नेपाल : कांटों भरा ताज
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत दिल्ली

नेपाल : कांटों भरा ताज

by WEB DESK
May 19, 2021, 12:23 pm IST
in दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

नेपाल में वामपंथी दल अपनी गति को प्राप्त हो रहे हैं। पार्टी में एक बार विभाजन हो चुका है और दूसरा कभी भी हो सकता है। इस खींचतान के बीच केपी शर्मा ओली विश्वासमत खोने के तीन दिन बाद ही फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, पर आगे की राह उनके लिए आसान नहीं दिख रही

नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में एक बार फिर केपी शर्मा ओली ने शपथग्रहण कर लिया है। संसद में विश्वास मत खोने के तीन दिन बाद ही ओली को नेपाल के संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। संसद में विश्वास मत खोने के बाद राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने विपक्षी दलों को भी तीन दिन का समय दिया था। लेकिन विपक्षी दल ओली के खिलाफ एकजुट नहीं हो सके, जिससे ओली को दोबारा सरकार बनाने का मौका मिल गया।

कभी ओली के साथ पार्टी में रहे माओवादी नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तीन दशक से ओली के साथ रहने वाले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल ने तो यहां तक कह दिया था कि ओली को हटाने के लिए वे अपने तीन दर्जन से अधिक सांसदों का सामूहिक इस्तीफा दिलवा देंगे। प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने भी साफ कह दिया था कि ओली को सत्ता से हटाने और बहुमत जुटाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई और उनकी पार्टी ने तो ओली को सत्ता से हटाने के लिए अपनी पार्टी का विभाजन कराने तक की तैयारी कर ली थी, लेकिन चौतरफा घेराबंदी के कारण ओली विश्वास मत हासिल करने से चूक तो गए, पर विपक्षी दल को भी बहुमत हासिल नहीं करने दिया। नतीजा यह हुआ कि बहुमत खोने के तीन दिन बाद ही ओली को दोबारा प्रधानमंत्री बनने का मौका मिल गया। अब उनके पास बहुमत साबित करने के लिए 30 दिन का समय है।

इस बीच, ओली ने मधेश के कुछ मुद्दों का हल करने का प्रयास किया है और मधेशी दल की मांग को पूरा करने की भी शुरुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुआत कर दी है। इसलिए इस बार संभावना है कि वे अपनी सरकार बचा लेंगे। हालांकि ओली की प्राथमिकता अभी भी संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव कराना ही है। अगर इन 30 दिनों में ओली बहुमत नहीं जुटा पाए तो उनके पास संसद भंग करने का विकल्प है।

पार्टी की अंदरूनी कलह और चीन के लगातार हस्तक्षेप से आजीज ओली ने पिछली बार जब संसद भंग कर जनादेश लेने का फैसला किया था तो उसका जबरदस्त विरोध हुआ था। चीन से निर्देशित व संचालित ओली की पार्टी का एक गुट आंदोलन पर उतर आया था। प्रमुख विपक्षी दल भी आंदोलन में शामिल हो गया था और देशभर में बड़ी-बड़ी रैलियां व विरोध सभाएं होने लगीं। बसों में भर-भर कर समर्थकों को काठमांडू लाया जाने लगा था। ओली के खिलाफ सड़क पर ऐसा माहौल बना दिया गया कि लगता था जैसे लोग ओली को सत्ता से बेदखल करके ही दम लेंगे। सरकार विरोधी आंदोलन को चीन आर्थिक मदद पहुंचा रहा था। चीन के चंगुल से निकलकर ओली उसे ही आंखें दिखाने लगे और उसकी बनाई नीतियों को संसद में पारित करने से मना कर दिया। उन्होंने शासन व्यवस्था में चीनी मॉडल को लागू करने से भी इनकार कर दिया तो चीन ने ओली को अपदस्थ करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। चीन ने न केवल ओली की पार्टी को टूट के कगार पहुंचा दिया, बल्कि उनके खिलाफ पार्टी के भीतर विरोधियों की पूरी जमात खड़ी कर दी।

यही नहीं, चीन ने नेपाली कांग्रेस में भी घुसपैठ कर उसे ओली के खिलाफ सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया, जबकि लोकतांत्रिक मूल्यों को मानने वाली कांग्रेस को चुनाव में जाना ही लाभदायक लगा। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचन्द्र पौडेल चीन के झांसे में आ गए और पूरी पार्टी को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। जनता समाजवादी पार्टी में पुराने कम्युनिस्ट नेताओं के जरिए चीन ने बाबूराम भट्टराई व पूर्व उप-प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव को धन का लालच देकर ओली के खिलाफ आंदोलन के लिए माहौल बनाने की कोशिश की। जवाब में ओली ने भी देश के प्रमुख शहरों में शक्ति प्रदर्शन कर देश की जनता को संसद विघटन के पक्ष-विपक्ष में विभाजित कर दिया। इसी बीच, सर्वोच्च अदालत ने संसद भंग करने के फैसले को अमान्य करार देकर ओली के निर्णय को पलट दिया। इससे विपक्षी दल व चीन समर्थित अन्य नेता उत्साहित हो गए और ओली के फैसले को गलत ठहराते हुए संसद की पुनर्बहाली के फैसले का स्वागत किया। सभी को लगा कि अब तो ओली का सत्ता से बाहर जाना तय है। लेकिन ओली ने इस्तीफा नहीं दिया।

अभी विपक्षी दल संसद पुनर्बहाली का जश्न मना ही रहे थे कि शीर्ष अदालत के एक फैसले ने नेपाल की राजनीति की दशा और दिशा ही बदल दी। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नाम को लेकर विवाद का निपटारा करते हुए अदालत ने दो बड़े कम्यनिस्ट दलों के विलय की वैधानिकता को ही खत्म कर दिया। लिहाजा, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी फिर से दो भागों में बंट गई। ओली और प्रचंड अलग-अलग हो गए। ओली की पार्टी फिर से संसद की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। सर्वोच्च अदालत के फैसले से चीन इतना हैरान था कि आनन-फानन में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने विदेश विभाग प्रमुख के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजा। एक हफ्ते तक काठमांडू में नेताओं के घर जाकर प्रतिनिधिमंडल ने पूरी कोशिश की और कम्युनिस्ट पार्टी की एकता बनाए रखने के लिए अनुनय-विनय किया, लेकिन सत्ता के लालच में किसी भी कम्युनिस्ट नेता ने उसकी नहीं सुनी। नतीजा, चीनी प्रतिनिधिमंडल को निराश लौटना पडा। चीन की बनाई कम्युनिस्ट पार्टी भी टूट गई और चीनी नियंत्रण वाली सरकार भी हाथ से निकल गई। हालांकि वे ओली को तो हटा भी नहीं पाए, लेकिन कई महीनों तक चलने वाली राजनीतिक अस्थिरता जरूर कायम हो गई। ओली ने विश्वास मत खोकर भी दोबारा शपथ ले लिया।

करीब तीन साल पहले भी ओली ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन अब सबकुछ बदल गया है। नेपाल में संविधान लागू होने के बाद हुए पहले चुनाव में वामपंथी दलों का दबदबा रहा और करीब दो तिहाई सीटें जीतकर ओली ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके बाद दोनों बड़े कम्यनिस्ट दलों के विलय की घोषणा हुई और उनकी सरकार बनी। लेकिन तीन साल में राजनीतिक हालात ऐसे बदल गए कि दो तिहाई वाली कम्युनिस्ट पार्टी अब दो हिस्सों और तीन गुटों में बंट गई है। तीन साल में ही दो तिहाई बहुमत वाली सरकार अब अल्पमत की सरकार में बदल गई है। दो तिहाई की शक्तिशाली बहुमत वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अब सामान्य बहुमत हासिल करने में भी नाकाम रहे। बहुमत पाने के उद्देश्य से अब वे एक बार फिर छोटे राजनीतिक दलों का समर्थन जुटाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

दो तिहाई बहुमत का दंभ भरने वाले और इस आधार पर नेपाल में अपना सर्वसत्तावादी हुकूमत थोपने का षड्यंत्र करने वाले वामपंथी नेताओं की हालत ऐसी हो गई है कि अब उनके लिए नेपाल का संविधान, नेपाल की संसद, नेपाली वामपंथियों की एकता सब मुश्किल में दिखाई दे रहा है। वामपंथी दल और इसके सभी बड़े नेता अपने ही बनाए चक्रव्यूह में ऐसे फंस गए हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर इतनी बड़ी पार्टी, शक्तिशाली सरकार और चीन का पूरा सहयोग होते हुए भी सब कुछ ताश के पत्तों की तरह कैसे ढह गया। बीते कुछ माह के दौरान नेपाल में वामपंथियों की जो हालत हुई है, उससे उनके मन में यह डर बैठ गया है कि अगला चुनाव आते-आते कहीं उनकी हालत बंगाल के वामपंथियों जैसी न हो जाए। इस सदमे से बाहर निकलने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के छोटे से लेकर बड़े नेताओं ने केरल में दोबारा वामपंथी सरकार बनने पर सामाजिक संजाल के जरिए उन्हें बधाई दी और अपने यहां नेताओं को नसीहत। साथ ही, कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का भरपूर प्रयास किया कि अगर केरल में वामपंथ फिर से सत्ता में आ सकता है तो नेपाल में क्यों नहीं? केरल का किस्सा सुनाकर नेपाल के वामपंथी सदमे से उबरने का चाहे जितना प्रयास कर लें, पार्टी में अंतर्कलह को देखते हुए लग रहा है कि किसी भी समय पार्टी में फिर से टूट हो सकती है।

नेपाल पर चाइनीज मॉडल वाली शासन व्यवस्था थोपने के लिए जो बड़ी साजिश की गई थी, फिलहाल टल गई है। सत्ता की खींचतान में नेपाल की सबसे मजबूत वामपंथी दल की हालत आज ऐसी हो गई कि इसके शीर्ष नेता आपस में ही लड़ने लगे, एक-दूसरे के खिलाफ सड़क पर उतरे, मुकदमे हुए और एक-दूसरे के खिलाफ जितनी निकृष्ट भाषा का प्रयोग कर सकते थे, वह भी किया। नतीजा, पार्टी विभाजन, अल्पमत की सरकार, एक-दूसरे को पटखनी देने में ही इनकी ऊर्जा खत्म हो रही है।
पंकज दास

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies