टूलकिट मामले में कुछ नेताओं के खिलाफ ट्विटर की एकतरफा कार्रवाई पर केंद्र सरकार ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। सरकार ने कहा है कि टूलकिट मामले की जांच चल रही है। ऐसे में ट्विटर जानबूझ कर जांच को प्रभावित करने के लिए पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रहा है। सरकार ने ट्विटर से तत्काल Manipulated Media टैग हटाने को कहा है। सरकार ने कड़े शब्दों में कहा कि ट्विटर सिर्फ एक माध्यम है और वह इस तरह जांच के बीच कोई फैसला नहीं दे सकता है। ट्विटर ने अपनी सीमा लांघी है।
दरअसल, टूलकिट पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कुछ ट्वीट किए थे। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने इसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की छवि को बिगाड़ने के लिए इसे तैयार किया है। टूलकिट को कोविड-19 महामारी के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को कमजोर करने, व्यवस्था को पटरी उतारने और उसे कमतर करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। साथ ही, कांग्रेस ने गुरुवार को ट्विटर से लिखित तौर पर कहा था कि वह समाज में गलत जानकरी और अशांति फैलाने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत अन्य भाजपा नेताओं के अकाउंट को स्थायी रूप से निलंबित कर दे। कांग्रेस का कहना था कि भाजपा ने टूलकिट वाले जो दस्तावेज जारी किए हैं, वे फर्जी हैं। इसके अगले ही दिन जवाब में संबित पात्रा ने कुछ तस्वीरों के साथ दावा किया कि इस टूलकिट की रचनाकार कांग्रेस कार्यकर्ता सौम्या वर्मा हैं, जो कांग्रेस की रिसर्च विंग की सदस्य हैं। इस विंग के अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के नेता राजीव गौड़ हैं। पात्रा ने सुबूत के रूप में एक पेज भी अपलोड किया था, जिसे ट्विटर ने ‘तोड़-मरोड़कर पेश किया गया’ करार दिया था। जिस दिन कांग्रेस ने ट्विटर को पत्र लिखा था, उसी दिन माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ने यह कार्रवाई की थी।
ट्विटर की इसी कार्रवाई पर केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने नाराजगी जताई है। मंत्रालय ने कहा है कि टूलकिट पर नेताओं के ट्वीट्स को Manipulated Media करार देना ट्विटर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। इस मामले में एक पार्टी कानून की शरण में जा चुकी है। जब तक कानून प्रवर्तन एजेंसी इसकी जांच करेगी न कि ट्विटर। यह कार्रवाई न केवल उपयोगकर्ताओं द्वारा विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए एक तटस्थ और निष्पक्ष मंच के रूप में ट्विटर की विश्वसनीयता को कमजोर करती है, बल्कि एक ‘मध्यस्थ’ के रूप में ट्विटर की स्थिति पर भी सवालिया निशान लगाती है।
यह पहला अवसर नहीं है, जब ट्विटर ने पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्रवाई की है। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान भी ट्विटर की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए थे। सरकार की ओर से बार-बार आग्रह करने के बावजूद उसने उन ट्वीट्स को नहीं हटाए थे, जिनसे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती थी। उस समय ट्विटर के वैश्विक सीईओ जैक डोरसी ने कथित किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी सेलिब्रिटी के ट्वीट को लाइक किया था।
wen desk
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