भारतीय रेल इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती कोरोना महामारी के विरुद्ध महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। रेलवे दर्जनों ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से देशभर में चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ 70,000 आइसोलेशन बिस्तर भी उपलब्ध करा चुकी है। साथ ही, रेलवे की ओर से मरीजों को खान-पान सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। यही नहीं, रेलवे लगातार ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला कर राज्यों को ऑक्सीजन पहुंचा रही है। पिछले साल कोरोना की पहली लहर के विरुद्ध लड़ाई में भी रेलवे ने पीपीई किट, सैनिटाइजर और मास्क का रिकॉर्ड उत्पादन किया था।
4,400 डिब्बों में 70,000 आइसोलेश बिस्तर तैयार
कोरोना की दूसरी लहर के विरुद्ध लड़ाई में रेलवे ने अभी तक 4,400 से अधिक कोचों में 70,000 आइसोलेशन बिस्तर तैयार किए हैं। राज्यों की मांग पर इन्हें एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। इसके लिए संबंधित जिला प्राधिकरण और रेलवे के बीच त्वरित समझौते भी किए जा रहे हैं। इसमें साझा दायित्व और कार्य योजना शामिल है। इसके अलावा, रेलवे कोविड ड्यूटी पर तैनात राज्यों के चिकित्साकर्मियों को पहुंचा रही है और आइसोलेशन कोच के आसपास रेलवे प्लेटफार्म पर रैम्प भी बना रही है ताकि बिना किसी बाधा के मरीजों, चिकित्साकर्मियों और चिकित्सा संबंधी सामानों को कोविड-19 कोचों तक पहुंचाया जा सके। यही नहीं, रेलवे ने आइसोलेशन कोचों के आसपास शिविर भी लगाए हैं।
कहां—कितने आइसोलेशन कोच
गुजरात के साबरमती और चंडलोडिया में 19 आइसोलेशन कोच तैनात किए गए हैं। महाराष्ट्र के पालघर में 378 बिस्तरों वाले 21 तथा मध्य प्रदेश के जबलपुर में 70 बिस्तरों वाले 5 कोविड देखभाल कोच, इंदौर के पास तीही में 320 बिस्तरों वाले 22 कोच, भोपाल में 302 बिस्तरों वाले 20 देखभाल कोच उपलब्ध कराए गए हैं। इसी तरह, नगालैंड के दीमापुर में 10 आइसोलेशन कोच तथा देश के विभिन्न हिस्सों में 14 स्टेशनों पर 232 आइसोलेशन कोच सेवाएं दे रहे हैं, जिनकी कुल बिस्तर क्षमता 4,000 से अधिक है और अन्य 4,176 आइसोलेशन कोच भी उपयोग के लिए उपलब्ध हैं। इसके अलावा, रेलवे ने आपात स्थिति से निपटने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के दो सेट भी उपलब्ध कराए हैं। दिल्ली की मांग पर रेलवे ने 75 कोविड देखभाल कोचों की मांग पूरी की है, जिनकी कुल क्षमता 1200 बिस्तरों की है। इनमें 50 कोच शकूरबस्ती में तथा 25 आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर तैनात किए गए हैं। इनमें अभी 1199 बिस्तर खाली हैं। हालांकि अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोविड देखभाल कोचों की मांग नहीं आई है, फिर भी रेलवे ने फैजाबाद, भदोही, वाराणसी, बरेली और नजीबाबाद में 10-10 कोच उपलब्ध करा दिए हैं। इन सभी 50 कोचों की कुल क्षमता 800 बिस्तरों की है।
34 ऑक्सीजन एक्सप्रेस का संचालन
रेलवे ने 34 ऑक्सीजन एक्सप्रेस से 137 टैंकरों में 2067 मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) की ढुलाई की है। इसमें से 707 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिल्ली, 174 मीट्रिक टन महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश को 641 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश को 190 मीट्रिक टन, हरियाणा को 229 मीट्रिक टन, तेलंगाना को 123 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचाई जा चुकी है।
ऑक्सीजन उत्पादन में इस्पात उद्योग आगे
कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में इस्पात उद्योग भी शानदार काम कर रहा है। अप्रैल के मध्य में जहां इस्पात क्षेत्र रोजाना औसतन 1500 से 1700 मीट्रिक टन एलएमओ का उत्पादन कर राज्यों को भेज रहा था, जो 25 अप्रैल को बढ़कर 3,131.84 मीट्रिक टन हो गया। इस्पात संयंत्रों ने 5 अप्रैल को 3,680 मीट्रिक टन एलएमओ का उत्पादन किया और देशभर में 4,076 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की। इस्पात, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की इस्पात कंपनियों के साथ बैठक कर उनसे ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के साथ हर तरह की संभव कोशिश करने की अपील की थी। साथ ही, इस्पात क्षेत्र की कंपनियों से स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिए ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों तथा बड़े कोविड देखभाल सुविधाएं भी विकसित करने को कहा था। अकेले देश की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) भिलाई, राउरकेला, बोकारो, दुर्गापुर व बर्नपुर स्थित अपने संयंत्रों से अब तक 50,000 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन आपूर्ति कर चुकी है। अप्रैल में इसने 15 राज्यों को 17,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की।
टिप्पणियाँ