केवल ये कह देना कि चीन के वुहान से शुरू कोविड-19 के विश्वव्यापी संक्रमण की त्रासदी को विश्व रोक नहीं पाया, इस गंभीर विषय के प्रति लापरवाही होगी। चीन में कोरोना पर बहुल जल्द और स्थाई नियंत्रण, कोरोना काल के दौरान चीनी अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार, इस दौरान पड़ोसी देशों के साथ चीन की ओर से तनातनी की पहल किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं। इस पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
11 मई 2021 तक पूरे विश्व में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के 15 करोड़ 86 लाख 51 हजार 6 सौ 38 मामले हो चुके हैं। इसमें से 32 लाख 99 हजार 7 सौ 64 की मृत्यु हो चुकी है। फिर भी कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर थमा नहीं है। भारत में ही 12 मई तक 37 लाख 4 हजार 99 मामले आ चुके हैं और 2 लाख 54 हजार 1 सौ 97 लोगों की जान जा चुकी है।
ये तो थे आंकड़े, लेकिन इंसानी मौतों को आंकड़ों में समेटना बेहद क्रूर है। केवल ये कह देना कि चीन के वुहान प्रांत से शुरू हुआ कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण पूरे विश्व में फैल गया और विश्व इस त्रासदी को रोक नहीं पाया, इस गंभीर विषय के प्रति लापरवाही होगी। चीन में कोरोना वायरस (कोविड-19) कैसे शुरू हुआ? ये विश्व के बाकी देशों तक इतने व्यापक स्तर पर कैसे फैला? चीन इसे रोकने में कैसे कामयाब हुआ? क्या कोरोना वायरस (कोविड-19) चीन की एक प्रयोगशाला में बनाया गया वायरस है? और क्या चीन ने इसे जानबूझ कर विश्व में फैलाया? क्या कोरोना वायरस चीन की जैविक युद्ध की तैयारी तो नहीं है? ये ऐसे सवाल हैं जिनका एक साल से भी अधिक समय में कोई पुख्ता जवाब नहीं आया है।
चीन की निम्न संक्रमण दर चौंकाने वाली
अगर हम गौर करें तो 3 जनवरी 2020 से 11 मई 2021 तक चीन में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के केवल 1 लाख 3 हजार 8 सौ 42 मामले हुए और 4 हजार 8 सौ 58 लोगों की मौत हुई। चीन, जहां कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण शुरू हुआ और पूरे विश्व में फैला, के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। भारत से अधिक जनसंख्या वाले देश में, जहां लोगों की एक प्रांत से दूसरे प्रांत में आवाजाही बेहद ज्यादा है, वहां आज जीवन सामान्य हो गया है। चीन में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण की दर बेहद कम है और वुहान जहां से इस संक्रमण की शुरूआत हुई, वहां पिछले एक साल से संक्रमण का कोई मामला नहीं आया है। चीन में शापिंग मॉल खुले हैं और वहां लोगों की भीड़ दिखाई देती है। रेस्त्रां भरे हुए हैं, लोग सड़कों और बाजारों में सामान्य रूप से संक्रमण के पहले की स्थिति में घूमते-फिरते और मस्ती करते दिखाई दे रहे हैं। मई दिवस की छुट्टियों में चीन में होटलों की बुकिंग में बेहद इजाफा हुआ। हवाई जहाज की यात्रा टिक्टों में पिछले साल के मुकाबले 23 फीसदी, होटल बुकिंग में 43 फीसदी, पर्यटन स्थलों के टिकट खरीद में 114 फीसदी और कारों को किराये पर लेने में 126 फीसदी की बढ़त रही।
विश्व को नुकसान, चीन को लाभ
जहां कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण ने विश्व अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं चीन की अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व तेजी दिखाई दे रही है। अनुमान है कि विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को 2020 में उनके कुल सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 फीसदी का नुकसान होगा। अगर इसे सरल भाषा में समझें तो विश्व का सकल घरेलू उत्पाद 2019 में 870.99 खरब अमेरिकी डॉलर था तो इसके मुताबिक 4.5 फीसदी का नुकसान 30.94 खरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हुआ। ये नुकसान उतना है जितना विश्वव्यापी आर्थिक मंदी और दो विश्वयुद्धों के दौरान हुआ था। ये आंकड़ा तब है जब विश्व कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से 2021 की शुरुआत में उबर जाता लेकिन संक्रमण जारी है और नुकसान और बड़ा होगा।
अगर इस दौरान चीन की अर्थव्यवस्था की ओर देखें तो चीनी अर्थव्यवस्था 2020 की पहली तिमाही के मुकाबले 2021 की पहली तिमाही में 18.3 फीसदी की दर से बढ़ी है। ये 1992 से अब तक चीनी अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी बढ़त है। चीन के औद्योगिक उत्पादन में 14.1 फीसदी और खुदरा बिक्री में 34.2 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है। जब्कि 2020 की पहली तिमाही में जब चीन में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण शुरू हुआ था, चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से पहले चीनी अर्थव्यवस्था की गति धीमी होती जा रही थी लेकिन विश्व भर में फैले संक्रमण के बाद ऐसा लगा जैसे चीनी अर्थव्यवस्था को पंख मिल गए हों। 2020 में बडी अर्थव्यवस्थाओं में केवल चीनी अर्थव्यवस्था ही ऐसी थी जो 2.3 फीसदी की दर से बढ़ी।
अन्य देशों से चीन का आक्रामक रवैया
साफ है कि कुछ तो है जो सही नहीं है। चीन का कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के दौरान अपने पड़ोसियों और अन्य देशों के साथ आक्रामक रवैया। भारत के साथ एलएसी पर तनातनी और युद्ध जैसी तैयारी और छोटे देशों को धमकाने जैसी हरकतें एक गहरी साजिÞश जैसी दिखाई देती हैं। हाल में चीन की बांग्लादेश को चतुर्भुज सुरक्षा संवाद यानी (क्वाड) में शामिल न होने के लिए दी गई धमकी, फिलीपींस के नियंत्रण वाले जुलिना फेलिप रीफ को चीनी नौकाओं द्वारा घेरना और ताइवान को लगातार धमकाने के अलावा पीपुल्स लिबरेशन आॅर्मी (पीएलए) के युद्धक विमानों के ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन (एडीआईजेड) में अपना मिशन तेज करने के साथ ही चीन ने पिछले कुछ सालों में दक्षिण चीन सागर में कई आर्टिफिशियल द्वीपों का निर्माण किया है, जिनमें से कुछ पर मिलिट्री बेस और हवाई अड्डे भी बनाए गए हैं। इस पूरे क्षेत्र में चीन का वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई के साथ विवाद है। ये सब चीन के खतरनाक इरादों की ओर इशारा करते हैं।
क्या हो चीन को सजा
तो क्या समय आ गया है कि चीन को विश्व सजा दे? शायद हां। लेकिन वो सजा क्या हो सकती है?
अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों को ये अहसास हो गया है कि चीन अब एक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा की चुनौती बनता जा रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन से सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान पूछे गए सवाल पर कि क्या चीन के खिलाफ कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण फैलाने के लिए दंडात्मक कारवाई की जानी चाहिए, एंटोनी ब्लिंकन ने कहा कि संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
चीन पर किसी भी तरह की कार्रवाई तभी संभव है जब ये विश्व के अधिकतर देशों द्वारा मिल कर की जाए। फिर चाहे वो शिंजियांग प्रांत में उइगर तथा अन्य मुस्लिमों के साथ चीन के अमानवीय व्यवहार को लेकर लगाए जाने वाले प्रतिबंध हों या फिर चीन पर आधुनिक तकनीक की खरीद-फरोख्त और चीनी छात्रों और शोध वैज्ञानिकों को विश्व की श्रेष्ठ संस्थाओं में दाखिले पर प्रतिबंध की मांग। मांग ये भी उठ रही है कि अमेरिका, कनाडा, आॅस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दें ताकि चीन को आर्थिक रुप से चुभन महसूस हो। लेकिन इसमें भी सफलता तभी मिलेगी जब चीन के आसपास और पड़ोसी देशों के साथ-साथ विश्व भर के अधिकतर देश भी मिलकर इस तरह के पतिबंध लगाएं। कुछ जानकार मानते हैं कि जब तक चीनी सामान और चीन की अर्थव्यवस्था पर चोट नहीं की जाती, चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेगा। ऐसे में कुछ जानकार एक अंतरराष्ट्रीय क्लेम ट्रिब्यूनल बनाने का भी सुझाव दे रहे हैं जो चीन पर कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से विश्व भर में हुई मौतों के लिए हरजाना लगाए।
तरीका चाहे जो भी हो लेकिन एक बात साफ है कि चीन की हरकतें विश्व के किसी भी मापदंड से सही नहीं हैं। ऐसे में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण फैलाने का पूरा जिम्मा चीन का है और विश्व इसे किसी भी तरह से माफ नही कर सकता।
राहुल महाजन
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