दिल्ली में अब ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। शहर की आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन यहां उपलब्ध है। उसके बावजूद एक कोविड सेन्टर ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में प्रारंभ नहीं हो पाया। क्या यह केजरीवाल सरकार के लिए शर्मिन्दगी की बात नहीं होनी चाहिए।
संत निरंकारी में आज से कोविड अस्पताल खुलना था । उसका विज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल हुआ । जिसमें लिखा गया था कि ‘‘संत निरंकारी कोविड सेन्टर बुराड़ी आज तीन बजे से शुरू होगा। बेड और ऑक्सीजन उपलब्ध है। एंट्री गेट नंबर आठ है।’’
विज्ञापन वायरल होने के साथ ही आस-पास के लोग कोविड सेन्टर के दरवाजे पर पहुंचने लगे, लेकिन वे सभी निराश हुए। जब बताया गया कि सेन्टर आज नहीं खुल रहा। संत निरंकारी समिति ने कोविड अस्पताल के लिए बिस्तर तैयार करके रखा था, लेकिन दिल्ली सरकार ऑक्सीजन और वेंटीलेटर नहीं लगा पाई। अपनी इस तरह की तमाम अकर्मण्यताओं को पिछले पन्द्रह दिनों से दिल्ली सरकार छिपाने के लिए तरह-तरह के झूठ रच रही है। अपने झूठ को उन्होंने विज्ञापन का सहारा
दिया है।
अब निरंकारी कोविड अस्पताल को प्रारंभ होने में तीन से छह दिनों का समय लग सकता है। इस संबंध में फोन पर वहां सेक्शन ऑफिसर मेओ सिंह से बात हुई। उनका कहना था कि वे संत निरंकारी मिशन से जुड़े हैं। बकौल सिंह- ‘‘ मिशन को अस्पताल के लिए जमीन, बिस्तर, खाने-पीने का इंतजाम करके देना था। वह हम कर चुके हैं। आगे दिल्ली सरकार यहां की व्यवस्था लेने के बाद हो सकता है कि हेल्प लाइन नंबर भी बदल दे लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से इस सेन्टर को प्रारंभ करने में देरी हो रही है। यहां मरीजों को एडमिशन दिल्ली सरकार को ही देना था। मरीजों के लिए ऑक्सीजन और वेंटीलेटर का इंतजाम दिल्ली सरकार को करना है। इतना भी दिल्ली की सरकार नहीं कर पा रही है।’’
दिल्ली में अब ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। शहर की आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन यहां उपलब्ध है। उसके बावजूद एक कोविड सेन्टर ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में प्रारंभ नहीं हो पाया। क्या यह केजरीवाल सरकार के लिए शर्मिन्दगी की बात नहीं होनी चाहिए।
तिमारपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडेय खुद कोविड के शिकार हैं। उनके टवीटर अकाउंट पर अब उनके नाम की जगह – ‘‘मास्क लगायें, बेहद जरूरी हो तो ही बाहर जाएं’ लिखा मिलता है।
24 अप्रैल को दिलीप पांडेय ने ट्वीट किया – ‘‘कुछ दिन ऐसे मायूस और दिल तोड़ने वाले होते हैं। आज ‘आप’ तिमारपुर के अध्यक्ष अमितजी की धर्मपत्नी और तिमारपुर के कांग्रेस नेता कप्तान सिंह सांगवान जी (पार्षद अमरलताजी सांगवान के पति), दोनों कोरोना के निर्मम हाथों अपनी जिंदगी हार गये। पीड़ा की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएँ परिवार के साथ है।’’
इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस क्षेत्र में नेता सुरक्षित नहीं हैं, वहां आम आदमी का क्या हाल होगा ? उसके बावजूद कोविड केन्द्र की तैयारी में दिल्ली सरकार इतनी लापरवाही कर रही है।
एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन 27 अप्रैल, दिन मंगलवार को करीब 70 टन ऑक्सीजन की कुल क्षमता वाले चार टैंकरों को लेकर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से दिल्ली पहुँची। यह जानकारी केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट
करके दी।
अब दिल्ली में ये ऑक्सीजन ट्रेन से आ चुकी है। यह ऑक्सीजन दिल्ली की जरूरतों से कहीं अधिक है। पीयूष गोयल ने ग्रीन कारीडोर बनाकर दिल्ली तक विशेष व्यवस्था करके ऑक्सीजन पहुंचा दी। अब आगे की जिम्मेवारी केजरीवाल सरकार की है। उसे ऑक्सीजन के वितरण का काम संभालना है। ऐसे में यदि अस्पताल तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही तो दिल्ली सरकार को जवाब देना चाहिए।
जवाब तो दिल्ली सरकार को गृह सचिव, केन्द्र सरकार को भी देना होगा। दिल्ली की सरकार को जवाब देना है कि जब आईनॉक्स के पास 45 अस्पतालों को ऑक्सीजन पहुंचाने की जिम्मेवारी थी फिर दिल्ली सरकार ने उसे 17 अस्पतालों को ही ऑक्सीजन पहुंचाने का आदेश क्यों दिया ? दिल्ली के शेष 28 अस्पतालों को बिना ऑक्सीजन के किसके भरोसे छोड़ा ?
25 अप्रैल 2021 को लिखी गई यह चिट्ठी, दिल्ली सरकार के पास पहुंच गई होगी। अब देखिए दिल्ली में हुई मौतों पर दिल्ली सरकार का जवाब क्या आता है ?
आईटीबीपी कोविड केयर सेन्टर, छत्तरपुर को लेकर भी कई तरह की बातें कही जा रही है। आईटीबीपी का मेडिकल स्टाफ और एडमिन का काम वहां शानदार चल रहा है। वहां मरीजों की भर्ती और उनके पंजीकरण का काम पूरी तरह से दिल्ली सरकार के अन्तर्गत है। यदि वहां आए किसी रोगी को बिस्तर नहीं मिल पा रहा तो जिम्मेवारी दिल्ली प्रशासन की है। आईटीबीपी अपनी तरफ से किसी मरीज को भर्ती नहीं कर सकता।
जिस तरह कोविड 19 को लेकर पूरी दिल्ली में अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है, इसमें अब जिम्मेवारी तय करने का समय है। जिससे दिल्ली सही अपराधी की पहचान कर पाए। इतने सारे लोगों की कोविड 19 की वजह से अकाल मृत्यु हो रही है। क्या दिल्ली में फैली अव्यवस्था के लिए जिम्मेवार हत्यारा यूं ही साफ बच निकलेगा। दिल्ली ऐसा नहीं चाहती। वह चाहती है कि अपराधी की पहचान हो, उसकी सजा तय की जाए।
आशीष कुमार ‘अंशु’
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