जैसे ही अमेरिका ने अपनी सेनाओं को अफगानिस्तान से वापस हटाने की घोषणा की वैसे ही आतंकी संगठन तलिबान ने वहां हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान ने पिछले 24 घंटों में 141 जगहों पर हमले किए हैं। इन हमलों में 226 लोगों की मौत हुई
अफगानिस्तान पिछले कई दशकों से गृहयुद्ध झेल रहा है। इतने दशकों बाद भी वहां शांति स्थापित होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। अमेरिका वहां से अपनी सेनाओं के वापस किए जाने की घोषणा की है। जैसे ही अमेरिका ने घोषणा की तालिबान ने हमले तेज कर दिए। पिछले 24 घंटे में 141 जगहों पर भीषण हमले किए हैं। अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 157 सुरक्षाकर्मियों समेत 226 लोग मारे गए हैं।
सरकार का दावा है कि उसने भी जोरदार कार्रवाई करते हुए 100 से ज्यादा तालिबान आतंकियों को मार गिराया है। पिछले 30 दिन में 428 सुरक्षाकर्मी और आम नागरिक मारे गए हैं। वहीं 500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 190 जगहों पर बम विस्फोट हुए हैं। ताजा घटना में पश्चिमी अफगानिस्तान में एक स्कूल के पास सोमवार को बम विस्फोट किया गया जिसमें 21 लोग घायल हो गए। घायलों में अधिकतर छात्र हैं।
ज्यादातर तालिबानी हमले उरुजगन, जाबुल, कंधार, नानगरहर, बदख्शान और ताखर क्षेत्र में हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन के अफगानिस्तान से वापसी के ऐलान के बाद तालिबान ने अपने हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भरपूर समर्थन मिल रहा है। अमेरिका के वरिष्ठ सांसद और राष्ट्रपति बाइडन के खास जैक रीड ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के हार का ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ा है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान के जड़ें जमाने के पीछे की वजह पाकिस्तान में मौजूद उसकी सुरक्षित पनाहगाह हैं। पाकिस्तान में सुरक्षित अड्डा होने और इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) जैसे संगठनों के जरिए वहां की सरकार का समर्थन मिलने से तालिबान मजबूत होगा गया। हम पाकिस्तान में मौजूद तालिबान के सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट नहीं कर पाए, यही विफलता इस जंग में हमारी सबसे बड़ी गलती साबित हुई है।
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