दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 13 मई को कहा कि उनकी सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा कि उसके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन है। अब इसे दूसरे राज्यों को भी दिया जा सकता है
यह सुनकर किसे विश्वास होगा? मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी पिछले एक महीने से लगातार आक्सीजन की मांग कर रही थी। बार—बार यह बात सामने आ रही थी कि दिल्ली को आवश्यकता से अधिक आक्सीजन मिल रही है। उसके बावजूद कभी 900 कभी 700 मीट्रिक टन की मांग की जा रही थी। जानकारों के अनुसार यह दिल्ली की जरूरत से कहीं अधिक आक्सीजन की मांग थी। हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था और इस दौरान सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे थे, जिसमें दिल्ली सरकार की लापरवाही से हो रहे आक्सीजन की बर्बादी को दर्शाया जा रहा था। दूसरी तरफ आक्सीजन कंसेट्रेटर्स की कालाबाजारी में जिन लोगों का नाम सामने आया, वे दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के मित्र निकले।
अब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को संभालने में मदद पहुंचाने के लिए मोदी सरकार का आभार व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की आवश्यकता घटकर 582 मीट्रिक टन ही अब रह गई है। गौरतलब है कि केजरीवाल 29 अप्रैल को 700 और 03 मई को 976 मिट्रीक टन आक्सीजन दिल्ली के लिए मांग रहे थे। अचानक उनकी मांग गिर गई। दिल्ली में लगातार अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाए जा रहे हैं और आम आदमी पार्टी कह रही है कि हमारी मांग कम हो गई है। यह चमत्कार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आक्सीजन के आडिट की घोषणा के बाद क्यों हुआ?
आक्सीजन की आडिट होने वाली है। यह घोषणा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति, वितरण और उपयोग का ऑडिट करने के लिए एक पैनल की स्थापना के बाद की गई है। बता दें कि 18 अप्रैल 2021 को केजरीवाल सरकार ने 700 मिट्रीक टन ऑक्सीजन की मांग की थी। जो अब घटकर 582 मीट्रिक टन हो गई है।
पहले केंद्र द्वारा ऑडिट कराने का प्रस्ताव सामने आया था, उसके ठीक बाद ऑक्सीजन की मांग 976 मीट्रिक टन से घटकर चमात्कारिक रूप से 730 मीट्रिक टन पर आ गई थी, जो सर्वोच्च न्यायालय के ऑडिट के निर्देश के बाद 582 मीट्रिक टन प्रति दिन आ गई है।
बंगाल चुनाव के दौरान दिल्ली सरकार में वैक्सीन केन्द्र दे, बेड केन्द्र दे, आक्सीजन केन्द्र दे, दवा केन्द्र से मिले का शोर अचानक बढ़ गया था। इस दौरान एक बार पार्टी ने नहीं बताया कि सबकुछ केन्द्र से चाहिए फिर दिल्ली ने उन्हें क्यों चुना है? पर्याप्त आक्सीजन होने के बावजूद आक्सीजन की कमी अचानक दिल्ली में बढ़ गई। दूसरी तरफ पार्टी के करीबी लोग मदद के नाम पर कालाबाजारी कर रहे थे।
दिल्ली की हालत में पहले से अब थोड़ा सुधार है क्योंकि बिगड़ती दशा को देखते हुए केन्द्रीय टीम यहां पहले से अधिक सतर्क नजर आ रही है। कुछ समय से जिस तरह पूरा शहर धांधली करने वालों और काला—बाजारियों के हाथ में चला गया था, ऐसा लगा मानों दिल्ली के अंदर सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। अब जांच एजेन्सियां उन लोगों की पहचान और गिरफ्तारी में जुट गई है, जो राजधानी में जीवन रक्षक औषधियों और आक्सीजन कंसेट्रेटर्स की काला बाजारी में लगे हुए थे। आम आदमी पार्टी के करीबी गौरव खन्ना, गगन दुग्गल और नवनीत कालरा का नाम इसी सिलसिले में सुर्खियों में आया है। इनके विभिन्न ठिकानों से 1000 आक्सीजन कंसेट्रेटर्स बरामद हुए।
नवनीत कालकरा के सीडीआर से पता चलता है कि 07 मई को खान चाचा रेस्तरां में छापा पड़ने के दौरान ही छत्तरपुर स्थित उसके फार्म हाउस पर उसका मोबाइल फोन बंद कर दिया गया था। पुलिस को अपनी जांच से पता चला कि नवनीत अपने पूरे परिवार को लेकर दो लग्जरी गाड़ियों में निकल गया है। वह उत्तराखंड में छुपा हो सकता है। उसने ऑक्सीजन सिलिंडर कालाबाजारी के मामले में अग्रिम जमानत की याचिका साकेत कोर्ट में लगाई थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। 14 मई को मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में हुई। जहां न्यायाधीश ने अंतरिम जमानत देने से साफ इंकार कर दिया। कांग्रेस के बड़े नेता अभिषेक मनु सिंघवी ‘खान मार्केट गैंग’ के सदस्य कालरा को जमानत दिलाने के लिए न्यायालय में मौजूद थे।
दिल्ली पुलिस ने छापेमारी में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जो इन-वॉइस बरामद की है, उसके अनुसार चीन और हांगकांग से पांच लीटर का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मात्र 16 हजार रुपये में मंगाया गया था और नौ लीटर वाला ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 20 हजार में। जिसे जरूरतमंदों को ये लोग 50 से 70 हजार में धड़ल्ले से बेच रहे थे। नवनीत कालरा एंड कंपनी की केजरीवाल की पार्टी से नजदीकी अब किसी से छुपी हुई बात अब नहीं है।
नवनीत कालरा और गगन दुग्गल ने मिलकर फरार होने तक 07 हजार से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेच दिए थे। गगन दुग्गल की कंपनी मैट्रिक्स सेलुलर के नाम पर 20 अक्टूबर से 21 फरवरी के बीच 5000 आक्सीजन कंसट्रेटर्स मंगाए जाने की जानकारी मिलती है। यह बात रिकार्ड में आ गई है। और न जाने किन—किन नामों से इन्होंने खरीद की है, वह तो जांच के बाद ही सामने आ पाएगा। गौरतलब है कि जब कालरा एंड कंपनी इतनी बड़ी खरीद कर रहे थे, उस समय दिल्ली में न आक्सीजन की कोई कमी थी और न ऐसा होने वाला है, इसका कोई अंदेशा समाचार पत्रों से मिल रहा था। कौन था जो नवनीत और गगन को चीन और हांगकांग का रास्ता दिखा रहा था ? किसके कहने पर उन्हें पहले से पता था कि देश में हालात बिगड़ने वाले हैं और यही मौका होगा 20 का माल 70 में बेचने का।
क्या संभव है कि केजरीवाल का इतना करीबी आदमी दिल्ली में इतने बड़े काजाबाजारी में संलिप्त था और पार्टी को इसकी भनक भी न हो। अब तो दिल्ली में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के साथ—साथ आक्सीजन टैंकर से आने वाले आक्सीजन के कालाबाजारी की भी चर्चा होने लगी है।
-कुमारी अन्नपूर्णा चौधरी
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