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इस्लामी देशों में सबसे अधिक कट्टर सऊदी अरब को माना जाता है। अपनी इस पहचान से अब शायद वह पीछा छुड़ाना चाहता है। इसीलिए सऊदी अरब में ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ के अलावा कुछ अन्य मत-पंथों की पुस्तकें पढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यह बात खुद वहां के प्रिंस ने कही है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए ‘दृष्टिपत्र : 2030’ को देश के सामने रखा है। इसमें बताया गया है कि कुछ वर्ष पहले सऊदी अरब के शिक्षा पाठ्यक्रम में विभिन्न देशों के इतिहास और संस्कृति को शामिल किया गया था।
इसके तहत बच्चों को अन्य देशों के इतिहास और संस्कृति के बारे में पढ़ाया जा रहा है, ताकि वे विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इसका उत्साहजनक परिणाम मिल रहा है। इसको देखते हुए निर्णय लिया गया है कि सऊदी अरब के बच्चों को ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ की जानकारी दी जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि सऊदी अरब अपने बच्चों और युवाओं को योग और आयुर्वेद के बारे में भी बताएगा। दृष्टिपत्र में सऊदी के छात्रों के लिए अंग्रेजी भाषा को भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय की तारीफ सऊदी अरब की पहली प्रमाणित योग शिक्षिका नौफ मरवाई ने की है।
इन्हीं नौफ को 2018 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। बता दें कि नौफ सऊदी अरब में 2004 से ही योग को प्रचारित-प्रसारित कर रही हैं। उन्होंने अब तक सैकड़ों लोगों को योग का प्रशिक्षण दिया है। इससे वहां के लोगों को योग का महत्व पता चला और अब सऊदी के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग योग करते हैं।
उम्मीद है कि सऊदी अरब में शिक्षा में जो परिवर्तन किया जा रहा है, उससे वहां एक सर्वसमावेशी समाज का निर्माण होगा।
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