डॉ. कफील जिसके कारनामों को जनता जान चुकी है. वह फिर से भ्रम फैला कर जनता की नजरों में हीरो बनना चाहता है. सरकारी अस्पताल से आक्सीजन सिलेंडर की चोरी एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधि के आरोप में कफील जेल जा चुका है
गोरखपुर के बी.आर.डी. मेडिकल कालेज से निलंबित डॉ. कफील ने फिर से एक नई चाल चली है. उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है कि इस महामारी को देखते हुए उसका निलंबन रद्द कर दिया जाए भ्रम फैला करके डा. कफील जनता की नज़रों में हीरो बनना चाहता है. दरअसल, में वह एक खलनायक है. कफील, आक्सीजन सिलेंडर की चोरी के मामले में जेल जा चुका है. उसके बाद सीएए और एनआरसी के विरोध में जेल भेजा गया. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत भी उसके विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है. कफील के पीछे कार्य कर रहे नेटवर्क का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 में जब कफील गोरखपुर में गिरफ्तार हुआ तो उसके समर्थन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बंद कराया गया. जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सीएए के विरोध में बंद हुआ तो उसके समर्थन में कफील छिपते हुए वहां पहुंचा था.
पत्र लिख कर कफील जिस प्रकार भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है ठीक उसी प्रकार उसने 1 नवंबर 2019 को भी भ्रम फैलाने का प्रयास किया था. उसने यह प्रचारित कराया था कि बी.आर.डी. मेडिकल कालेज गोरखपुर में बच्चों की हुई मौत के प्रकरण में जो जांच चल रही थी. उसमें उसे क्लीन चिट दे दी गई है. अचानक से उसके मुस्लिम समर्थकों के फेसबुक पेज पर यह तथ्यहीन खबर वायरल होने लगी. उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ट की गई. प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा ने बताया था कि “जांच में किसी प्रकार की कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है. अन्य कई गंभीर मामलों में जांच प्रचलित है. जांच रिपोर्ट आने पर उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा.” कफील के खिलाफ जिन बिन्दुओं पर अभी भी जांच प्रचलित हैं. उसमे एक आरोप यह है कि “ सरकारी अस्पताल का आक्सीजन सिलेंडर चोरी करके वह निजी अस्पताल में उसका इस्तेमाल करता था.” दूसरा आरोप है कि ‘वर्ष 2017 के अगस्त माह में जब इन्सेफ़्लाइटिस की बीमारी के कारण बड़ी संख्या में मरीज बी.आर.डी. मेडिकल कालेज में भर्ती हो रहे थे. उस समय कफील, इन्सेफ़्लाइटिस विभाग का चीफ नोडल अफसर था. उस समय बी.आर.डी. मेडिकल कालेज में मरीजों का इलाज करने के बजाय वह अपने निजी अस्पताल में ज्यादा व्यस्त था.’ तीसरा आरोप है कि “निलम्बन के दौरान कफील, 22 सितम्बर 2018 को बहराइच के जिला चिकित्सालय के बाल रोग विभाग में जबरदस्ती प्रवेश किया और वहां पर गंभीर रूप से बीमार बच्चों का इलाज करने लग गया.”
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 के अगस्त माह में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बी.आर.डी. मेडिकल कालेज का दौरा किया था. उस समय डा. कफील भी मौजूद था. अगर आक्सीजन सिलेंडर खत्म हो रहे थे तो यह बात उसे मुख्यमंत्री को बतानी चाहिए थी. प्राइवेट अस्पताल से आक्सीजन सिलेंडर मंगाने बजाय के कफ़ील अपने अधिकार का प्रयोग करके आक्सीजन सिलेंडर खरीद सकता था मगर उसने ऐसा नहीं किया. बड़ी संख्या में हुई मृत्यु पर जब – जब वहां टी.वी. चैनल की टीम पहुंची. सभी को कफील ने ही इंटरव्यू दिया और यह कहा कि “आक्सीजन सिलेंडर की कमी से बच्चों की मौत हुई है.” जबकि अन्य डाक्टर मरीजों के इलाज में लगे हुए थे. कफील ने षड्यंत्र के तहत यह पूरा मामला खड़ा किया कि बच्चों की मृत्यु आक्सीजन की कमी से हुई थी जबकि मेडिकल कालेज की तरफ से यह कहा गया था कि आक्सीजन सिलेंडर की कोई कमी नहीं थी. बता दें कि वर्ष 2017 की तारीख 10 और 11 अगस्त को बी.आर.डी. मेडिकल कालेज, गोरखपुर में 32 मासूम एवं 18 अन्य गंभीर मरीजों की मृत्यु हो गई थी.
इसके बाद कफील को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया. कफील की गिरफ्तारी तो गोरखपुर में हुई मगर इसके विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बंद करा दिया गया. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय वो जगह है जहां पूरे हिन्दुस्थान में जहां कहीं भी कोई मुसलमान आतंकी मारा जाता है या कफील सरीखे लोग गिरफ्तार किये जाते हैं. तब सरकार की इस कार्रवाई का वहां पर विरोध किया जाता है. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को जब बंद कराया गया तो उपद्रवी छात्रों के समर्थन में छिपते हुए कफील वहां तक पहुंचा. वहां पहुंच कर संविधान और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खिलाफ जहर उगलने में कोई कोर – कसर बाकी नहीं रखी. इसके बाद डॉ. कफील पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के अंतर्गत कार्रवाई की गई.
कफील ने हाथ में माइक लेकर वहां पर मौजूद छात्रों को संबोधित किया था. नफरत फ़ैलाने वाले अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि तुम्हारी औकात नहीं है जो हमसे हमारा हक़ छीन सको. तुम्हारी औकात नहीं है कि तुम हमें डरा सको. तुम्हारी औकात नहीं है कि तुम हमें हटा सको. हम 25 करोड़ हैं. ना तुम हमें ‘मॉब लिंचिंग’ से डरा सकते हो. न तुम हमें ये छोटे – छोटे कानून बना कर डरा सकते हो. हम एक साथ रहेंगे. हम एक साथ दीवार बन कर खड़े रहेंगे.” इसके बाद अलीगढ़ जनपद में कफील के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने एवं माहौल खराब करने के आरोप में एफ.आई.आर दर्ज की गई. कफील फरार हो गया. काफी दिन फरार रहने के बाद कफील एसटीएफ की गिरफ्त में आया. उसे मुम्बई में गिरफ्तार किया गया. कफील के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका) के अंतर्गत भी कार्रवाई की गई.
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