कोरोना मरीजों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों में शुल्क का निर्धारण कर दिया है. उसके बावजूद कुछ अस्पताल इस महामारी में मरीजों से धन उगाही करने में लगे हुए हैं.
निर्धारित शुल्क से अधिक धनराशि जमा कराए जाने के मामले में लखनऊ के तीन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. तीनों अस्पताल अब सीधे मरीज भर्ती नहीं कर सकेंगे. इनके मालिकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं.
कुछ दिनों पूर्व ही शासन ने स्पष्ट तौर पर आदेश जारी किया था कि निजी अस्पताल निर्धारित शुल्क से अधिक धनराशि मरीज से न जमा कराएं. मगर निजी अस्पतालों ने इस आदेश की अनदेखी करते हुए धन उगाही बंद नहीं की. इस मामले की शिकायत मिलने पर लखनऊ जनपद की प्रभारी अधिकारी रौशन जैकब ने दो टीमों के साथ जेपी हॉस्पिटल, मैक्वेल हॉस्पिटल व देविना हॉस्पिटल की जांच की. जांच के दौरान पाया गया कि एक दिन में एक मरीज से एक लाख रुपये से अधिक जमा कराया गया था. मैक्वेल अस्पताल के एक बिल में 86 हजार रुपए और दूसरे में 38 हजार रुपये जमा कराए जाने की पुष्टि हुई. जबकि शासन ने अधिकतम 18 हजार रुपए तय किया है. इसमें ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, पीपीई किट, दस्ताने, दवाइयां आदि का खर्च शामिल है. जांच टीम को एक मरीज ऐसे भी मिला जिससे 1 लाख 66 हजार रुपये जमा कराए गए थे. इसमें मात्र एक दिन में 1 लाख 10 हजार रुपए दवाओं के नाम पर जमा कराया गया था.
जांच में तीनों अस्पतालों में गड़बड़ी पाई गई. प्रभारी अधिकारी रौशन जैकब ने तीनों अस्पताल मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. तीनों अस्पतालों में मरीजों की सीधी भर्ती पर रोक लगा दी गई है. अब मरीज कमांड सेंन्टर के माध्यम से ही भेजे जाएंगे .
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