कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने जब पांव पसारा तो संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों से निकलना बंद कर दिया. इस बीच ऐसा भी देखने में आया कि अगर किसी की मृत्यु हो गई तो संक्रमण के डर से रिश्तेदार भी मदद करने नहीं आये. ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस ने आधी रात में मरीजों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाया तो कभी अंतिम संस्कार करवाया
94 वर्ष के किशन प्रकाश अग्रवाल अपने घर पर ही आइसोलेट हैं. ऐसे में उन्हें अचानक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी. उनके परिजन आक्सीजन गैस लेने सोनभद्र से सिंगरौली के लिए गाड़ी लेकर निकले लेकिन अचानक लोढ़ी स्थित कोविड अस्पताल के चिकित्सकों से उनका संपर्क टूट गया जबकि उनके पास कुछ ही घंटे का ऑक्सीजन बैक अप शेष था. सूचना मिलते ही जिलाधिकारी अभिषेक सिंह और पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रभारी निरीक्षक शक्तिनगर निर्देशित किया. स्थानीय पुलिस ने रात में करीब पौने दो बजे सिंगरौली स्थित आपूर्तिकर्ता से आक्सीजन सिलेंडर लोड करवा कर अस्पताल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
सिद्धार्थनगर के डुमरियांगज में चंद्र शेखर बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे. ऐसे में गत 30 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई. कोरोना के डर से गांव का कोई भी व्यक्ति शव का दाह संस्कार और कंधा देने को तैयार नहीं था. ऐसे में सोशल मीडिया के माध्यम से जब इसकी सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय को मिली तो तत्काल सीएम योगी के आदेश पर एसपी सिद्धार्थनगर मौके पर पहुंचे. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव का धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार कराया.
बदायूं में गत 28 अप्रैल को देर रात एक युवक ने कोतवाली इंस्पेक्टर को फोन किया. युवक ने बताया कि उसके पिता जी की तबीयत बहुत खराब है. अगर उन्हें रात में ही ऑक्सीजन नहीं मिली तो उनकी हालत ज्यादा बिगड़ सकती है. जिसके बाद तत्काल प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ने रात में ही ऑक्सीजन का इंतजाम किया.
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