सरकार ने आयुर्वेदिक औषधि ‘कृष्णापटनम दवा’ का वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्णय लिया है। इस दवा के बारे में कहा जा रहा है कि इसकी दो बूंद कोरोना से पीड़ित किसी व्यक्ति की आंख में डालने से उसके शरीर का ऑक्सीजन स्तर बहुत जल्दी सामान्य हो जाता है।
इन दिनों आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में वितरित की जा रही ‘कृष्णापटनम दवा’ को प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग जमा हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह दवा कोरोना के पीड़ितों के लिए वरदान से कम नहीं है। यह भी दावा किया जा रहा है कि इस दवा की दो बूंदें कोरोना से पीड़ित व्यक्ति की आंख में डालने से उसके शरीर का ऑक्सीजन का स्तर एक घंटे में 83 से बढ़कर 95 हो जाता है। जैसे—जैसे लोग इस दवा के बारे में सुन रहे हैं, वे कृष्णापटनम गांव की ओर भाग रहे हैं, जहां आयुर्वेदाचार्य बी. आनंदैया लोगों को यह दवा दे रहे हैं। इन सबको देखते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कोरोना संबंधी एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। इसमें ‘कृष्णापटनम दवा’ के बारे में गंभीर चर्चा हुई। बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री (स्वास्थ्य) ए. के. के. श्रीनिवास ने कहा, ”हमने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर और अन्य विशेषज्ञों से इसका अध्ययन कराने का निर्णय लिया है, ताकि इसके प्रभावी होने का पता लगाया जा सके।”
उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू ने भी केंद्रीय आयुष मंत्री किरण रिजिजू और आईसीएमआर के निदेशक बलराम भार्गव को इस दवाई का अध्ययन कर जल्दी से जल्दी से रिपोर्ट देने को कहा है। बता दें कि श्री नायडू नेल्लोर जिले के ही रहने वाले हैं।
इससे पहले आयुष विभाग के आयुर्वेदिक चिकित्सकों के एक दल ने भी कृष्णापटनम गांव का दौरा किया था। इस दल ने सरकार को अपनी रिपार्ट सौंपते हुए कहा था कि दवा बनाने की विधि, उपचार प्रक्रिया और उसके बाद के प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना चाहिए।
यदि सच में यह दवा वैज्ञानिक अध्ययन में प्रभावी पाई गई तो विश्वास मानिए कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के लिए देश को एक और हथियार दवा के रूप में मिल जाएगा।
—वेब डेस्क
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