श्री केदारनाथ धाम की तरह श्री बद्रीनाथ धाम का भी कायाकल्प किया जाएगा। इसके लिए 100 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पहले चरण में 100 करोड़ रुपये की लागत से क्षेत्र का बुनियादी विकास और सौंदर्यीकरण किया जाएगा। खासतौर से श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो
उत्तराखंड में श्री केदारनाथ धाम की तर्ज पर श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए बद्रीनाथ धाम में आगामी 100 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। इस पर करीब 100 रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस व इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में 6 मई, 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी, गेल तथा श्री बद्रीनाथ धाम उत्थान धर्मार्थ न्यास ने हस्ताक्षर किए।
ऐसा होगा स्मार्ट आध्यात्मिक नगर
पहले चरण में खासतौर से श्री बद्रीनाथ धाम क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो। योजना के तहत अलकनंदा नदी पर बांध बनाने के साथ मौजूदा पुलों का सौंदर्यीकरण व पुनर्निर्माण किया जाएगा। सड़क निर्माण के साथ सजावटी लाइट व सीसीटीवी लगाए जाएंगे तथा जल निकासी के लिए सीवेज व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी। इसके अलावा, तीर्थ क्षेत्र में आवासीय सुविधायुक्त गुरुकुल की स्थापना, शौचालय, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी और भित्ति चित्र आदि बनाए जाएंगे। राज्य सरकार का जोर खासतौर से तीर्थ क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर है। इसके लिए श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने, उनके ठहरने-बैठने की व्यवस्था करने के साथ बद्री ताल, नेत्र ताल का सौंदर्यीकरण एवं पार्किंग स्थल का निर्माण भी किया जाना है। इसके अलावा, व्यास गुफा, गणेश गुफा एवं चरण पादुका आदि का भी पुनर्विकास किया जाएगा। पहले चरण में अस्पतालों का विस्तार करने की भी योजना है। राज्य सरकार ने तीन साल में बद्रीनाथ धाम का कायाकल्प करने का लक्ष्य रखा है।
बद्रीनाथ धाम के विकास में तेल कंपनियों के योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार का जोर ‘होमस्टे’ को बढ़ावा देने पर है ताकि श्रद्धालुओं को सस्ती सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।
पर्यटन उद्योग को मिलेगी मजबूती
वर्चुअल माध्यम से समझौते के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 2013 में आई आपदा के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में पुनर्निर्माण कार्य शुरू किए गए थे, जो अंतिम चरण में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बद्रीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “इस देश के लोगों के हृदय में श्री बद्रीनाथ धाम का विशेष स्थान है। इसे देश के सर्वाधिक पवित्र स्थलों में एक माना जाता है। देशभर के श्रद्धालुओं को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करने के लिए विकास गतिविधियां आवश्यक हैं। हमें आशा है कि उत्तराखंड सरकार और तेल तथा गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के संयुक्त प्रयासों से तीन वर्ष की अवधि में श्री बद्रीनाथ धाम के उत्थान का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।”
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से उत्तराखंड के चार धामों का विशेष महत्व है। इसलिए श्री बद्रीनाथ तीर्थ स्थान क्षेत्र की पवित्रता व पौराणिक महत्व से समझौता किए बिना इसे मिनी स्मार्ट व आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित किया जाएगा। केदारनाथ और बद्रीनाथ की तर्ज पर भविष्य में उत्तरकाशी, यमुनोत्री और गंगोत्री का भी विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि देश की तेल और गैस क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियां बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिए आगे आई हैं। राज्य के विकास में पर्यटन उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थलों के विकास से और अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।”
राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि बद्रीनाथ धाम का धार्मिक के साथ आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे। बद्रीनाथ धाम से ऊपर ग्लेशियर से मंदिर या पूरे तीर्थ क्षेत्र को किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए खास योजना बनाई गई है। बता दें कि ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना तथा चार धाम राजमार्ग परियोजना पर भी काम चल रहा है।
पिछले साल बना था मास्टर प्लान
केदारनाथ की तर्ज पर बद्रीनाथ धाम को विकसित करने के लिए राज्य पर्यटन विभाग ने पिछले साल एक मास्टर प्लान तैयार किया था। इसके लिए स्थानीय तीर्थ पुरोहितों व स्थानीय लोगों के अलावा अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों से भी सुझाव लिए गए थे। इस मास्टर प्लान में बद्रीनाथ क्षेत्र में पूरे साल पर्यटन गतिविधियां संचालित करने संबंधी कार्य योजना शामिल की गई थी। करीब 400 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले इस मास्टर प्लान के तहत मुख्य रूप से तीर्थ क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाना था। सबसे अधिक ध्यान बदरीधाम धाम तक जाने वाले संकरे रास्ते पर दिया गया था। इसके तहत पैदल मार्ग का चौड़ीकरण करने का प्रस्ताव था ताकि श्रद्धालु दूर से ही भगवान बद्रीनाथ के दर्शन कर सकें। अभी प्रवेश द्वार पर जगह कम होने के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। इस दौरान तीर्थ क्षेत्र में दो ध्यान गुफाएं, सरस्वती घाट, शंकराचार्य समाधि स्थल, ब्रह्म कमल की नर्सरी, एक संग्रहालय, कला दीर्घा बनाने का भी प्रस्ताव था ताकि श्रद्धालुओं को दृश्य माध्यमों से भगवान विष्णु के 10 अवतारों के बारे में जानकारी दी जा सके। इस योजना के तहत बदरीनाथ सहित यहां की सभी पौराणिक एवं आध्यात्मिक स्थलों को आपस में जोड़ा जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो।
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