सामाजिक न्याय की स्थायी विरासत
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

सामाजिक न्याय की स्थायी विरासत

by WEB DESK
Apr 15, 2021, 01:35 pm IST
in भारत, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

रतन लाल कटारिया

बाबासाहेब ने राष्ट्र निर्माण में जो राह दिखाई थी, केंद्र सरकार आज उसी पर चलकर भारत को पुनः विश्व गुरु पद पर प्रतिष्ठापित करने का कार्य कर रही है। बाबासाहेब का मानना था, “मैं चाहता हूं कि लोग सर्वप्रथम भारतीय हों और अंत तक भारतीय रहें। भारतीय के अलावा कुछ भी नहीं।”

बुद्ध, कबीर, महात्मा फुले जैसी महान विभूतियों के विचारों को आत्मसात कर सामाजिक क्रांति के उद्घोषक व पोषक बोधिसत्व भारत रत्न श्रद्धेय बाबासाहेब डॉ. आम्बेडकर का जन्म युग और काल की धाराओं को मोड़ने के लिए ही हुआ था। बाबासाहेब के बहुआयामी व्यक्तित्व को समझने के लिए किसी विद्वान् को भी वर्षों लग सकते हैं। मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूं क्योंकि उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू इतने गहरे हैं, जिसकी थाह पाना कठिन है। 14 अप्रैल, 2021 को पूरे विश्व ने बाबासाहेब की 130वीं जयंती के अवसर पर उन्हें अपनी भावनाओं के नैवेद्य अर्पित कर उनके संघर्षमय जीवन से प्रेरणा ली। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2017-18 में निर्मित डॉ० आम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र व बाबासाहेब की महापरिनिर्वाण भूमि 26, अलीपुर रोड, नई दिल्ली पर डॉ० आम्बेडकर नेशनल मेमोरियल का उद्घाटन किया था। प्रधानमंत्री जी के निर्देशों का अनुसरण कर आज ये केंद्र सोशियो-इकॉनामिक ट्रासफोर्मेशन के केंद्र हैं, जिनमें सामाजिक और आर्थिक अध्ययन के क्षेत्र में अनुसंधान किया जा रहा है। साथ ही ये एक विशेषज्ञ थिंक टैंक के रूप में भी काम करेगा, जिसमे समावेशी विकास और सामाजिक-आर्थिक मामलों पर ध्यान दिया जाएगा। वास्तव में केंद्र सरकार का उद्देश्य इन केंद्रों के माध्यम से नई पीढ़ी को बाबासाहेब के विज़न, विचार और दर्शन को समझाना है।

वर्तमान पीढ़ी इस बात से अनभिज्ञ है कि बाबासाहेब अपने समकालिक लोगों में सर्वाधिक शिक्षित व्यक्ति थे और शिक्षा उनके दीर्घकालीन संघर्ष तथा कठोर परिश्रम का परिणाम था। उस महामानव ने समाज में समय के साथ आयी अमानवीय कुरीतियों जैसे—छूआछूत, विभेद, तिरस्कार आदि को स्वयं भोगा था। परन्तु धैर्य की मूर्ति बाबासाहेब ने कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लिया, अपितु समाज को जोड़ने के लिए एवं वंचित वर्ग को समाज में उसकी प्रतिष्ठा दिलवाने के लिए अपने जीवन को तिल-तिल जला दिया । वे दलित, शोषित, वंचित समाज को सशक्त, आत्मनिर्भर एवं सम्मानित जीवन देने के कार्य में पूरा जीवन प्रतिबद्ध रहे। बाबासाहेब का मानना था कि सामाजिक समरसता का निर्माण करने से ही सामाजिक समानता हो सकती है। उन्होंने 24 नवम्बर, 1947 को दिल्ली में कहा था, “हम सब भारतीय परस्पर सगे भाई हैं– ऐसी भावना अपेक्षित है। इसे ही बंधु भाव कहा जाता है। उसी का आभाव है। जातियां आपसी द्वेष और ईर्ष्या बढ़ाती हैं। अतः यदि राष्ट्र का अस्तित्व होगा तो इस अवरोध को दूर करना होगा, क्योकि राष्ट्र का अस्तित्व होगा वहीं बंधु भाव पनपेगा। बंधुभाव ही नहीं रहेगा तो समता, स्वाधीनता सब अस्तित्वहीन हो जाएंगे।”

बाबासाहेब ने राष्ट्र निर्माण में जो राह दिखाई थी, उसी पर चलकर आज हमारी सरकार भारत को पुनः विश्व गुरु पद पर प्रतिष्ठापित करने का कार्य कर रही है। बाबा साहेब का मानना था, “मैं चाहता हूं कि लोग सर्वप्रथम भारतीय हों और अंत तक भारतीय रहें। भारतीय के अलावा कुछ भी नहीं।” भाषायी आधार पर राज्यों के गठन का विरोध, हिंदी की राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापना, संस्कृत भाषा की शिक्षा और गुणवत्ता, अनुच्छेद—370 का विरोध, मतपरिवर्तन पर उनके विचार, धर्म की उपयोगिता का विचार, श्रमनीति, सुधार, शहरीकरण का महत्व, समान नागरिक संहिता एवं हिन्दू कोड बिल, श्रीमद् भगवद्गीता को प्रदत्त महत्व, महिलाओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता, राष्ट्रीय प्रतिबद्धता, आर्थिक योजनाएं, जल और विद्युत नीति में भूमिका आदि अनेक ऐसे विषय हैं, जिनसे उनकी राष्ट्रीय दृष्टि का बोध होता है।

संविधान निर्माता के विषय में डॉ० राजेंद्र बाबू 26 नवम्बर, 1949 को सविंधान सभा में कहते हैं, “स्वतंत्र भारत के संविधान शिल्पी डॉ० आम्बेडकर ने अपनी बुद्धि, प्रतिभा और योग्यता की हर कीमत चुका कर देश को एक नया संविधान भेंट कर दिया। संसार में ऐसी मानसिक ऊंचाई और शास्वत प्रतिभा के धनी कर्मठ महापुरुष कभी-कभी ही अवतरित होते हैं।” एक ओर वर्षों के अपमान तो दूसरी ओर करुणा, प्रेम, समता और अहिंसा से ओत-प्रोत भारतीय संस्कृति के अविभाज्य अंग बौद्ध मत का अंगीकार कर बाबासाहेब ने देश के लिये अपने समर्पण का उत्तम उदाहरण दिया। मेरा ऐसा मानना है कि वर्तमान पीढ़ी को बाबासाहेब के इस प्रसंग से सीखना चाहिए की राष्ट्र हित के लिए व्यक्तिगत आघातों को भी भूलना पड़ता है। बाबासाहेब की जयंती पर मेरा युवा पीढ़ी को विशेष सन्देश है कि उनके आदर्शों का पालन केवल विशेष अवसर पर ही न करें, अपितु प्रत्येक क्षण उस राष्ट्रभक्त, मानवतावादी, धर्मप्राण और सात्विक वृति के महापुरुष के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करें।
(लेखक केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता एवं जल शक्ति राज्य मंत्री हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies