पुर्तगाल में 8 मई को संपन्न यूरोपीय संघ की शिखर वार्ता में भारत को विशेष रूप से निमंत्रित करना चायनीज वायरस कोरोना से लड़ाई, वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, टिकाउ विकास आदि विषयों में भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है
गत 8 मई का दिन भारत की विदेश नीति और कूटनीति के लिए एक अहम दिन रहा। इस दिन यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के विशेष निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली यूरोपीय संघ के शीर्ष नेताओं के साथ शिखर वार्ता में हिस्सा लिया। बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण थी कि एक तरफ दुनिया के कई देश चायनीज वायरस कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में उलझे हैं तो दूसरी तरफ अन्य मुद्दे भी हैं जिन पर ध्यान देना दुनिया के आगे बढ़ने के लिए जरूरी है। बैठक में कोरोना के हालात और स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारी, धरती की सुरक्षा एवं इसे हरा—भरा बनाने को बढ़ावा देने, जलवायु परिवर्तन, अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण आदि पर चर्चा हुई। यूरोपीय संघ +27 के स्वरूप में संपन्न हुई इस बैठक में मोदी ने सदस्य देशों के नेताओं के साथ बात की।
अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम वैश्विक हित के लिए भारत और यूरोपीय संघ के संबंधों को बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यही वजह है कि कोरोना की विकट परिस्थितियों से जूझने के बीच भारत के प्रधानमंत्री ने बैठक में भाग लिया था। मोदी ने कहा कि लोगों के लिए शांति और समृद्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ की मजबूत भागीदारी बहुत मायने रखती है। उन्होंने व्यापार और निवेश करारों की बातचीत शुरू करने के फैसले का स्वागत किया। मोदी ने कहा, ”हमारी भागीदारी कोरोना महामारी को रोकने के लिए जरूरी है तो दुनिया को अधिक डिजिटल व हरी—भरी बनाने और हर तरह से सुचारू करने के लिए भी बहुत जरूरी है। उन्होंने भारत के साथ मजबूत संबंधों की प्रतिबद्धता के लिए यूरोपीय संघ के नेताओं और सदस्य देशों को धन्यवाद दिया। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को यूरोपीय संघ के अनेक देशों ने अपनी ओर से मेडिकल उपकरण, आक्सीजन संयंत्र, दवाएं और रेमडिसीवर वैक्सीन उपलब्ध कराई है।
आगे बढ़ने पर सहमति
इस मौके पर एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी हुआ। जुलाई 2020 में पिछली शिखर बैठक हुई थी। उसके बाद और फिर अभी हाल में दोनों के बीच सहयोग के नए आयाम छुए गए हैं। संयुक्त बयान में इसकी सराहना की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत-यूरोपीय संघ तंत्र 2025 तक तय एजेंडे को लागू करने और आज के निर्णयों को आगे बढ़ाने पर सहमत है। बयान में स्पष्ट लिखा है—”हम इस बात पर सहमत हैं कि दुनिया के बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत और यूरोपीय संघ का बहुध्रुवीय तंत्र में दुनिया में सुरक्षा, समृद्धि और टिकाऊ विकास पक्का करने में ही साझा हित है।’ दोनों पक्ष इस दिशा में की गई प्रगति को आगे जारी रखने तथा 2030 के पेरिस समझौते के कार्य बिंदु पर सुरक्षित, हरित, अधिक डिजिटल एवं स्थिर विश्व की दिशा में साझा योगदान देने पर सहमत हैं।
बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के ट्वीट से सफ है कि चर्चा सकारात्मक रही। इससे भारत और यूरोपीय संघ के बीच मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति झलकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि भारत और यूरोपीय संघ संतुलित, महत्वाकांक्षी और एफटीए के लिए चर्चा आगे बढ़ाने पर तैयार हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 8 साल के बाद भारत तथा यूरोपीय संघ के बीच एफटीए पर चर्चा आगे बढ़ेगी। बीच में इसमें एक लंबा गतिरोध आ गया था। विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत और यूरोपीय संघ ‘स्टैंड-अलोन’ निवेश संरक्षण करार पर बात शुरू करने पर राजी हुए हैं। विदेश मंत्री जयशंकर इस शिखर वार्ता से खासे उत्साहित हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि शिखर बैठक में यूरोपीय संघ के सदस्यों ने सही अर्थों में एकजुटता प्रदर्शित की है। विदेश मंत्रालय ने समझौतों का खुलासा करते हुए बताया कि दोनों पक्षों के बीच भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी तथा पुणे मेट्रो रेल परियोजना के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों ने कोरोना सेे उपजे हालात एवं स्वास्थ्य संबंधी तैयारी के बारे में बात की।
वैक्सीन पर भारत को किसी का भाषण नहीं सुनना: मैक्रों
फ्रांस का यह कहना मायने रखता है कि वैक्सीन को लेकर भारत को किसी से कोई भाषण सुनने की जरूरत नहीं है। राष्ट्पति मैक्रों की यह टिप्पणी ऐसे समय में बहुत खास है जब भारत में ही भारत विरोधी ईकोसिस्टम भारत में बनी वैक्सीन के प्रति भारत के लोगों में भ्रम फैला रहा है और लोगों को टीका लगवाने से रोक रहा है। गत 8 मई को यूरोपीय संघ की बैठक में शामिल मोदी से मैक्रों ने कहा, भारत ने बहुत सारे देशों को वैक्सीन की मदद दी है। एक अर्थ में यह ‘मानवता’ का निर्यात ही है।
इसमें संदेह नहीं है कि कोरोना के खिलाफ इस युद्ध में पिछले दिनों भारत को यूरोपीय संघ के देशों की भरपूर मदद मिली है और यह सिलसिला थमा नहीं है। बैठक में सभी देशों ने इस बात की सराहना की कि पिछले साल कोरोना से लड़ने में भारत ने तमाम देशों की खुलकर मदद की थी। बैठक में तमाम नेताओं ने कहा कि आज की स्थिति से निपटने में भारत की हरसंभव मदद की जाएगी।
आलोक गोस्वामी
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