प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की छवि पर दाग लगाने के लिए कांग्रेस किस हद तक जा सकती है, और इसके लिए वह कितनी बेचैन है, इसके उदाहरण 2014 से ही मिलते जा रहे हैं। परंतु कोविड-19 के संदर्भ में कांग्रेस के टूलकिट का खुलासा होने से पता चला कि कांग्रेस गिरने की हद से भी नीचे गिर चुकी है। इस टूलकिट के जरिये कांग्रेस ने देश के सम्मान और मानवता, दोनों को दांव पर लगा दिया
टूलकिट मामले में बुरी तरह फंस चुकी कांग्रेस ने निर्लज्जता की रणनीति पर काम शुरू किया है। वैसे भी पिछले सालों में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की युद्धमंत्रणा कुल इतनी ही रही है कि झूठ पकड़ा जाए, तो और जोर-जोर से झूठ को दोहराए जाओ। सिपहसालार अमल में जुट गए हैं। 21 मई को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कमलनाथ ने कोरोना पर बोलते हुए ‘इंडियन कोरोना’ शब्द का उपयोग किया। जानबूझकर किया, अनेक बार दोहराया। यही तो उस बहुचर्चित टूलकिट में भी लिखा गया था कि कोरोना महामारी के लिए मोदी को जिम्मेदार बतलाना है, और कोरोना वायरस को इंडियन वायरस घोषित करना है। जिन लोगों के मुंह से कोरोना के लिए कभी चीनी वायरस शब्द नहीं निकला, जबकि चीन ने ही दुनिया को ये घातक बीमारी दी है, और लगातार जानकारी और वैज्ञानिक खुलासे सामने आ रहे हैं कि यह वायरस चीन की जैविक हथियार प्रयोगशाला में बनाया गया, उन लोगों ने सिर्फ सियासी फायदे के लिए कोरोना बीमारी के साथ देश का नाम चिपका दिया।
लंबे समय से राहुल गाँधी के करीबी लोगों में वामपंथियों की भरमार है। मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल को बंधक बनाकर रखने वाली सोनिया गांधी के छाया मंत्रिमंडल (किचिन कैबिनेट) नेशनल एडवाइजरी काउंसिल में लाल सलाम वालों का बोलबाला था। कांग्रेस ने तभी से सोचने का काम नक्सली तत्वों को ठेके पर दे रखा है। वामपंथी सलाहकार ही आजकल कांगेस की रणनीति बनाते हैं, खांटी नक्सली-माओवादी अंदाज में। इसके तहत देश के संस्थानों, संस्कृति, सेना और सरकार की साख पर दाग लगाने की जी-तोड़ कोशिशें की जाती हैं। सेना-वायुसेना, कैग, चुनाव आयोग, खुफिया एजेंसियां… कांग्रेस और उसके युवराज द्वारा उछाले गए दावे और आरोप गिनते जाइए, सब कुछ साफ होता जाता है। क्या ये महज संयोग है कि जब कभी शहरी नक्सलियों पर कार्रवाई होती है, कांग्रेस उस कार्रवाई के खिलाफ बोलती है? क्या ये सिर्फ इत्तेफाक है, कि ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा-अल्लाह’ और ‘भारत की बबार्दी तक, जंग रहेगी, जंग रहेगी…’ का हुड़दंग करने वालों के समर्थन में राहुल गांधी जेएनयू पहुंच जाते हैं? कांग्रेस और विपक्ष समर्थित किसान आंदोलन में खालिस्तान के नारे, गणतंत्र दिवस और तिरंगे का अपमान, शाहीनबाग में होने वाली देशविरोधी, हिंदू द्वेषी और असम को काटकर अलग कर देने जैसी बातों का मौन समर्थन क्या सिर्फ संयोग है? 21 मई को कमलनाथ का एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें कमलनाथ कांग्रेस नेताओं को कह रहे हैं कि ‘महामारी मौका है, आग लगा दो।।’ कमलनाथ किसान आंदोलन को हवा देने की बात कह रहे थे। महामारी में ‘मौका’ ढूंढ रहे थे। आखिरकार किसान आंदोलन के नाम पर प्रियंका और राहुल खुलेआम यूं ही झूठ नहीं बोलते रहे हैं कि नए कृषि कानूनों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य और अनाज मंडियां बंद कर दी जाएंगी।
गिरने की कोई सीमा नहीं…
प्रधानमन्त्री मोदी की छवि पर दाग लगाने के लिए कांग्रेस किस हद तक जा सकती है, और इसके लिए कितनी बेचैन है, ये सभी ने देखा है। 2014 से आज की तारीख तक नजर डालें। भारत को दुनिया में असहिष्णु बतलाना, अवार्ड वापसी का प्रहसन, लिंचिस्तान का कीचड़, राफेल खरीद में घोटाले की अफवाह, सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगना, कश्मीर को कैदखाना बताना, राहुल के उस्ताद मणिशंकर अय्यर का चुनाव के समय पाकिस्तान जाकर कहना कि ‘आप मोदी सरकार को हटाने में हमारी मदद कीजिए…’, सीएए कानून पर झूठ फैलाना, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की कहानियां गढ़ना और चीन के खिलाफ भारतीय जवानों के शौर्य को नकारकर ये कहना कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है। अपने पास-पड़ोस में, या सम्बन्धियों-परिचितों के नाते, या यूं ही आते-जाते, सेना के जवानों से जिनकी चर्चा निकली होगी, वो लोग जानते होंगे कि इस बयान से सेना के जवानों में कितना आक्रोश था। ‘हमारे होते चीन कैसे देश की जमीन दबा लेगा?।’ ये वाक्य अनेक सैनिकों से सुना जा सकता है। सच तो ये है कि गलवान में चीन को तगड़ा सबक सिखाया गया। भारत की धाक जमी। लेकिन कांग्रेस ने गौरव के इन क्षणों को भी कालिख लगाने में कसर नहीं छोड़ी। सर्जिकल स्ट्राइक पर बयानबाजी के चलते राहुल और विपक्ष के कई नेता पाकिस्तान में हीरो बन गए थे। और अब सामने आई है, ये टूलकिट, जिसमें सत्ता पाने को बेचैन लोगों ने देश के सम्मान और मानवता, दोनों को दाँव पर लगा दिया है।
साजिशों का टूलकिट
जिन लोगों के लिए ये टूलकिट शब्द नया है, उनकी जानकारी के लिए, टूलकिट एक ऐसा डिजिटल दस्तावेज होता है, जिसमें किसी कार्य को कैसे करना है, उसके दिशा-निर्देश लिखे होते हैं। इस टूलकिट में कांग्रेस के आईटी सेल के लोगों, उनके करीबी पत्रकारों और नेताओं को दिशानिर्देश दिए गए थे कि कैसे कोरोना महामारी के मौके का फायदा उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार का अभियान छेड़ना है।
राहुल गाँधी की (भारतीय कानून के अनुसार) अवैध ब्रिटिश नागरिकता की चर्चा जिस व्यापारिक साझेदारी के चलते चली है, राहुल का वह व्यापारिक साझेदार है अमेरिकी नागरिक अलरिख मैकनाइट। अलरिख की पत्नी सोनिया फैलेरिओ, कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद एडूअर्डो फैलेरिओ की बेटी हैं। सोनिया फैलेरिओ ने ट्वीट किया, ‘मैंने इस तथाकथित इंडियन वायरस (वैरिएंट) का नाम मोदी वैरिएंट रखा है।’ मीडिया में बैठे कई लोगों ने भी इसी टूलकिट के नक़्शे कदम पर चलते हुए इंडियन स्ट्रेन या इंडियन वैरिएंट जुमले का इस्तेमाल शुरू कर दिया। हम लोगों ने देखा है कि अरविन्द केजरीवाल द्वारा सिंगापुर वैरिएंट शब्द का इस्तेमाल करने पर सिंगापुर सरकार की ओर से कैसी कड़ी प्रतिक्रिया आई, क्योंकि ऐसे शब्द किसी देश की साख, देश के व्यापार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम ने कोई सबक नहीं सीखा। कांग्रेस के नेता बिना आधार भारतीय वायरस और मोदी वायरस शब्द को फैलाने में लगे रहे, क्योंकि टूलकिट में लिखा था कि ऐसा करना है।
‘अस्पताओं में बेड रोककर रख लो…’
टूलकिट यहीं नहीं रुकता। टूलकिट कहता है कि शहरों में कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी जान-पहचान के अस्पतालों में प्रति अस्पताल 20-25 बेड रोककर रख लें, और ये बिस्तर केवल उन्हीं कोरोना मरीजों को उपलब्ध करवाएं जो यूथ कांग्रेस के नेताओं या कांग्रेस के अन्य नेताओं से सोशल मीडिया के माध्यम से मदद माँगें। फिर ऐसे लोगों को अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध करवाकर उसका सोशल मीडिया में खूब प्रचार-प्रसार करवाएं। ‘पत्रकारों’ के द्वारा ऐसी खबरों को ट्वीट करवाया जाए। क्या इसी टूलकिट षड्यंत्र के चलते राहुल गाँधी ने 28 अप्रैल को कांग्रेस कार्यकतार्ओं से ‘कोरोना स्वयंसेवक’ बनने की अपील की थी? आज जब लोग कोरोना मरीजों को भर्ती करवाने के लिए अस्पतालों के बाहर खड़े गिड़गिड़ा रहे हैं, लोग मर रहे हैं, तब इस तरह के गिद्धभोज की योजना बनाना पतन की पराकाष्ठा है। गट्ठा वोट बैंक की राजनीति कांग्रेस से कहीं नहीं छूटती, और इस चक्कर में कांग्रेस हिंदू विरोध के दलदल में दिन-प्रतिदिन धंसती जाती है। ये टूलकिट कहता है कि हाल ही में संपन्न हुए कुम्भ को कोरोना का ‘सुपर स्प्रेडर’ बताकर प्रचारित करने की आवश्यकता है लेकिन ईद के आयोजनों के जिक्र से बचाकर रहना है। उस बारे में न बात करना है, न जवाब देना है।
पोल खुलती जा रही है…
कोरोना को लेकर लोगों में भ्रम फैलाने की योजना पर कांग्रेस लगातार काम कर रही है। पहले वैक्सीन पर सवाल उठाया। फिर आॅक्सीजन की कमी का ढोल पीटा गया। अब जब देश के हर जिले में आॅक्सीजन प्लांट लग रहे हैं, तो राहुल गांधी वेंटिलेटरों पर असत्य भाषण कर रहे हैं। एक और बात गौर करने वाली है कि केंद्र के आग्रह पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश के सभी राज्यों का आॅक्सीजन आॅडिट करवाने का आदेश दिए जाते ही आॅक्सीजन का शोर एकाएक शांत हो गया। मई 2020 में जब देश में कुल उपलब्ध वेंटिलेटरों का अंदाज लगाया गया तो वो संख्या 40 हजार के आसपास बतलाई गई थी। इनमे से भी अधिकांश पहले से उपयोग में थे। और अब कोरोना मरीजों के आगामी बोझ से निपटने की चुनौती थी।
देश ने प्रयास किए, रेलवे ने सस्ता वेंटिलेटर बनाया और पीएम केयर ने 60 हजार नए वेंटिलेटर देश को उपलब्ध करवा दिए। तब कांग्रेस शासित पंजाब सरकार की ओर से बयान आया कि पीएम केयर के वेंटिलेटर तो काम ही नहीं करते। राहुल गाँधी ने पीएम केयर को मोदी केयर बतलाते हुए इस बयान को हवा देनी शुरू कर दी। अब जब सारे देश में वेंटिलेटर काम कर रहे हैं तो अकेले पंजाब में क्या समस्या हो सकती थी। जब जांच की गई तो पता चला कि वेंटिलेटर तो पंजाब में भी ठीक काम कर रहे हैं, और जिन वेंटिलेटरों को खराब बतलाया जा रहा था, उनके उन पुर्जों को बदला ही नहीं गया था जिनको एक निश्चित अवधि के बाद बदला जाना आवश्यक होता है।
जब 2020 में पहली बार लॉकडाउन लगा, तब राहुल गांधी उसकी मुखालफत कर रहे थे। मीडिया का एक वर्ग राहुल के सुर में सुर मिलाकर लॉकडाउन को कोरोना से ज्यादा खतरनाक और आपराधिक कृत्य बतलाने में लगा था। ‘लॉकडाउन कोरोना पर नहीं, गरीबों पर हमला है।’ ये कांग्रेस के युवराज का बयान था। अब राहुल ने पलटी मार ली है, और राहुल गांधी कहते फिर रहे हैं कि पूर्ण लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय है। राहुल के तर्कों और उपायों का स्तर देख रहे हैं? जब कोरोना के टेस्ट करने की किट नहीं थी, पीपीई किट नहीं थी, पर्याप्त वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं थे, कोरोना वैक्सीन दूर की कौड़ी थी, अचानक आए कोरोना को लेकर स्वास्थ्य ढाँचा तैयार नहीं था तब लॉकडाउन लगाना जुर्म था, और अब जब वैक्सीन लग रही है, देश साल भर में अपने वेंटिलेटरों की संख्या को ढाई गुना कर चुका है, पीपीई किट के अभाव से निर्यात की स्थिति में आ गया है। दिसंबर तक वयस्क आबादी के पूर्ण वैक्सीनेशन की दिशा में बढ़ चला है, तब ‘पूर्ण लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय’ है।
गले की फांस बन गई टूलकिट
टूलकिट कांग्रेस के गले की फांस बन गई है। कांग्रेस के नेता मुट्ठियां भींच-भींचकर अदालत की धमकी दे रहे थे। पवन खेड़ा समाचार चैनलों पर सीनाजोरी कर रहे थे। टूलकिट को काल्पनिक बतला रहे थे। ‘क्या हम सवाल भी न पूछें…’ जैसे जुमले उछाल रहे थे। इसे भाजपा का षडयंत्र कह रहे थे। वो तो दिल्ली पुलिस के भी पास पहुंच गए कि हम कुछ भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज ‘करवाने वाले हैं।’ फिर अचानक पूरा चिट्ठा खुल गया। इस टूलकिट को जारी किया था सौम्या वर्मा नामक रसूखदार परिवार की एक लडकी ने, जो कांग्रेस के रिसर्च विंग में काम करती है। सौम्या वर्मा उस टीम का हिस्सा थी जिसने गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र तैयार किया था। इस जानकारी को स्वयं सौम्या वर्मा ने ही सोशल मीडिया (लिंक्डिन और ट्विटर) पर साझा कर रखा था। द प्रिंट नामक न्यूज पोर्टल पर एक लेख भी 5 अप्रैल 2019 को प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक था, ‘मिलिए उन स्त्रियों और पुरुषों से, जिन्होंने कांग्रेस का लोकसभा घोषणापत्र तैयार किया’ (मीट द मेन एंड वीमेन हू ड्राफ्टेड कांग्रेस मेनिफेस्टो फॉर लोकसभा इलेक्शन। लेख के साथ एक फोटो भी प्रकाशित किया गया है जिसमें सौम्या समूह छायाचित्र में राहुल गाँधी के ठीक पीछे मुस्कुराती खड़ी हैं।
अब जगजाहिर हो चुका है कि जेएनयू से निकली सौम्या, कांग्रेस नेता और कांग्रेस के रिसर्च विंग के प्रमुख सदानंद गौड़ा के कार्यालय में काम करती है। उसके राहुल गांधी, गौड़ा जैसे नेताओं के साथ अनेक फोटो मौजूद हैं। उसने खुद लिख रखा था ‘आॅफिस आॅफ प्रोफेसर एम.वी. गौड़ा, मेंबर आॅफ पार्लियामेंट।’ आज के समय में, आॅनलाइन जालसाजी को छिपाना बेहद कठिन है। वो भी एक टूलकिट, जिसे कांग्रेस के सूरमाओं ने आॅनलाइन बांटा है, वो कैसे छिप सकती है। डिजिटल फुटप्रिंट छूट ही जाते हैं। लेकिन सदानंद गौड़ा खुद ‘ऐसा कुछ नहीं हुआ है’ कहते घूम रहे थे। पर सौम्या वर्मा रंगे हाथों पकड़ी गईं। साथ में धरी गई कांग्रेस। 6 पृष्ठों का ये टूलकिट माइक्रोसॉफ्ट वर्ड नामक प्रचलित सॉफ्टवेयर में लिखा गया था। इसको नाम दिया गया था ‘सेंट्रल विस्टा वैनिटी प्रोजेक्ट एआईसीसी रिसर्च। यह टूलकिट व्हाट्सअप के माध्यम से संबंधित लोगों को भेजा गया। जब राजफाश हो गया, तो सौम्या ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिया, लेकिन घड़ा फूट चुका था।
कांग्रेस को समझ लेना चाहिए कि सत्ता की तड़प में जो कृत्य उसने किए हैं, करती जा रही है, वो लोगों की याद में स्थायी रूप से बसता जा रहा है। तिस पर सूचना और सोशल मीडिया के इस दौर में काठ की हांडी एक बार भी नहीं चढ़ पाती। कांग्रेस की दिक्कत ये है कि वो सूटबूट की सरकार चिल्लाती है, और जनता प्रधानमंत्री आवास योजना पर वोट दे आती है। वो अम्बानी-अदानी की टेक लगाती है, और जनता उज्ज्वला योजना पर मुहर लगाती है। वोट बैंक की राजनीति पर अब राष्ट्रवाद हावी हो गया है। आतंकवाद से त्रस्त रहा देश अब सर्जिकल स्ट्राइक से गौरवान्वित है।
देश चीन के राजदूत से चोरी-छिपे मिलने वाले नेताओं को नकार कर गलवान के शौर्य का अभिनंदन कर रहा है। उधर हर तरफ से हताश पुराने सत्ताधीश दिनझ्रप्रतिदिन पतन के नए-नए अध्याय लिख रहे हैं। इसी आपाधापी में ‘इन्डियन वायरस’ पटकथा ‘टूलकिट वायरस’ पर जा पहुंची है। इसे ही कर्म का सिद्धांत कहते हैं।
प्रशांत बाजपेई
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