पश्चिम बंगाल : कायाकल्प की जिम्मेदारी उठाने को तैयार कंधे
May 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल : कायाकल्प की जिम्मेदारी उठाने को तैयार कंधे

by WEB DESK
Apr 9, 2021, 04:01 pm IST
in पश्चिम बंगाल
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

जुद्धजीत सेनमजूमदार

एक जातीय समूह के रूप में बंगालियों के लिए पिछले साढ़े चार दशकों से अपने सपनों को कुचले जाते देखना पीड़ादायक अनुभव रहा है। एक दौर में उद्योग, सेवाओं और निर्माण उद्योगों में अग्रणी रहा राज्य अब गरीबी, पलायन, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के साथ टूटी उम्मीदों के बंजर जैसा लगता है। कुल मिलाकर कड़वे अनुभवों ने औसत शिक्षित बंगालियों की महानगरों में रहते हुए अपना लक्ष्य हासिल कर पाने की उम्मीदें लगभग खत्म हो
चुकी हैं।

ऐसे में, अगर आज कोई कहे कि हम कोलकाता को अगली सिलिकॉन वैली बना देंगे, तो आप न केवल उसे झिड़क देंगे बल्कि उसके सामने ही उसकी हंसी उड़ाते हुए उसका दिमाग ठीक होने पर संदेह भी जता देंगे। लेकिन मौजूदा स्थिति को न केवल रोका जा सकता है, बल्कि पीछे जाने की इस प्रक्रिया को उलटा भी जा सकता है और हम यहां वास्तव में सूचना तकनीक का अगला बड़ा केंद्र स्थापित कर सकते हैं।

इस लेख में मैं इसी को हासिल करने के रास्तों, साधनों और तौर-तरीकों को सामने रखूंगा।

औद्योगिकीकरण और सामूहिक आत्मविश्वास का नष्ट होना
स्वतंत्रता के समय भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 33 फीसदी थी, जो आज 5.4 फीसदी तक गिर गई है। इसमें स्थिर और लगातार कमी होती रही है और सत्तारूढ़ समूहों ने इस गिरावट की प्रवृत्ति को रोकने या उलटने का कोई इरादा नहीं दिखाया है। औद्योगिक उत्पादन के मामले में यह राज्य मुंबई-पुणे औद्योगिक गलियारे की तुलना में भी आगे था और कोलकाता में सबसे बड़े औद्योगिक घरानों और विनिर्माण उद्योगों के मुख्यालय के रूप में ख्याति लिए हुए था। 1947 में भारत की जीडीपी का राज्य ने 30 फीसदी का योगदान दिया था। और आज ? यह आंकड़ा 2 फीसदी से कम है, जिसकी बस हंसी उड़ाई जा सकती है।

नए बंगाल के लिए परिवर्तन की जरूरत
पुनरुद्धार की किसी भी संभावना को न केवल नए निवेश और उद्योग के अनुकूल नीति की जरूरत होती है, बल्कि यह उस सामूहिक मानसिकता में बदलाव पर भी टिकी होती है, जो प. बंगाल के मामले में बहुत लंबे समय से राजनीतिक लफ्फाजी में जकड़ी रही है। बंगालियों को यह ध्यान रखना होगा कि ‘विश्व से बंगाल को कुछ नहीं पाना है। ये बंगाल है जिसे विश्व में अपना स्थान बनाने की आवश्यकता है।’

उद्योग-धंधों के लिए अनुकूल छवि
किसी क्षेत्र विशेष के आसपास आईटी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए सभी नागरिक और सामाजिक सुविधाओं के साथ एक स्वच्छ और पारदर्शी सरकार होनी चाहिए। यह आईटी क्रांति के उद्गम स्थल सिलिकॉन वैली की सबसे महत्वपूर्ण आधारीय दशाओं में से एक रही है। राज्य से ‘सिंडिकेट राज’ समाप्त किया जाना होगा, भूमि माफियाओं पर लगाम लगानी होगी, जो कम्पनियों से जबरन काम के ठेके पाना चाहते हैं और लोगों को बाध्य करते हैं कि निर्माण सामग्री उनसे ही खरीदी जाए। इसके समानांतर, सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि फाइलें अटकाई न जाएं और लाल-फीताशाही सरकार की खास पहचान न बने, बल्कि स्वचालित एकल-खिड़की मंजूरी व्यवस्था स्थापित हो। राज्य के लोगों के सामने सवाल भी है और सोचने वाली बात भी है कि 2019 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि लगभग 46 फीसदी लोगों को अपना काम करवाने के लिए किसी न किसी को ह्यरिश्वतह्ण देनी ही पड़ी थी।

अतीत में बंगाली उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होते रहे हैं और सामाजिक बुराइयों को मिटाने में सबसे आगे रहे हैं। आज, उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना होगा और हर किसी को कर्तव्यों के निर्वहन में ढुलमुल रवैये को खत्म करना होगा। बदलाव लाना हमारा सामाजिक दायित्व है, अन्यथा जो सड़ांध फैल चुकी है वह और भी बढ़ेगी।
केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना

लंबे समय से बंगाल का अवसरवादी राजनीतिक नेतृत्व केंद्र सरकार पर उद्योगविहीन और बढ़ते बेरोजगारी का दोष मढ़ता रहा है। यह बचकानी सोच है। क्या ऐसे राज्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होंगे जो लगभग सभी मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ उलझती रहती है? आंकड़े बताते हैं कि जिन राज्यों ने विदेशी निवेश आकृष्ट करने में अपने राजनीतिक मतभेदों को भुला कर केंद्र सरकार के साथ संयुक्त प्रयास किए हैं, वे सबसे सफल रहे हैं। हाल के औद्योगिक गलियारे इस संयुक्त प्रयास का एक शानदार उदाहरण हैं। इस खराब परिदृश्य के बीच भी कुछ ऐसा है, जिस पर खुश हुआ जा सकता है। यह है अत्यधिक कुशल कार्यबल और बुनियादी ढांचे की मौजूदगी। सबसे पहले सबसे महत्वपूर्ण है, मांग का पैदा किया जाना। और मांग पैदा करने के लिए इन पांच चरणों का पालन करना होगा।

केंद्र सरकार की परियोजनाएं और सेवा केंद्र:- यह देश के भीतर की मांग पूरी करने और सेवाएं प्रदान करने के लिए केंद्र स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सालों तक पश्चिम बंगाल रेल बजट को देखने और फिर विश्लेषण करने का आदी था कि परियोजनाओं या नई ट्रेनों के संदर्भ में उसे क्या मिला या क्या नहीं मिला। आज यही एक बात आईटी परियोजनाओं, केंद्र के डेटा केंद्रों और पीएसयू के बारे में सोचने की आदत लोगों के दिमाग में बिठानी होगी।

पश्चिम बंगाल सरकार का आईटी सेवा परिवर्तन:- राज्य डिजिटल सेवाओं के माध्यम से सरकारी सेवाओं, योजनाओं और परियोजनाओं के वितरण में पिछड़ा है और यही भ्रष्टाचार तथा रिश्वतखोरी फैलते जाने के पीछे का एक बड़ा कारण है। इन क्षेत्रों में न केवल नए आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं, बल्कि इससे विशेष रूप से उस अंतिम व्यक्ति तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सकेगी जो अपने दैनिक निर्वाह के लिए भी सरकार पर निर्भर हैं। एक उदाहरण देखें- आॅस्ट्रेलिया में भूमि पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया घर बैठे डिजिटल तरीके की जा सकती है। अगर इस तरह की चीजें यहां दोहराई जा सकें तो न केवल भ्रष्टाचार का सफाया हो सकता है, बल्कि जमीन के स्वामित्व के मामलों में बेहद जरूरी पारदर्शिता दिखने लगेगी।

डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर हब:- खरबों गीगाबाइट डेटा खर्च करने के बावजूद देश का लगभग 95 फीसदी डेटा देश के बाहर प्रोसेसिंग किया जाता है। अपने डेटा को देश से बाहर भेजने में साइबर अपराधियों, दुश्मन देशों और गैर-राज्य कारकों के रूप में काफी जोखिम शामिल होते हंै, जो हमारी कमियों का फायदा उठाने और हमारी सेवाओं को खतरे में डालने के अवसर तलाशते रहते हैं। अपने पश्चिमी समकक्षों की तरह ही भारत को भी डेटा संप्रभुता विनियमन की आवश्यकता है। पश्चिम बंगाल का रणनीतिक स्थान इसे उत्तर पूर्व के साथ-साथ कुछ दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का प्रवेश द्वार बनाता है। बर्द्धवान, पुरुलिया और झाड़ग्राम जिले के कुछ क्षेत्र टियर-4 डेटा केंद्र स्थापित करने की सही जगह हैं, क्योंकि इन स्थानों पर बिजली तथा भूमि पर्याप्त रूप से उपलब्ध है और ये भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में नहीं हैं।

स्टार्टअप संस्कृति बढ़ाएं:- पश्चिम बंगाल राज्य में स्टार्टअप संस्कृति के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव है। खाद्य और पेय पदार्थों की श्रेणी में थोड़े से स्टार्टअप को छोड़कर राज्य में शायद ही कोई स्टार्टअप हो। चूंकि पहले से ही इस दिशा में काम करने के लिए बहुत कुछ बाकी है, इसलिए राज्य को चाहिए कि वह देश में अन्य जगहों पर मौजूद स्टार्टअपों के पोषण, उन्नयन तथा विकास के केंद्र तैयार करे।

तकनीकी जानने वाले अनिवासी भारतीयों को वापस लाएं: बंगाल के अनिवासी भारतीय, विशेष रूप से वे जो चौथी औद्योगिक क्रांति में सबसे आगे हैं, को वापस बुलाया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण बात है। अपनी मिट्टी का अभिमान करने वाले बेटे न केवल अपने साथ नवीनतम तकनीकी लाएंगे बल्कि वे सर्वोत्तम कार्य और मनोबल भी उस स्थान से जोड़ेंगे जहां से उनकी व्यक्तिगत शुरुआत हुई थी।

बहरहाल, इन परिवर्तनों के लिए बंगाल को मौलिक रूप से अपनी विचार प्रक्रिया बदलनी होगी। निजी पूंजी से चिढ़ की पुरानी आदतों से छुटकारा पाना होगा। औसत बंगाली शिक्षा पर खूब जोर देता है और सीखने में गर्व करता है। इतना ही जोर उद्यमिता और पूंजी निर्माण की ओर भी ले जाना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी। इसके लिए हमें ऐसी सरकार की जरूरत है, जिसकी साफ-सुथरी छवि हो और जो निवेशकों में विश्वास पैदा कर सके तथा कोलकाता को आईटी की दुनिया में अग्रणी बनाने के लिए हर बाधा को दूर करने को तैयार हो। यह आसान नहीं है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है! वर्तमान समय बंगाल के लोगों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण है। उनके चाहने से राज्य का भाग्य बदल सकता है। राज्य के लोगों को मूलभूत सुविधाएं तो मिल ही जाएंगी, हम दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम बन पाएंगे। पर सवाल यह है कि क्या हम यह चुनौती लेने को तैयार हैं?
(लेखक अनिवासी भारतीय एवं सिलिकॉन वैली,अमेरिका में टेक्नॉलॉजी उद्यमी हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान फिर बेनकाब, न्यूक्लियर संयंत्र से रेडियेशन का दावा झूठा, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने दी रिपोर्ट

Boycott Turkey : जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तोड़े तुर्किये से संबंध, JNU सहित ये संस्थान पहले ही तोड़ा चुकें हैं नाता

Waqf Board

वक्फ संशोधन कानून पर फैलाया जा रहा गलत नैरेटिव : केंद्र सरकार 

कोलकाता में फर्जी पासपोर्ट रैकेट में बड़ा खुलासा, 37 ने बनवाए पासपोर्ट और उनका कोई अता-पता नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

ऑपरेशन सिंदूर: प्रतीकों की पुकार, संकल्प की हुंकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान फिर बेनकाब, न्यूक्लियर संयंत्र से रेडियेशन का दावा झूठा, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने दी रिपोर्ट

Boycott Turkey : जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तोड़े तुर्किये से संबंध, JNU सहित ये संस्थान पहले ही तोड़ा चुकें हैं नाता

Waqf Board

वक्फ संशोधन कानून पर फैलाया जा रहा गलत नैरेटिव : केंद्र सरकार 

कोलकाता में फर्जी पासपोर्ट रैकेट में बड़ा खुलासा, 37 ने बनवाए पासपोर्ट और उनका कोई अता-पता नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

ऑपरेशन सिंदूर: प्रतीकों की पुकार, संकल्प की हुंकार

पंजाब में कानून व्यवस्था ध्वस्त : विदेशी छात्र की चाकुओं से गोदकर हत्या

ये साहब तो तस्कर निकले : पंजाब में महिला पुलिसकर्मी के बाद अब DSP गिरफ्तार, जेल से चलता था ड्रग्स का व्यापार

डेमोग्राफी चेंज : हल्द्वानी में बसी अवैध मुस्लिम बस्ती, प्रशासन ने की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई

सड़कों से गौवंश उठाकर घर में काटता था मोहम्मद शादाब : पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार, 120KG गौमांस बरामद

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies