कोरोना महामारी के चलते जो स्थितियां पैदा हुई हैं उसके निपटने के लिए केंद्र सरकार तो युद्धस्तर पर जुटी ही हुई है वहीं सामाजिक संस्थाएं भी लोगों की मदद के लिए कॉलोनियों में कोरोना मरीजों मदद करने में जुटी हैं।
एक मशहूर कविता की कुछ पक्तियां इस तरह है कि साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाए तो मिलकर बोझ उठाना। कोरोना के इस संकट छोटी-छोटी मदद का ध्येय लेकर राजधानी में सामाजिक संस्थाएं मदद के लिए जुट गई हैं। किसी की कोशिश कोरोना संक्रमित परिवारों तक भोजन पहुंचाने की है तो किसी किसी कोशिश जरुरतमंदों तक दवाएं पहुंचाना है। हर किसी की कोशिश अपनी कॉलोनियों में मदद कर लोगों को इस संकट की घड़ी से निकालना है। किसी के पास संसाधन नहीं हैं तो आस-पास से संसाधन जुटाकर मदद कर रहे हैं तो कोई आनलाइन एप के माध्यम से खाना पहुंचा रहा है। इस बीच खुद के संक्रमित होने का डर हैं, लेकिन कर भला तो हो भला स्मरण करते हुए लोग मदद में जुटे हुए हैं और मदद में दूसरे लोग भी साथ आ रहे हैं, कोई धन से सेवा कर रहा है तो कोई तन से।
3 लोगों से शुरू किया था काम 16 लोग जुड़े
पूर्वी दिल्ली के मानसरोवर पार्क, शाहदरा, नवीन शाहदरा, कृष्णा नगर, दिलशाद गार्डन में होम आइसोलेशन में रहे लोगों को दोनों समय का खाना पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य को जतिन धवन ने शुरू किया। धवन मानसरोवर गार्डन में रहते हैं। पिछले सप्ताह जब कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो तीन दोस्तों के साथ उन्होंने कालोनी में भोजन की व्यवस्था का निर्णय लिया। धवन बताते हैं कि शुरुआत में हमने सोचा था कि 20-25 लोगों की मदद कर देंगे, लेकिन जैसे ही साई रसोई नाम से अभियान शुरू किया तो पहले पहले ही दिन 100 लोगों की भोजन के लिए मांग आ गई। लोगों की मांग ने हमारे प्रण को मजबूत किया। चूंकि संसाधन न कम पड़े तो एक मैसेज उन्होंने बनाया। जिसमें लोगों ने शीरिरिक और आर्थिक मदद का आह्वान किया गया।
धवन ने बताया कि 100 लोगों के घर तय समय पर खाना पहुंचाने के लिए कम से कम 10 लोग चाहिए। ऐसे में हमने लोगों ने शारीरिक रूप से इस अभियान में जुड़ने की अपील की तो 3 लोगों से शुरू यह अभियान 16 लोगों तक जा पहुंचा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वयं से आर्थिक मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं। होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों रोटी, दाल और सब्जी पैकेट में उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रोज सुबह 10 बजे से एक बजे तक खाने का आर्डर लिया जाता है फिर दोपहर शाम और अगली सुबह के भोजन की व्यवस्था जरुरतमंदों को उपलब्ध कराई जाती है।
युवाओं के साथ मिलकर शुरू किया मदद अभियान
मध्य दिल्ली के खान मार्केट से लेकर दक्षिणी दिल्ली लाजपत नगर, ग्रेटर कैलाश, मालवीय नगर और सफदरजंग एक्लेंव इलाके में होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को खाने की मदद के लिए यूथ वेलफेयर एसोसिएशन ने मदद अभियान शुरू किया है। संस्था के अध्यक्ष राघव मंडल ने बताया कि सोशल मीडिया पर उन्होंने अपना फोन नंबर पर डाल रखा है। ऐसे में उस मैसेज को पढ़ने के बाद जो होम आइसोलेशन में रह रहे लोग मदद की मांग करते हैं उनको भोजन पहुंचाया जाता है।
राघव ने बताया कि डिलीवरी के लिए संसाधन की आवश्यता है। ऐसे में लोग भी नहीं मिल रहे हैं। इसलिए उन्होंने एक निजी एप जो आपके घर से किसी और घर पर खाना पहुंचाने का काम करता है उसकी मदद ली हुई है। उन्होंने अपने कई जानकारों को कहा है कि वह इस एप पर आने वाला खर्च उठाए। कई लोग दस से 12 लोगों को खाना पहुंचाने का खर्च उठा रहे हैं। वहीं वह अपने जानकारों के घर में खाना बनवा रहे हैं और जरुरतमंद लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार एप पर ज्यादा समय डिलीवरी का आता है तो वह खुद अपनी गाड़ी के माध्यम से लोगों को खाना देने निकल पड़ते हैं। एक सप्ताह पहले इस अभियान को शुरू किया गया था। अब 100 से 120 लोगों की प्रतिदिन मदद हो रही है। लगातार मदद मांगने वालों की संख्या भी बढ़ रही है
घर का टिफिन
दक्षिणी दिल्ली के ही कालकाजी, गोविंद पुरी, अमर कालोनी में कोरोना संक्रमित परिवारों और होम आइसोलेशन वाले मरीजों को गुरु अमर दास सेवा ट्रस्ट एवं कालका जी मित्र परिषद के माध्यम से मदद पहुंचाई जा रही है। संस्था की अध्यक्ष नरेंद्र कौर कैप्टन ने बताया कि कई परिवार ऐसे हैं जो पूरी तरह संक्रमित हो गए है। बीमारी की वजह से अब उनके घर में खाना बनाने के लिए भी लोग नहीं है। ऐसे में लोगों की मदद के लिए टिफिन सर्विस शुरू की गई है। इस सर्विस की मदद से इलाके में जो लोग कोरोना मरीजों के लिए मदद की मांग कर रहे हैं उन्हें मदद की जा रही है। प्रतिदिन 150-160 लोगों को टिफिन सेवा के जरिए दोनों समय का खाना पहुंचाया जा रहा है। उनका कहना है कि पिछले सप्ताह पहले 10 लोगों की मदद से यह शुरुआत हुई थी। जो अब 150 तक पहुंच चुकी है। मदद का उद्देश्य होम आइसोलेशन वाले मरीजों को मानसिक तनाव के साथ उन्हें जरुरी वस्तु पहुंचा उनकी परेशानियों को कम करना है।
नीलम
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