झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी नाकामियों को छिपाने और लोगों को गुमराह करने के लिए कह रहे हैं, ''प्रधानमंत्री ने फोन कर सिर्फ अपनी बात की, बेहतर होता वे काम की बात करते और सुनते।'' इसके बाद सोशल मीडिया में हेमंत की जबर्दस्त खिंचाई हो रही है सदियों से एक कहावत काफी प्रचलित रही है—अपनी गलती और देव का दोष। ऐसा ही कुछ झारखण्ड में भी देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। चारों तरफ अफरा-तफरी मची हुई है। ऐसे समय में भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राज्य की व्यवस्था को सुधारने से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही बयानबाजी और तंज कसते हुए देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर हर राज्य की स्थिति को समझने की कोशिश में लगे हैं। इसी क्रम में 6 मई को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात कर झारखंड की स्थिति का जायजा लिया और कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न त्रासदी के हालात पर बात की। इसके बाद हेमंत सोरेन ने 6 मई की रात को ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की और अब इसमें वे खुद ही घिर गए हैं। हेमंत सोरेन ने अपने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन कर सिर्फ अपने मन की बात की, बेहतर होता वे काम की बात करते और काम की बात सुनते। हेमंत सोरेन के इस ट्वीट ने सोशल मीडिया और राजनैतिक गलियारे में बवाल मचा दिया और वार पलटवार का खेल शुरू हो गया। सोरेन के ट्वीट के बाद झारखंड के कई बड़े राजनीतिक चेहरे और आम लोगों ने मुख्यमंत्री को इस ट्वीट पर जवाब देते हुए झारखंड की असल स्थिति से रूबरू कराया। कई लोगों ने कोरोना की वजह से झारखंड के लोगों और व्यवस्था की दुर्दशा को दिखाकर उनसे कहा कि बेहतर होता कि पहले झारखंड की जनता की ओर मुख्यमंत्री ध्यान देते। इस मौके पर भी मुख्यमंत्री को राजनीति करने से फुर्सत नहीं है। मुख्यमंत्री के ट्वीट का जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब से हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं, तब से अपनी नाकामी को छुपाने के लिए केंद्र सरकार को कोसने का काम करते रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने भी हेमंत के ट्वीट को सही नहीं माना है। उन्होंने कहा है कि हमें कोरोना महामारी के खिलाफ इस जंग में किसी पर उंगली उठाने के बजाय एक साथ मिलकर प्रधानमंत्री के हाथों को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता हमारे देश को कमजोर कर सकती है इसलिए वर्तमान स्थिति में हमें एकजुट होकर इस महामारी से लड़ने की आवश्यकता है। प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन की इस हरकत को बचपना कहा और विज्ञापन के बाजार से बाहर निकलकर धरातल पर काम करने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता कराह रही है, लेकिन मुख्यमंत्री के पास उनका दर्द भी सुनने का समय नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हेमंत सोरेन के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट काल में जहां ग़रीबों और ज़रूरतमंदों के लिए खज़ाने खोल दिए हैं, वहीं झारखंड सरकार ने अपने खज़ाने का मुंह बंद कर रखा है। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन चाहते हैं कि हर काम केंद्र सरकार करे। उन्होंने मुख्यमंत्री को अपने पद की गरिमा बनाए रखने की सलाह दी। इन आरोप—प्रत्यारोप के बीच झारखंड में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। रांची के सदर अस्पताल में 5 मई को ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित होने के बाद 5 लोगों की मौत हो गई थी। इसी अस्पताल के चौथे तल्ले पर कोविड वार्ड से दोपहर की शिफ्ट में बिना डॉक्टर और नर्स के मरीज तड़पते देखे जा रहे हैं। पिछले साल केंद्र की ओर से भेजे गए वेंटिलेटर भी नहीं लग पाए हैं। वहीं हजारीबाग जैसे जिले में 38 में से 35 वेंटिलेटर खराब होने के बाद भी महीने भर से प्रशासन उसे ठीक नहीं करा सका है। पूरे राज्य में टीकाकरण को लेकर फैली अफवाह पर भी नियंत्रण पाने में सरकार और प्रशासन पूरी तरह से नाकाम दिखाई दे रहा है। कोरोना महामारी से ज्यादा राज्य की कुव्यवस्था लोगों की मौत का कारण बन रही है। उम्मीद है कि हेमंत सोरेन बेकार की बातों में न पड़ कर राज्य के लोगों के दुख—दर्द को दूर करने के लिए कोई कारगर कदम उठाएंगे। —रितेश कश्यप
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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