कोरोना वायरस से बचने का हर संभव प्रयास करें, ताकि अस्पतालों के धक्के न खाने पड़ें
मूहामारी चरम पर है। मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं हांफ रही हैं। अस्पतालों में जगह नहीं बची है। आॅक्सीजन के लिए मारामारी हो रही है। 3,500 रु. में मिलने वाला ‘रेमडेसिविर’ इंजेक्शन 30,000 रु. में भी नहीं मिल रहा है। क्या यह इंजेक्शन कोरोना की बीमारी के लिए रामबाण है? यदि नहीं, तो फिर इसके लिए इतनी दौड़-भाग क्यों? 33 वर्ष तक भारतीय सेना में एक सर्जन के नाते सेवा करने वाले ब्रिगेडियर (डॉ.) सुरेंद्र मोहन शर्मा (सेनि.) कहते हैं, ‘‘रेमडेसिविर इंजेक्शन कोई रामबाण नहीं है। ऐसा कोई मामला नहीं आया, जिसमें किसी मरीज को यह इंजेक्शन लगाया गया हो और वह उठकर बैठ गया हो। हां, यह हो सकता है कि इस इंजेक्शन को लगाने के बाद मरीज को जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। इसके बिना किसी मरीज को अस्पताल में 11 दिन की जगह 18 दिन रहना पड़ सकता है। इससे आगे और कुछ नहीं है।’’ लेकिन आगरा में कामायनी अस्पताल के संचालक डॉ. मुनिश्वर की राय अलग है।
वे कहते हैं, ‘‘कुछ लोग ‘रेमडेसिविर’ की कालाबाजारी को छिपाने के लिए कह रहे हैं कि यह असरदायक नहीं है। मेरा अनुभव है कि कोरोना पीड़ितों के लिए यह अच्छा इंजेक्शन है। इसकी कालाबाजारी रोकी जाए और इसका विकल्प भी उपलब्ध हो।’’ वहीं पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में सर्जरी विभाग में प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉ. शैलेश कुमार का कहना है, ‘‘कोरोना के मरीजों को जितनी भी दवाइयां दी जा रही हैं, वे अंधेरे में तीर मारने जैसा है।
निशाने पर लग गया, तो बहुत अच्छा और नहीं लगा तो…। इसलिए मेरा मानना है कि कोरोना से बचने का एक ही रास्ता है बचाव। मास्क लगाएं और दो गज की दूरी का पालन करें।’’ नेशनल मेडिकोज आॅर्गनाइजेशन के राष्टÑीय अध्यक्ष डॉ. सतीश मिढा की राय डॉ. शैलेश से मिलती-जुलती है। डॉ. सतीश कहते हैं, ‘‘किसी भी तरह के वायरस से ग्रसित रोगियों को ‘रेमडेसिविर’ का इंजेक्शन दिया जाता है, लेकिन अभी तक इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि इससे कोरोना मरीज ठीक हो जाते हैं। चूंकि कोरोना की कोई दवा नहीं है, इसलिए डॉक्टर ‘रेमडेसिविर’ लगाने की सलाह देते हैं। इस इंजेक्शन से न तो मृत्यु दर कम होती है और न ही मरीज को ठीक करने का दावा किया जा सकता है। इसलिए जो लोग ‘रेमडेसिविर’ के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं, वे ऐसा न करें। धैर्य रखें, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।’’
इन चिकित्सकों की बातों के आधार पर यह कह सकते हैं कि चूंकि कोरोना की
कोई तय दवा तो है नहीं। जो भी दी जा रही है, वह केवल तुक्का है। इसलिए इसकी एकमात्र दवा बचाव है।
-अरुण कुमार सिंह
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