दिल्ली के मुख्यमंत्री का एक करीबी सैकड़ों की संख्या में आक्सीजन कंसंट्रेटर ब्लैक कर रहा है। 60—70 हजार रुपए की रकम वसूल रहा है। दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार के एक मंत्री अपने मुस्लिम समाज के लोगों को आक्सीजन बांटकर नई जिन्दगी दे रहा है। क्या इन सभी खुलासों के बाद भी दिल्ली में आक्सीजन की कमी से जो मौते हुई हैं, उसकी जिम्मेवारी दिल्ली के मुख्यमंत्री को नहीं ले लेनी चाहिए ?
दिल्ली स्थित शाहीन बाग में जब कुछ अराजक तत्व आम आदमी का रास्ता रोक कर बैठ गए थे, उन दिनों डीएस बिन्द्रा नाम का व्यक्ति बड़ी चर्चा में आया था। वह मुसलमानों को शाहीन बाग में लंगर खिला रहा था। वास्तव में डीएस बिन्द्रा जिसे लंगर खिला रहा था, उसे खैरात तो कहा जा सकता है, लेकिन लंगर नहीं। क्योंकि मुसलमान लंगर कैसे खा सकते हैं, क्योंकि लंगर में खाने वाले को समर्पित होना होता है। पाने के लिए झुकना पड़ता है। मुसलमानों को अल्लाह के अलावा किसी और के सामने झुकने की इजाजत ही नहीं है। फिर वे वाहे गुरु को स्मरण कर कैसे सिर नवा सकते हैं ?
डीएस बिन्द्रा व्यक्ति नहीं है, वह एक प्रवृत्ति का नाम है। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक दिल्ली के दंगों में उसने भूमिका निभाई। उस भीड़ को उकसाने का काम किया, जिस भीड़ ने कांस्टेबल रतनलाल की हत्या की। डीएस बिन्द्रा का एक वीडियो भी उन दिनों वायरल हुआ, जिसमें वह नमाज अदा कर रहा है।
यकीनन खालिस्तानी और इस्लामिक संगठनों के बीच साठगांठ को शाहीन बाग में देखा गया। इस आंदोलन में काफी कुछ स्पष्ट हुआ। दिल्ली सीमा पर इस्लामिक आतंकी संगठनों से मदद मिलने की खबर भी सामने आई। सिख समाज के बीच से डीएस बिन्द्रा जैसे लोगों का निकलना और उनका असदुद्दीन ओवैसी के एजेन्ट के तौर पर काम करना और उनके प्रभाव में आकर नमाज पढ़ना, सामान्य बात नहीं थी।
जब दिल्ली ने शाहीन बाग में नमाज पढ़ने वाला एक सिख देख लिया था तो फिर रमजान के अंतिम जुमे के दिन 7 मई को दक्षिणी दिल्ली के ‘खान चाचा रेस्टोरेन्ट’ के मालिक के तौर पर नवनीत कालरा का चेहरा सामने देखकर उसे क्या आश्चर्य होता ? दिल्ली पुलिस ने छापा मारकर कालरा के रेस्टोरेन्ट से भारी मात्रा में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किए। छापेमारी के बाद पुलिस ने रेस्टोरेंट को सील कर दिया है। खान चाचा रेस्टोरेन्ट का मालिक फरार है।
ट्विटर पर वामपंथी इको सिस्टम के सक्रिय खातों पर मुद्दा यह नहीं है कि खान चाचा रेस्टोरेंट जैसे नामी गिरामी रेस्टोरेंट का मालिक आक्सीजन कंसंट्रेटर ब्लैक कर रहा है बल्कि निष्पक्ष जमात इस बात की खुशी मना रहा है कि खान चाचा रेस्टोरेंट का मालिक मुसलमान नहीं, सिख है। दिल्ली पुलिस ने अलग—अलग छापों में एक हजार से अधिक आक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किए हैं।
भाजपा प्रवक्ता तेजिन्दर पाल सिंह बग्गा के अनुसार , ”जिस नवनीत कालरा के पास 500 आक्सीजन कंसंट्रेटर पकड़ा गए हैं, वह केजरीवाल का खास मित्र है। केजरीवाल ने 2021 में दिल्ली के 50 निर्माताओं में इसका नाम घोषित किया था, केजरीवाल ने उसे अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित भी किया था।”
वजीराबाद गांव के सिद्धार्थ जनरल स्टोर के मालिक सिद्धार्थ झा को अपनी मां के लिए आक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत थी। काफी प्रयास के बाद जब बाजार में उन्हें उपलब्ध ना हो सका तो अंत में उन्हें ब्लैक करने वाले गिरोह की शरण में जाना पड़ा। गिरोह के लोगों ने उन्हें मोती बाग बुलाया। वहां से उन्हें गुड़गांव ले जाया गया। 95,000 रुपए में जो आक्सीजन कंसंट्रेटर उन्हें उपलब्ध कराया गया, वह घर पर आकर नहीं चला। सिद्धार्थ अपनी मां को भी नहीं बचा पाए। इस बात पर क्या अब भी कोई बहस है कि आक्सीजन कंसंट्रेटर को ब्लैक करने में लगे केजरीवाल के लोग दिल्ली वालों की जान से खेल रहे हैं। ऐसे लोगों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए या नहीं ?
केजरीवाल सरकार में मंत्री इमरान हुसैन अपने समुदाय के लोगों के बीच आक्सीजन बांटते हुए एक फेसबुक पोस्ट पर नजर आए। उनके खिलाफ ऑक्सीजन की जमाखोरी करने का आरोप लगा है। इस मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंत्री को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने कहा कि 8 मई को मंत्री सुनवाई के दौरान खुद पेश होकर बताएं कि जो आक्सीजन वे बांट रहे हैं, उस ऑक्सीजन की व्यवस्था उन्होंने कहां से की ? इस मामले में केजरीवाल सरकार को भी नोटिस जारी किया गया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री का एक करीबी सैकड़ों की संख्या में आक्सीजन कंसंट्रेटर ब्लैक कर रहा है। 60—70 हजार रुपए की रकम वसूल रहा है। दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार का एक मंत्री अपने मुस्लिम समाज के लोगों को आक्सीजन बांटकर नई जिन्दगी दे रहा है। क्या इन सभी खुलासों के बाद भी दिल्ली में आक्सीजन की कमी से जो मौते हुई हैं, उसकी जिम्मेवारी दिल्ली के मुख्यमंत्री को नहीं ले लेनी चाहिए ? मुख्यमंत्री के प्रियजनों से लेकर मंत्री तक को आक्सीजन उपलब्ध है लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बिस्तर पर आक्सीजन के लिए दम तोड़ रहे मरीजों को आक्सीजन नहीं दिला पाए।
आशीष कुमार ‘अंशु’
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