गत 2 अप्रैल को नई दिल्ली में संस्कार भारती के नवनिर्मित मुख्यालय ‘कला संकुल’ का लोकार्पण हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और संघ के नूतन सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने दीप प्रज्जवलन कर और नारियल फोड़कर ‘कला संकुल’ का उद्घाटन किया। इसके पश्चात् सरसंघचालक जी के हाथों की छाप ली गई, जिसे संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में संरक्षित करेगी। श्री भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय कलाएं मात्र मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि मनुष्य के अंदर के शिवत्व की अभिव्यक्ति हैं। पश्चिम ने कलाओं के माध्यम से महज रंजन को चुना, इसलिए उनकी कला अधूरी है और वे सुख की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। सुख के लिए वे भारत की तरफ देख रहे हैं, क्योंकि भारत उस मूल तक जाता है जहां से सुख की भावना पैदा होती है। ऐसी समृद्ध कलाओं के माध्यम से समर्थ समाज का निर्माण करना हम सभी का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय कला से मनुष्य की चित्तवृत्ति को अपार शांति का अनुभव होता है। वैसे भारतीय मूल से जीवन की जो भी वृत्तियां उभरी हैं वे सभी इसी की पूर्ति करती हैं। सत्य में शिवत्व को देखना है तो उसमें करुणा का पुट आवश्यक है। कला उस संवेदना की अभिव्यक्ति है। कला के इस प्रवाह को सुरक्षित रखना हम सबका राष्ट्रीय कर्तव्य है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘कला संकुल’ के माध्यम से सभी कलाओं के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु ठोस प्रयास होंगे। संस्कार भारती के संरक्षक पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी ने कहा कि कलाकारों के माध्यम से समाज को जोड़ने और दिशा देने का काम इस ‘कला संकुल’ के माध्यम से होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ध्येय है कि देश में शांति, आनंद, परिश्रम और भक्ति का माहौल बने। हमारा यह गतिविधि केंद्र कला एवं कलासाधकों को साथ लेकर राष्ट्र निर्माण के लिए नित्य निरत रहेगा।’’
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कलाकार एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष श्री परेश रावल ने आॅनलाइन माध्यम से की। अपने वीडियो संवाद में श्री रावल ने कहा कि संस्कार का प्रसार सदा ही संवाद माध्यमों के प्रयोग से किया जाता है और सारे संवाद माध्यम संस्कार प्रसार के माध्यम बन जाएं, यही संस्कार भारती का उद्देश्य है।
आॅनलाइन माध्यम से जुड़े संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वासुदेव कामत ने कहा कि इस कला संकुल के माध्यम से कला निर्मिति, कला विचार का प्रसार, संस्कार भारती का विचार-प्रसार पूरे देश में, आम जनमानस तक सरस्वती की तरह बहता रहेगा। समारोह में श्रीमती मालिनी अवस्थी, श्री अनूप जलोटा, श्री अनवर अली खान, श्रीमती सुगंधा शर्मा, श्री वसीफुद्दीन डागर, पंडित धर्मनाथ मिश्र और पंडित रामकुमार मिश्र जैसे उच्चकोटि के कलाकारों ने अत्यंत मनमोहक ‘रागदेश’ प्रस्तुत किया। इसके बाद संस्कार भारती की चार दशक की यात्रा और कला संगम की संपूर्ण कल्पना पर आधारित एक संक्षिप्त वृत्तचित्र प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निवर्तमान सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी, सहसरकार्यवाह द्वय डॉ. मनमोहन वैद्य और श्री अरुण कुमार, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख श्री रामलाल, वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर, केंद्रीय युवा एवं खेल राज्यमंत्री श्री किरण रिजिजू, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, राज्यसभा सदस्य पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह, लोकगायिका पद्मविभूषण तीजनबाई, संस्कार भारती के महामंत्री श्री अमीरचंद, संगठन मंत्री श्री अभिजीत गोखले, उपाध्यक्ष हेमलता एस. मोहन आदि उपस्थित थे।
‘कला संकुल’ मूलत: कला-संस्कृति की गतिविधियों को समर्पित परिसर है, जिसमें कला, साहित्य, रंगमंच, सहित अनेक विधाओं का संयोजन एवं संवर्धन किया जाएगा। इस भवन में कला-संस्कृति की पुस्तकों से सुसज्जित एक समृद्ध पुस्तकालय, कला दीर्घा, सभागार, स्टूडियो एवं कांफ्रेंस रूम की सुविधा भी उपलब्ध है। -प्रतिनिधि
कला संकुल की पहली चित्रकला प्रदर्शनी का शुभारंभ
गत 3 अप्रैल को पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर की पुण्यतिथि पर ‘कला संकुल’ में ‘लोक में राम’ नामक चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश सोनी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ. उत्तम पाचारणे ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में कलाऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र उपस्थित थे।
‘लोक में राम’ चित्रकला प्रदर्शनी रामायण को चरणबद्ध तरीके से रंगों के साथ जोड़ने का प्रयोग है। यहां राम के बाल्यकाल से लेकर वन गमन के दौरान हुर्इं घटनाओं व युद्धोपरांत मां सीता की वापसी को भी दर्शाया गया है। इस प्रकार के प्रयोग से रामायण को एक कमरे में जीवंत रूप में देखने का अनुभव प्रदर्शनी में आए लोगों के लिए आकर्षण का केंद्रबिंदु है। रामायण से ही संबंधित और हाल ही में फिल्मों के माध्यम से भी चर्चा में रहने वाले रामसेतु को दर्शाने का तरीका प्रदर्शनी में आ रहे लोगों को खूब भा रहा है। प्रदर्शनी 4 से 13 अप्रैल तक प्रतिदिन प्रात: 11 बजे से सायं 6 बजे तक अवलोकनार्थ खुली रहेगी।
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