कोरोना महामारी के संकट से पूरा देश गुजर रहा है। ऐसे मुश्किल वक्त में कोविड के खिलाफ लड़ाई में लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से गठित कोविड रेस्पॉन्स टीम (सीआरटी) ने 11 मई से 15 मई तक ‘पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ मुहिम छेड़ी। इस मुहिम में समाज के विभिन्न तबके की नामचीन हस्तियों ने संकट काल में एकजुटता, साहस और सक्रियता का संदेश दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूज्य सरसंघचालक श्री मोहन जी भागवत ने कहा कि दृढ़ संकल्प, सतत प्रयास, सजगता, सक्रियता, साहस, सामूहिकता व धैर्य के साथ भारतीय समाज कोरोना पर निश्चित ही विजय प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि यह समय गुण—दोषों के बारे में चर्चा करने का नहीं है बल्कि इस समय समाज के सभी वर्गों को एकसाथ मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे ताकि इस संकट से हम पार पा सकें। श्री भागवत ने कहा कि सब लोग परस्पर एक टीम बन कर काम करेंगे तो सामूहिकता के बल पर हम अपनी और समाज की गति बढ़ा सकते हैं। इस समय अपने सारे मतभेद भुलाकर हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा।
श्री भागवत ने कहा कि पहली लहर के बाद हम गफलत में आ गए और अब तीसरी लहर आने की बात हो रही है। इससे अर्थव्यवस्था, रोजगार, शिक्षा आदि पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था पर और असर पड़ सकता है, इसलिए इसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी। भविष्य की इन चुनौतियों की चर्चा से घबराना नहीं है बल्कि ये चर्चा इसलिए जरूरी है ताकि हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए समय रहते तैयारी कर सकें।
उन्होंने कहा कि स्वयं को सजग, सक्रिय व स्वस्थ रखते हुए धैर्य व अनुशासन के साथ हमें सेवा कार्यों में जुटना चाहिए। कोरोना के रोगियों को अस्पतालों में बिस्तर,आॅक्सीजन आदि उपलब्ध हों, इसके प्रयास करने चाहिए। सेवा कार्यों में लगे संगठनों को सहयोग करना चाहिए। अपने आस—पास के उन परिवारों की चिंता करनी चाहिए जिन पर आर्थिक संकट है। घर पर खाली न बैठें, कुछ नया सीखें, परिवारों में संवाद बढ़ाएं।
श्री भागवत ने कहा कि यश—अपयश को पचा कर लगातार आगे बढ़ने की हिम्मत रखनी होगी। भारत एक प्राचीन राष्ट्र है तथा इस पर पूर्व में कई विपत्तियां आर्इं। लेकिन हर बार हमने उन पर विजय प्राप्त की है, इस बार भी हम विजय प्राप्त करेंगे। इसके लिए हमें अपने शरीर से कोरोना को बाहर रखना है तथा मन को सकारात्मक रखना है। इन कठिन परिस्थितियों में निराशा की नहीं बल्कि इससे लड़कर जीतने का संकल्प लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ऐसी बाधाओं को लांघ कर मानवता पहले भी आगे बढ़ी है और अब भी आगे बढ़ती रहेगी।
सरसंघचालक के मुख्य संदेश
मन को पॉजिटिव रखें, शरीर को कोरोना निगेटिव रखें।
निराश नहीं होना है, संकल्प करना है, यह चुनौती है, इस संकट को परास्त करना है।
तीसरी लहर के मद्देनजर स्वयं को चट्टान बनाना है, लहर चकनाचूर होगी।
समुद्र मंथन अमृत निकलने तक होता रहा,प्रयास सतत करना है।
टीम रूप में काम करना है, देर से जागे कोई बात नहीं है, लेकिन गति बढ़ाएंगे।
स्वयं को ठीक रखना है, धैर्य ,प्रयत्न, सजगता बनाये रखना है,प्राणायाम, योग आदि करना है, आॅनलाइन सीखना है, आहार ठीक रखना है।
अफवाह नहीं फैलाना है,न फैलने देना है।
खाली नहीं रहना है, परिवार के साथ वातार्लाप करिये, समय का सदुपयोग करें ,खाली नहीं रहना है।
दुख है व्याकुलता है,भय है। बहुत से लोगों की मृत्यु हो गयी है। कष्ट है , लेकिन सकारात्मक रहें। सकारात्मक वातावरण का निर्माण करें
धैर्य व आत्मविश्वास से मिलेगी संकट से निजात
कांचीपुरम पीठ के पूज्य शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती जी ने कहा, आज विश्व में महामारी की वजह से एक अति संकट की स्थति है। भारत में एक साल पहले भी ये कष्ट आया था। उस समय समाज की मेहनत से, सहयोग से, सबकी सहानुभूति से, इस संकट का विमोचन हुआ था। अभी इस संदर्भ में दोबारा कुछ संकट शुरू हुआ है, अति वेग से शुरू हुआ है, उस संकट से विमोचन होना चाहिए। इस संकट के विमोचन के संदर्भ में जो संकट मोचन हनुमान जी के वाक्य का स्मरण करना बहुत उपयोगी होगा। वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी कहते हैं, दु:ख होता है, संकट होता है, फिर भी अपना जो मनोधैर्य है, मन में जो हिम्मत है वो छोड़ना नहीं, प्रयत्न करते रहना है।
उन्होंने कहा, संकट कैसा भी हो, हम विश्वास के साथ मेहनत करेंगे तो उसका फल मिलेगा और हम सफल होंगे। एक साल पहले के संकट में अनेक भाषाओं, अनेक प्रांतों के लोगों ने एक साथ मिलकर काम किया, उसका परिणाम भी अच्छा अनुकूल मिला।” उन्होंने कहा, ‘‘अभी जो संकट है उससे मुक्ति के लिए, संकट निवारण के लिए, संकट विनाश के लिए, दो प्रकार की कोशिश जरूरी है। एक तो प्रार्थना, मंत्र द्वारा, स्तुति द्वारा, हनुमान चालीसा द्वारा, अपने सदाचार नियम-पालन के द्वारा … दूसरा चिकित्सा द्वारा। लेकिन साथ ही इसमें धैर्य व आत्मविश्वास का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।’’ ‘‘अगर धैर्य व आत्मविश्वास है तो संकट कैसा भी हो हम उससे बाहर आ सकते हैं। व्यक्तिगत विश्वास की तो आवश्यकता है ही, साथ ही ऐसा सामूहिक वातावरण बनाने की भी आवश्यकता है।’’
मन जीते जग जीत
श्री पंचायती अखाड़ा-निर्मल के पीठाधीश्वर महंत संत ज्ञान देव सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा, ‘केवल भारतवर्ष में नहीं संपूर्ण विश्व में जो यह संक्रमण काल चल रहा है, इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, मनोबल गिराने की आवश्यकता नहीं है. जो भी वस्तु संसार में आती है, वह सदा स्थिर नहीं रहती। दु:ख आया है, वह चला जाएगा। इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘यदि कोई संक्रमित हो जाता है तो वो परमात्मा का चिंतन करे, गीता का पाठ करे, गुरूवाणी का पाठ करे। अपने शरीर को स्वस्थ रखे, मन को स्वस्थ रखे। मन जीते जग जीत। यदि आपका मन स्वस्थ है तो आप स्वस्थ रहेंगे, आप पर कोई प्रभाव नहीं होगा।’
उन्होंने कहा भारत की परंपरागत जीवनशैली में वे सभी तत्व पहले से मौजूद रहे हैं, जिनका पालन करने के लिए हमें आज चिकित्सक कह रहे हैं। इस समृद्ध सांस्कृतिक व आध्यात्मिक परंपरा का पालन कर हम सभी स्वस्थ रह सकते हैं। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी इन समृद्ध परंपराओं की पहचान कर उन्हें व्यवहार में लाएं।
हताशा, भय, क्रोध से नुकसान होगा
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपने उद्बोधन में कहा कि अदृश्य कोरोना संक्रमण के खिलाफ हमारी यह लड़ाई जंग की स्थिति जैसी है। इसमें घबराहट, हताशा, भय और क्रोध जैसी चीजें हमारा नुकसान कर सकती हैं। यह वक्त एक-दूसरे पर दोषारोपण का नहीं बल्कि पूरे मानव समाज के रूप में एक साथ खड़े होने का है।
जग्गी वासुदेव ने कहा कि यह आवश्यक है कि हम जो भी काम कर रहे हैं, उन्हें करना जारी रखें। सारी गतिविधियां एकदम बंद करने से राष्ट्र या विश्व को इस चुनौती का समाधान नहीं मिलेगा बल्कि इससे हम पर और ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बिना लोगों के नजदीक जाए और संक्रमित हुए अपना काम जारी रखें। यह करना हमारा मूलभूत दायित्व है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की इस घड़ी में हमें अपने लाइफस्टाइल नहीं बल्कि लाइफ की चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमें आलोचना और चर्चा में अपनी श्वास और ऊर्जा नहीं गवांनी चाहिए।
विपरीत परिस्थिति में ही धैर्य की परीक्षा
वात्सल्य ग्राम, वृंदावन से पूज्य दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी ने अपने उद्बोधन में कहा, ‘विपरीत परिस्थितियों में ही समाज के दायरे के धैर्य की परीक्षा होती है। इन विपरीत परिस्थितियों में जबकि हमारा पूरा देश एक विचित्र महामारी से जूझ रहा है, ये वो समय है, जब हमें अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करना है।’ उन्होंने कहा, ‘मनुष्य के साहस व संकल्प के सामने बड़े-बड़े पर्वत तक टिक नहीं पाते। नदी का प्रवाह जब प्रवाहित होता है तो वो बड़े-बड़े चट्टानों को रेत में परिवर्तित करने का सामर्थ्य रखता है। इसलिए इस विकट परिस्थिति में असहाय होने से समाधान नहीं होगा, अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करना होगा।’
उन्होंने कहा हर संकट का समाधान है, लेकिन समाधान तब होता है, जब मनुष्य को अपने पर भरोसा होता है, जब मनुष्य अपने आराध्य और इष्ट पर भरोसा करता है। इस विश्वास के साथ हम इस महामारी से पार जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं समस्त भारतवासियों को निवेदन करना चाहती हूं कि दोषारोपण के बजाय सभी अपने आत्मबल, आत्म संयम को और आत्म संकल्प को जागृत करें… इन सारी परिस्थितियों के बीच में अगर हमारी शक्ति मात्र नकारात्मक चिंतन में लग जाएगी तो कर्म करने का सामर्थ्य और कुछ नया सोचने का सामर्थ्य समाप्त हो जाएगा।’
यह मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा
आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कहा, मानसिक-सामाजिक रूप से हम सबके ऊपर एक जिम्मेदारी है। उस जिम्मेदारी को निभाने के लिए हमें सबसे पहले हमारे भीतर जो धैर्य है, शौर्य है, जोश है, उसे जगाना होगा। इससे हमारे भीतर का उदासीपन अपने-आप हट जाएगा। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति उदास है, दुखी है, दर्द से पीड़ित है तो अपने भीतर करुणा जगाएं। करुणा जगाने का मतलब यह है कि सेवाकार्य में जुट जाएं। अपने से जो हो सकता है, वो सेवा हम दूसरों की करें। ऐसे ही ये मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा है। कम से कम इस वक्त हम सबको ईश्वर भक्ति को हमारे भीतर जगाना है। ये जानकर हमको आगे बढ़ना है कि ईश्वर है और वे हमको बल देंगे और दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नकारात्मक मानसिकता और नकारात्मक बातों से हमें बचना चाहिए। नकारात्मक बातों को जितना कम हो सके, उतना कम करना चाहिए। जो वातावरण बोझिल लगता है, उसे हल्का करने के लिए हर व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए। ये निश्चित है कि हम अवश्य इस संकट से बाहर आएंगे और विजेता बन कर उभरेंगे। जब भी किसी ताकत ने हमें दबाने की चेष्टा की है, हम और बलवान होकर उससे निखरते आए हैं। इस बात को हम याद रखें। अभी अपने भीतर हिम्मत जुटाएं, करुणा की अभिव्यक्ति का यही समय है। अपने भीतर की करुणा को व्यक्त करें। ईश्वर पर विश्वास को जगाएं। योग-साधना और आयुर्वेद पर ध्यान दें। अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। औरों के भले के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करने के लिए तत्पर हो जाएं। इतना करने से हमारी जो मानसिक नकारात्मक स्थिति बढ़ती जा रही है, उससे हम बच सकते हैं।
एक साथ रहेंगे तो मजबूत रहेंगे
अजीम प्रेमजी ने कहा, इस महामारी के वक्त पूरे राष्ट्र को एक साथ खड़े होना चाहिए। हमें अपने मतभेदों को भुलाना होगा। इसके साथ यह समझना होगा कि हमें इस समय मिलकर काम करना है। अगर हम एक साथ रहेंगे तो मजबूत रहेंगे और अगर विभाजित हो जाएंगे या बंट जाएंगे तो संघर्षरत रहेंगे। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण उपजा आर्थिक संकट भी लोगों की जिंदगियां बर्बाद कर रहा है। हमें सबसे कमजोर व्यक्ति की हालत पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें यह सोचना चाहिए कि हमारे प्रयास कमजोर तबके के लिए हों। मैं सभी से अपील करता हूं कि इस समय की मांग है कि हम सब मिलकर यथासंभव प्रयास करें। सभी सुरक्षित रहें और सभी को बल मिले। इसकी कामना करता हूं।
आशा, सकारात्मकता का माहौल बनाएं
प्रख्यात कलाकार पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि हाल ही मंक उन्हें कोरोना हुआ था, पर सकारात्मक विचारों, धैर्य, आत्मबल व प्रार्थना द्वारा उन्होंने नैराश्य को दूर भगाते हुए इस पर विजय प्राप्त की। उन्होंने कहा, ”समाज में असीम आशा व सकारात्मकता का वातावरण बनाने की आवश्यकता है ताकि कोई भी हताश या निराश न हो। इसके लिए रचनात्मकता का सहारा लें तथा मन में कृतज्ञता का भाव रखें.. हम सभी इस युद्ध को लड़ रहे हैं और इसमें निश्चित ही विजय प्राप्त करेंगे। पर इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि स्वयं को असहाय न मानें, क्रोध, निराशा, हताशा से स्वयं भी दूर रहें और सकारात्मक विचारों को साझा कर दूसरों को भी संबल दें व समाज में सामूहिक स्तर पर सकारात्मकता का वातावरण तैयार करें।”
हम संगठित होकर सफलता से करेंगे सामना
सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री निवेदिता भिड़े जी ने कहा कि शुरुआत में कोरोना की दूसरी लहर अप्रत्याशित रूप से इतने वेग से आई कि हम लड़खड़ा गए। पर अब हम संस्था, सरकार व समाज के स्तर पर संगठित हो रहे हैं और निश्चित ही इस चुनौती का हम सफलतापूर्वक सामना करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए अपने परिजनों तथा आसपास वालों के साथ रचनात्मक गतिविधियों में सक्रियता से भागीदारी सुनिश्चित करें। इसके अलावा अपने आसपास कोरोना से प्रभावित परिवारों की सेवा करें। अगर यह भी नहीं कर सकते तो कम से कम संकल्प के साथ प्रार्थना करें, इससे भी वातावरण में सकारात्मक तरंगों का निर्माण होता है और माहौल में सकारात्मकता आती है। उन्होंने कहा कि हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम कोई साधारण राष्ट्र नहीं हैं, पहले भी ऐसी विपत्तियां और संकट हम पर आए हैं और हमने सफलतापूर्वक उना सामना किया है। हम वर्तमान चुनौती का सामना भी सफलतापूर्वक करेंगे।
कोविड के विरुद्ध कई संगठन साथ आए
कोविड रेस्पॉन्स टीम के लोगो में लिखा गया है कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में जीत हमारी होगी। कोविड महामारी से एकजुट लड़ाई के लिए तमाम संगठन और नामचीन लोग आगे आए हैं। कोविड रेस्पॉन्स टीम को फिक्की, सीआईआई, पीएचडी-सीआईआई, एसोचैम, लघु उद्योग भारती, जेआईटीओ, सीएआईटी, आईसीएसआई, आईसीडब्लूए से भी सहयोग मिल रहा है। धार्मिक, आध्यात्मिक, और चैरिटी संगठन जैसे पतंजलि योगपीठ, ईशा फाउंडेशन, आर्ट आॅफ लिविंग, गौरी शंकर मंदिर, भगवान बाल्मीकि मंदिर, संत रविदास विश्रामस्थल देवनगर, सनातन धर्म प्रतिनिधि संस्था, आर्य समाज, झण्डेवाला माता मंदिर, तेरापंथ जैन समाज, सेवा भारती, लायंस क्लब, विश्व हिन्दू परिषद, स्वदेशी जागरण मंच और रोटरी क्लब भी मानवता की सेवा की इस मुहिम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।
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