कोरोना की विभीषिका से लड़ने की जगह दिल्ली सरकार मैदान छोड़कर भाग रही
July 23, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

कोरोना की विभीषिका से लड़ने की जगह दिल्ली सरकार मैदान छोड़कर भाग रही

by WEB DESK
May 3, 2021, 11:02 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गत शनिवार को जब अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के मैक्स में भर्ती होने की खबर सामने आई, तो दिल्लीवासियों को एक बार फिर सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या उनके परिवार वालों की जान की कोई कीमत नहीं है ? उन्हें बिस्तर नहीं मिल पा रहा फिर केजरीवाल अपनी पत्नी के लिए बिस्तर का इंतजाम कैसे कर रहे हैं ? क्या दिल्ली वालों के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नहीं बनती ? दिल्ली भी तो उनका परिवार ही है

दिल्ली एनसीआर में अस्पतालों के अंदर आम आदमी को बिस्तर नहीं मिल पा रहा। लोग दवाओं के लिए भटक रहे हैं। आक्सीजन सिलेन्डर के लिए एक दूसरे को फोन कर रहे हैं। जीवन रक्षक दवाओं के लिए मारामारी है। दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री सिर्फ प्रेस कांफ्रेन्स करते हुए नजर आ रहे हैं। गत शनिवार को जब केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के मैक्स में भर्ती होने की खबर सामने आई, इस बात ने परिजनों के लिए अस्पतालों में धक्के खा रहे दिल्ली वालों को एक बार सोचने पर जरूर विवश कर दिया कि क्या उनके परिवार वालों की जान की कोई कीमत नहीं है ? उन्हें बिस्तर नहीं मिल पा रहा फिर केजरीवालजी अपनी पत्नी के लिए बिस्तर का इंतजाम कैसे कर रहे हैं ? क्या दिल्ली वालों के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नहीं बनती ? दिल्ली भी तो उनका परिवार ही है, जिसने उन्हें अपना मुखिया चुना है, लेकिन दिल्ली के मुखिया सुनीता केजरीवाल के लिए अपनी जिम्मेवारी तो समझ रहे हैं, लेकिन दिल्ली वालों के लिए अपनी जिम्मेवारी नहीं निभा पा रहे।

26 नवम्बर, 2012 को केजरीवाल आम आदमी का प्रतिनिधि बनकर चुनाव के मैदान में उतरे थे। केजरीवाल से दिल्ली वालों की अपेक्षा यही थी कि जब तक दिल्ली के एक—एक व्यक्ति को अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल जाता, वे अपने परिवार के किसी भी व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती नहीं होने देंगे। जब दिल्ली वालों को घर पर रहकर कोविड से लड़ने की सलाह दी जा रही है। कहा जा रहा है कि अस्पताल में आने की जल्दी ना करें फिर सीएम की पत्नी घर पर रहकर कोविड से यह लड़ाई जीत जाती हैं तो क्या यह बात दिल्ली वालों के लिए प्रेरणा नहीं बनती ? या दिल्ली वालों के लिए कोविड—19 के अलग नियम हैं और सीएम की पत्नी के लिए अलग कायदा ?

दिल्ली का हाल बहुत बिगड़ चुका है। ऐसी स्थिति में भाजपा सांसद गौतम गंभीर कोविड—19 के दौरान आक्सीजन का स्तर बिगड़ जाने पर मेडिकल आक्सीजन ना मिलने की स्थिति में अपने संसदीय क्षेत्र में लोगों को आक्सीजन कान्सट्रेटर उपलब्ध करा रहे हैं। गौतम गंभीर निजी प्रयासों से जब लोगों की मदद कर सकते हैं तो केजरीवाल क्यों नहीं ? केजरीवाल ने पूरे महीने दिल्ली को तड़पते हुए छोड़ दिया और सिर्फ केन्द्र पर आरोप लगाते रहे। उनकी इस अकर्मण्यता की सजा दिल्ली को भुगतनी पड़ी। बीते 14 दिनों में दिल्ली के अंदर 2 लाख 16 हजार कोविड के मामले प्रकाश में आए और कोविड 19 की वजह से 16559 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई।

आंकड़े इससे कई गुणा अधिक और भयावह हैं। दिल्ली का कोई भी श्मशान खाली नहीं। शवों को लेकर लोग एक श्मशान से दूसरे श्मशान के चक्कर लगा रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गए कि कुत्तों के श्मशान को आदमियों के अंतिम संस्कार लिए तैयार किए जाने की नौबत आ गई। यह श्मशान द्वारका में 50 प्लेटफॉर्म के साथ तैयार किया जा रहा है। श्मशान घाटों पर छह—आठ घंटों तक शव को लेकर परिजनों को दिल्ली में इंतजार करना पड़ रहा है, उसके बाद अंतिम संस्कार का नंबर आ रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री आम आदमी की पीड़ा को इसलिए नहीं समझ पा रहे क्योंकि अपनी पत्नी को एम्बुलेन्स में लेकर उन्हें दिल्ली के अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़े।

आम आदमी पार्टी वर्कर चुनावों के समय गली—गली में पर्ची लेकर सक्रिय मिलते हैं। कोविड 19 की महामारी में जब दिल्ली को पार्टी वॉलंटियर की सबसे अधिक जरूरत है तो उनकी कोई खबर ही नहीं मिल पा रही है।

क्या दिल्ली सरकार के पास उन परिवार के लिए कोई योजना है, जहां दो वक्त की रोटी के लिए परिवार को पूरे दिन कमर तोड़ मेहनत करनी पड़ती है और लाकडाउन के दौरान उस परिवार के पास काम नहीं है। घर में खाने को नहीं है। ऐसे में कोई कोविड 19 का मरीज निकल आए तो वह परिवार कहां जाए ? किससे संपर्क करे ? कोई योजना है सरकार के पास ऐसे परिवारों के लिए ? विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च करने वाली दिल्ली सरकार के पास राजधानी में भूख से जूझ रहे परिवारों के लिए पैसा नहीं है। क्या दिल्ली के लिए बनी इस परिस्थिति को हम यहां के लोगों के हिस्से में आए दुर्भाग्य में गिन सकते हैं ?

गौतम गंभीर ने कोविड काल में अपने क्षेत्र के लोगों की आक्सीजन की जरूरत को समझा। इस जरूरत को समझते हुए उन्होंने 200 आक्सीजन कन्सन्ट्रेटर की व्यवस्था की। अब जिन्हें जरूरत है, उन्हें निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है और जरूरत पूरी हो जाने के बाद वापस करने का उनसे वादा लिया जा रहा है। जिससे वह किसी दूसरे जरूरतमंद तक पहुंचाया जा सके। गौतम गंभीर दिल्ली सरकार से सही सवाल पूछ रहे हैं— ना दिल्ली सरकार के पास कोविड 19 के मरीजों के लिए बिस्तर है। ना कोविड सेन्टर है। ना आक्सीजन है। फिर कोविड 19 की समस्या से लड़ने के लिए क्या है दिल्ली के पास ?”

केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए जबकि वे भाग रहे हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय केजरीवाल से जानना चाहती है कि अचानक कोविड जांच की दर शहर में इतनी कम कैसे हो गई ? जबकि अभी जांच से लेकर ईलाज के मोर्चे पर डंटने का समय है और दिल्ली की सरकार लड़ने के समय मैदान छोड़ कर भाग रही है। उन्हें गौतम गंभीर से सीखना चाहिए कि कैसे इतने कम संसाधनों में वे हौसले के दम पर अपने क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए मैदान में हैं।

आशीष कुमार ‘अंशु’

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

व्हेल और डॉल्फिन : महासागर के महारथियों का अद्भुत संसार

ब्रिटिश-अफ्रीकी यूट्यूबर सेंजो न केवल धर्म का उपहास उड़ाते हुए मांस खा रहा था, बल्कि उसने वहां बैठी महिलाओं और अन्य भक्त कर्मचारियों को भी वह खाने की पेशकश की

लंदन इस्कॉन के रेस्टोरेंट में बेशर्मी से मांस खाने वाले के विरुद्ध लोगों का भड़का गुस्सा, अब दोषी मांग रहा माफी

Suprime Court

सुप्रीम कोर्ट करेगा राष्ट्रपति के 14 सवालों पर विचार

निर्माण कार्य में लगे लोगों और पुलिस पर पथराव करतीं मुस्लिम महिलाएं

जैसलमेर के बासनपी गांव में वीरों की छतरियों का पुनर्निर्माण कर रहे लोगों पर उन्मादी मुसलमानों का हमला

पाक पर 500 KG बम गिराने वाला विमान 60 साल की सेवा के बाद विदाई की ओर….जानिये इसकी 15 खासियतें

Kanwar Yatra

कांवड़ मेला: 4 करोड़ से ज्यादा शिवभक्तों की उमड़ी भीड़, मेले के बाद भी नहीं थम रहा आस्था का सैलाब

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

व्हेल और डॉल्फिन : महासागर के महारथियों का अद्भुत संसार

ब्रिटिश-अफ्रीकी यूट्यूबर सेंजो न केवल धर्म का उपहास उड़ाते हुए मांस खा रहा था, बल्कि उसने वहां बैठी महिलाओं और अन्य भक्त कर्मचारियों को भी वह खाने की पेशकश की

लंदन इस्कॉन के रेस्टोरेंट में बेशर्मी से मांस खाने वाले के विरुद्ध लोगों का भड़का गुस्सा, अब दोषी मांग रहा माफी

Suprime Court

सुप्रीम कोर्ट करेगा राष्ट्रपति के 14 सवालों पर विचार

निर्माण कार्य में लगे लोगों और पुलिस पर पथराव करतीं मुस्लिम महिलाएं

जैसलमेर के बासनपी गांव में वीरों की छतरियों का पुनर्निर्माण कर रहे लोगों पर उन्मादी मुसलमानों का हमला

पाक पर 500 KG बम गिराने वाला विमान 60 साल की सेवा के बाद विदाई की ओर….जानिये इसकी 15 खासियतें

Kanwar Yatra

कांवड़ मेला: 4 करोड़ से ज्यादा शिवभक्तों की उमड़ी भीड़, मेले के बाद भी नहीं थम रहा आस्था का सैलाब

आज का इतिहास

“तारीख बोल उठी”, जानिये 23 जुलाई का इतिहास: आज ही के दिन गूंजी थी “आकाशवाणी”

मौलाना छांगुर

भदोही: मुस्लिम पत्नी और ‘छांगुर गैंग’ ने इस्लाम कबूलने का बनाया दबाव, चाकू की नोंक पर पढ़वाया कलमा

बाल गंगाधर तिलक

लोकमान्य तिलक जयंती पर विशेष : स्वराज के संघर्ष ने बनाया ‘लोकमान्य’

मां जगरानी देवी और चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद की मां की दुखभरी कहानीः मूर्ति तक न लगने दी कांग्रेस ने

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies