पूर्णिया के बायसी में मुसलमानों की भीड़ ने एक हिंदू की हत्या की और 15 घरों में आग लगाई। यह सब इसलिए हुआ कि मुसलमानों को वहां हिंदुओं का रहना पसंद नहीं है
बिहार में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बसाने के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा करने का ‘खेल’ अभी भी चल रहा है। इसी उद्देश्य से गत 19 मई की रात को पूर्णिया जिले के बायसी प्रखंड की खपड़ा पंचायत के मझवा महादलित टोले के हिंदुओं पर हमला किया गया। भीड़ ने मेवालाल हरिजन नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी, जबकि तीन साल का एक बच्चा गायब है। भीड़ ने वहां तैनात ग्रामीण पुलिस (चौकीदार) दिनेश राय को बुरी तरह पीटा और उनकी मोटर साइकिल को आग के हवाले कर दिया। घायल दिनेश का अभी इलाज चल रहा है। पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में अभी तक दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि पीड़ितों को मुआवजा आज मिल जाएगा। जब उनसे पूछा गा कि क्या यह बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़ा मामला है, तो उन्होंने कहा कि नहीं। यह केवल दो पक्षों से जुड़ा जमीन विवाद है।
लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह घुसपैठियों से ही जुड़ा मामला है।
वहां के हिंदुओं के अनुसार भीड़ में शामिल लोग कह रहे थे, ‘‘तुम दलितों के यहां रहने से हमारे रिश्तेदार नहीं आते हैं। इसलिए यहां से भाग जाओ।’’ कुछ लोगों ने यहां रिश्तेदार का मतलब बताया बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए। गांव में तैनात एक ग्रामीण पुलिस भरत राय के अनुसार रात के करीब 11.30 बजे तीन दिशाओं से हथियारबंद मुसलमानों की भीड़ ने बस्ती पर हमला किया। पहले उन लोगों ने घरों पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। जब घर वाले बाहर निकले तो उन पर हमला कर दिया। हमलावरों ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा। लगभग 25 लोग घायल हैं। देखते ही देखते 15 घरों के लोग बेघर हो गए हैं।
बताया जाता है कि गत 24 अप्रैल को भी गांव में विवाद हुआ था। इसके बाद करीब एक महीने तक सब कुछ शांत रहा। अचानक 19 मई को दिन में एक बार फिर से वहां दो गुटों में झड़प हुई। प्रशासन ने मामला शांत कराकर वहां दो ग्रामीण पुलिस को तैनात कर दिया।
बस्ती के लोगों का कहना है कि हमले में आसपास के कई गांवों के मुसलमान शामिल थे। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि हिंदू होने के कारण ही उन्हें यहां से भााग जाने की धमकी बार-बार दी जा रही है। उल्लेखनीय है कि ये सभी महादलित परिवार से हैं और लगभग 35 साल से यहां रह रहे हैं। इनका यहां बसना स्थानीय मुसलमानों को पसंद नहीं है। इसलिए गत कुछ बरसों से वे लोग बस्ती वालों से विवाद कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बायसी प्रखंड के साथ-साथ अनुमंडल भी है, जो मुस्लिम-बहुल है। यहां की लगभग 75 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। इनमें बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुसलमान शामिल हैं। स्थानीय मुसलमान कई दशकों से इस क्षेत्र के सरकारी भूखंडों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसा रहे हैं। अब तो यह भी कहा जा रहा है कि यहां रोहिंग्या मुसलमान भी बसाए जा रहे हैं। इसलिए स्थानीय हिंदुओं का कहना है कि यह सब बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए किया जा रहा है।
एआईएमएम की जीत से बढ़ा हिंदू दमन
2020 के विधानसभा चुनाव में बायसी विधानसभा से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमएम के रुकनुद्दीन अहमद जीते हैं। इस क्षेत्र से पहली बार एआईएमएम का उम्मीदवार जीता है। कई लोगों ने बताया कि रुकनुद्दीन के विधायक बनने के बाद बायसी में हिंदुओं का उत्पीड़न बढ़ गया है। रुकनुद्दीन बायसी के पास बैरिया गांव के रहने वाले हैं। कहा जाता है कि चुनाव जीतने के 10 दिन बाद ही उन्होंने अपने गांव में हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी के बीच एक दीवार बनवा दी थी। हालांकि विरोध के बाद उस दीवार को गिरा दिया गया है। कहा जा रहा है कि बैरिया के हिंदू दलित हैं और इसलिए दीवार बना दी गई कि आते-जाते उनके दर्शन न हो जाएं। यही नहीं, बायसी में भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी परेशान किया जा रहा है। इसी के तहत बैरिया निवासी बीरबल की फसल काट ली गई है। बीरबल ने बताया कि अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि भाजपा समर्थक बीरबल ने तीन बीघा जमीन पर मक्के की फसल लगाई थी। रुकनुद्दीन के समर्थकों को यह पसंद नहीं है कि उनके गांव में भाजपा का कोई समर्थक रहे। इसलिए उन लोगों ने बीरबल को तंग करने के लिए उनकी फसल काट ली।
-अरुण कुमार सिंह
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