा के लिए अगले सत्र में नया विधेयक ला रही है।”
इस विधेयक के पारित होने के बाद असम से गोवंश को और किसी राज्य में नहीं ले जाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि असम के रास्ते बड़ी संख्या में तस्करी करके गोवंश को बांग्लादेश ले जाया जाता है। एक रपट के अनुसार वहां के ज्यादातर कत्लखाने भारत से ले गए पशुओं पर ही निर्भर हैं। बांग्लादेश बरसों से कई देशों को मांस का निर्यात करता है। इस कारण वहां अब पशुओं की बड़ी कम हो रही है। इसलिए तस्कर जान पर खेलकर भी भारत से पशु अवैध रूप से बांग्लादेश ले जाते हैं और मोटी रकम कमाते हैं।
असम सरकार द्वारा पशुओं के परिवहन पर रोक लगा देने के बाद पशुओं की तस्करी करना आसान नहीं रह जाएगा। इसलिए इस कानून का सर्वत्र स्वागत हो रहा है।
—वेब डेस्क
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