Intro: कंगना राणावत का ट्विटर एकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है। खैर बात यहां कंगना या उनके एकाउंट की नहीं है जहां हम हैशटैग वाले पैंतरे की बात करेंगे। यहां सवाल उससे भी बड़ा है। क्या यहां किसी व्यक्तिगत स्तर पर कोई बड़ा मुद्दा कभी नहीं उठाया जा सकता है
पिछले कई सालों से ये देखा गया है कि ट्विटर एक ऐसे मंच के रूप में उभरा है जो पूर्ण रूप से एक पक्षपाती सोशल मीडिया मंच बन चुका है। यहां लिखे हुए शब्दों से कठोर ट्विटर की कार्यवाही है। कोई भी मंच ये अधिकार रखता है कि वो किसी को अपने मंच का प्रयोग करने दे या नहीं! परंतु इसी देश के अंदर व्यापार करते हुए यदि एक तथाकथित ‘न्यूट्रल’ मंच पक्षपाती बन एजेंडाधारी बन जाता है तब प्रश्न आवश्यक हो जाते हैं।
कंगना के ट्विटर एकाउंट ये बोलते हुए सस्पेंड कर दिया गया कि यह ट्विटर के गाइडलाइन्स के खिलाफ है। सच बताएं तो ट्विटर खुद अपनी गाइडलाइन्स के खिलाफ है। उसका अस्तित्व ही उसके गाइडलाइन्स के खिलाफ हैं यदि ऐसा न होता तो शरजील उस्मानी जैसे लोग ‘ब्लू टिक वेरिफाइड’ एकाउंट पाए हुए किसी की मृत्यु का मज़ाक बनाकर अभी तक मंच पर टिके न होते। लगातार भ्रामक और झूठी खबरे फैलाने वाले लगातार वेरीफाई किये जा रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे ट्विटर ने खुलेआम अब सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया हो।
आखिर कंगना ने लिखा क्या था। कंगना ने एक आम भारतीय की तरह बंगाल में हो रही राजनैतिक हिंसा और लोकतांत्रिक मूल्यों के चीरहरण पर ममता बनर्जी से सवाल पूछे थे। इसको ट्विटर ने शायद व्यक्तिगत रूप से ले लिया और उनका एकाउंट सस्पेंड कर दिया गया।गाइडलाइन्स के मुताबिक आप जो भी तर्क दें, लेकिन एक जनप्रतिनिधि से राज्य की खराब व्यवस्था के खिलाफ सवाल पूछना आखिर किसी की मृत्यु की कामना करते हुए हंसते हुए लोगों से ज्यादा कैसे है ?
शरजील उस्मानी के लगातार बढ़ते हुए फॉलोवर्स बताते हैं कि एक इकोसिस्टम बनाने का बड़ा मंच अब ट्विटर बन चुका है। वह अब कोई निष्पक्ष सोशल मीडिया मंच नहीं रह बल्कि एक खास विचारधारा को पोषण देने वाला हथियार बन चुका है। TMC के गुंडों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, महिलाओं का बलात्कार कर निर्मम हत्या, घर जलाना, परिवार तबाह कर देना जैसी घटनाओं को समर्थन देकर इसके “जैसी करनी वैसी भरनी” जैसी भौंडी और निर्लज्ज जुमलेबाजी करने वाले ये लोग अभी तक ट्विटर के मंच की शोभा बढ़ा रहे हैं। शायद ट्विटर के जैक डार्सी ये मान चुके हैं कि अब तो ऐसे ही काम चलेगा।
क्या ट्विटर ने आज तक किसी दूसरे एकाउंट को ऐसे सस्पेंड किया? अमेरिकी पैसों और सरकारों पर पोषित डिजिटल मंच हमारे देश के भीतर अभिव्यक्ति की आज़ादी का शोषण कैसे कर सकते हैं? सिर्फ यदि मंच आपका है तो इस प्रकार का पक्षपात करेंगे?
किसी एक विचारधारा के लोगों का लगातार ट्विटर से गायब हो जाना या उनका एकाउंट सस्पेंड हो जाना बताता है कि इस समय यह सोशल मीडिया मंच किस प्रकार से कुछ सरकारों की राजनैतिक मशीनरी बन चुके हैं।
केंद्र सरकार की चुप्पी भी बहुत सवाल खड़े करती है। आखिर पिछली बार चेतावनी देने के बाद भी ऐसा कैसे हो गया? गनीमत समझिए कि यह कंगना का एकाउंट था इसलिए इतना हंगामा और बहस चल रही है लेकिन ऐसे कई छोटे एकाउंट्स के साथ ऐसा रोज़ होता है।
ऐसा कर के ट्विटर ने साफ संदेश दिया है कि हम ऐसा ही करेंगे। आपको जो करना है, कर लीजिये। और यदि सामर्थ्य है, तो हमें प्रतिबंधित कर दीजिए।
अब केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना ही होगा कि इस देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा होगी या नहीं ?
राहुल कौशिक
टिप्पणियाँ