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केंद्र सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई)’ को प्रतिबंधित संगठन की सूची में डालने की तैयारी में है। ज्ञात हो कि इस कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को पहले ही कई राज्यों में प्रतिबंधित किया जा चुका है। गत बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई। राज्य सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि केरल का पत्रकार सिदृदीक कप्पन पीएफआई से जुड़ा है और पीएफआई के कर्ताधर्ताओं के प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े होने की सूचना मिली है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने मेहता से सवाल किया कि क्या पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया है ? इसके जवाब में मेहता ने कहा, ‘कई राज्यों में पीएफआई प्रतिबंधित है। मेरी सूचना के अनुसार केंद्र भी इसे प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया में है।’ इस पर पीठ ने कहा, ‘यह अभी तक प्रतिबंधित नहीं है।’ इस पर पिछले साल दिसंबर में दाखिल एक हलफनामा पढ़ते हुए मेहता ने जवाब में कहा— नहीं।
ज्ञात हो कि पीएफआई से कथित तौर पर संबंध रखने के आरोप में चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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