दिल्ली में एक बार फिर से लॉकडाउन लगा है। केजरीवाल ने इस बार भी अप्रवासी मजदूरों को दर—दर भटकने के लिए छोड़ दिया है। आम आदमी की बात करने वाली केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर आम आदमी से किनारा कर लिया है
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है. मगर इस संकट की घड़ी में आम आदमी पार्टी ने आम आदमी को बीच मझधार में छोड़ कर किनारा कर लिया. उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि “लॉक डाउन के बाद केजरीवाल सरकार ने प्रवासी कामगारों को यूपी के बार्डर पर लाकर छोड़ दिया है. हम लोग प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे हैं.”
गत वर्ष लॉक डाउन के दौरान मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में दिल्ली सरकार पूरी तरह विफल रही थी. इसी का नतीजा था कि इस बार जैसे ही लॉक डाउन की घोषणा हुई. प्रवासी कामगार दिल्ली की सड़कों पर उतर आये. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने समस्या का समाधान करने के बजाय इसे बिहार और उत्तर प्रदेश की तरफ टरका दिया था. पिछले लॉक डाउन में जब श्रमिकों की भीड़ उमड़ी थी तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिम्मा संभाला था. रात में ही राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों को जगाया गया. अति शीघ्र बसों को आनन्द विहार भेजकर उन सभी लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया. पूरी रात मुख्यमंत्री योगी ने जागकर बसों के संचालन पर नजर बनाये रखी.
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष लॉक डाउन के दौरान जब दिल्ली में अफरा – तफरी मची हुई थी. लोग दिल्ली छोड़कर भाग रहे थे. वहीं से मात्र कुछ दूरी पर उत्तर प्रदेश में सब कुछ सामान्य था. ऐसा इसलिए था क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जरूरतमंद लोगों की हर संभव मदद की गई थी. दिहाड़ी मजदूरों के खाते में एक –एक हजार रूपये जमा कराए गए थे. दिवयांग जन पेंशन और वृद्धावस्था पेंशन सीधे खाते में भेजी गई थी. सरकारी राशन की दुकान से रिकार्ड मात्रा में लोगों को राशन दिया गया था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सकंट की घड़ी में भी ओछी राजनीति का एक दाव चला. गत वर्ष उन्होंने फैक्ट्री मालिकों, निजी प्रतिष्ठानों के मालिकों एवं किराये पर घर देने वाले मकान मालिकों पर कानून का इकबाल कायम नहीं किया. केवल बयान जारी करते रहे कि मजदूरों को नौकरी से न निकाला जाय, वेतन न काटा जाय और मकान मालिक किराया माफ़ कर दें. इसके समानांतर एक अफवाह फैलाई गई कि यह लॉक डाउन कम से कम तीन महीना तक चलेगा क्योंकि केंद्र सरकार ने सभी राहत तीन महीने के लिए दी है. सीएए और एनआरसी की खिलाफत करने वाले गिरोह ने ही यह अफवाह फैलाई थी. एक तो अरविन्द केजरीवाल ने मजदूरों के हित में सख्ती से कानून लागू नहीं किया था. मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं की थी. वहीं उनकी पार्टी के लोगों ने अफवाह फैलाई थी. जब हताश मजदूर सड़कों पर उतर गए तो दिल्ली सरकार ने उन लोगों को डीटीसी की बसों में भरकर दिल्ली के बार्डर पर छोड़ दिया था. उनके इस कृत्य से उत्तर प्रदेश , बिहार और पंजाब में जबरदस्त अफरा – तफरी मच गई थी.
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