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ईमेल का मतलब निजता से समझौता नहीं

by WEB DESK
Apr 7, 2021, 03:15 pm IST
in दिल्ली
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बालेन्दु शर्मा दाधीच

इन दिनों दुनियाभर में ईमेल, सोशल नेटवर्किंग और ऐसे ही दूसरे संचार के माध्यमों के जरिए लोगों को विभिन्न तरीकों से ‘हैकिंग’ का शिकार बनाया जा रहा है और ठगा जा रहा है। जहां एक तरफ साइबर सुरक्षा की समस्या है, वहीं एक और बड़ी समस्या है हमारी सूचनाओं की निजता की। कई बार निजता का उल्लंघन वह सेवा प्रदाता खुद ही करता है, जिसकी सेवा को आप नि:शुल्क होने के कारण इस्तेमाल करते हैं। कुछ वर्ष पहले एक बड़ी इंटरनेट कंपनी के सीईओ ने कहा था कि इंटरनेट के जमाने में निजता की बात करना बेमानी है। उन्होंने आगे कहा था कि अगर आपको लगता है कि आपकी कोई गतिविधि दूसरों को पता नहीं चलनी चाहिए तो फिर आपको वह गतिविधि करनी ही नहीं चाहिए।

आप चिंतित भी हो रहे हैं कि भला यह क्या बात हुई। हर व्यक्ति की ऐसी अनगिनत चीजें और बातें होती हैं जिन्हें वह दूसरों को बताना नहीं चाहता और ऐसा नहीं है कि ये सब अवैध गतिविधियां हैं। अपना पता, आय, बीमारी, परिवार, लाभ, हानि, कारोबार के राज और अनगिनत दूसरी सूचनाओं को निजी बनाए रखने का अधिकार हर व्यक्ति को है। ऐसा थोड़े है कि अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं या फिर ईमेल का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी हर बात को जानने का अधिकार दूसरों को, खासकर इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियों को है? इसी संदर्भ में ईमेल सेवाओं पर निजता का मुद्दा महत्वपूर्ण हो जाता है। कुछ ईमेल सेवाएं अपने यहां खाता बनाते समय पहले ही घोषणा करवा लेती हैं कि वे आपके डेटा का इस्तेमाल कर सकती हैं। अनजाने में अधिकांश लोग इस शर्त को स्वीकार भी कर लेते हैं। लेकिन अगर आप ईमेल का इस्तेमाल करते हैं तो अपना डेटा असुरक्षित बनाए रखें, ऐसा जरूरी नहीं है। आइए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं।

जीमेल बेहद लोकप्रिय वेब मेल सेवा है और बहुत ताकतवर भी। प्रयोक्ताओं को यहां मिलने वाला ‘स्पेस’ भी ठीकठाक है- 15 गीगाबाइट्स। ‘स्पैम’ संदेशों को ‘फिल्टर’ करने की व्यवस्था भी यहां है और ‘मेल सर्च’, ‘लेबल’, ‘टाइपिंग सुझाव’ और भारतीय भाषाओं में ‘टाइप’ करने की सुविधा भी। जीमेल को हैकरों की नजरों से काफी हद तक सुरक्षित माना जा सकता है, अगर आपने जरूरी फीचर्स का उपयोग किया है, जैसे- टू फैक्टर आॅथेन्टिकेशन। लेकिन निजता के मामले में जीमेल की कई कमियां हैं और गूगल विज्ञापन दिखाने के लिए भी आपके ईमेल बॉक्स और डेटा का इस्तेमाल करता है। आइए, कुछ ऐसे विकल्पों को देखें जो आपकी निजता को सुरक्षित रखते हैं-

आउटलुक.कॉम :
विंडोज पर काम करने वाले लोगों ने कभी न कभी माइक्रोसॉफ़्ट के प्लेटफॉर्म पर कोई न कोई अकाउंट जरूर बनाया होगा, जैसे- लाइव.कॉम, हॉटमेल.कॉम, वनड्राइव.कॉम, आउटलुक.कॉम आदि। हॉटमेल तो अब है नहीं, उसकी जगह आउटलुक.कॉम ने ले ली है जिसका नाम माइक्रोसॉफ़्ट के ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर ‘आउटलुक’ से लिया गया है। आउटलुक पर भी आपको जीमेल की ही तरह 15 गीगाबाइट का ‘स्टोरेज स्पेस’ मिलता है। माइक्रोसॉफ्ट की नीति आपकी निजता को सुरक्षित रखने की है। वह ईमेल संदेशों को ‘स्कैन’ नहीं करता, न ही उन्हें पढ़कर किसी तरह की ‘आॅटोमैटिक’ सेवाओं के लिए इस्तेमाल करता है। विज्ञापन दिखेंगे लेकिन वे ‘टारगेटेड’ नहीं होंगे, यानी कि उनका आपके ईमेल संदेशों के भीतर लिखी बातों या आपकी गतिविधियों से कोई संबंध नहीं होगा। आउटलुक में आप ‘रिच ईमेल’ भेज सकते हैं, यानी कि ऐसी ईमेल जो दिखने में ‘वर्ड डॉक्युमेंट्स’ जैसी हो। इसमें ‘टेक्स्ट’ को अलग-अलग आकार, फॉन्ट साइज, रंगों आदि में ‘फॉरमैट’ किया जा सकता है। फोटो व्यूअर, इमर्सिव रीडर (पढ़कर सुनाने वाली सुविधा), वनड्राइव या दूसरी क्लाउड स्टोरेज सेवाओं से कनेक्ट करने की सुविधा और एनक्रिप्शन इसे और उपयोगी बनाते हैं।

टूटानोटा:
यह जर्मनी से चलाई जाने वाली ईमेल सेवा है, जिसमें आपका पूरा मेलबॉक्स एनक्रिप्टेड है, यानी कि इसमें मौजूद सारा डेटा एनक्रिप्ट किया गया है। यहां पर फॉरवर्ड सीक्रेसी का समर्थन करने वाली तकनीक का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी हैकर को एक मेल संदेश के एनक्रिप्शन का तोड़ भी मिल जाए तो भी सिर्फ यही एक ईमेल संदेश उसके हाथ लगेगा, बाकी संदेशों पर वह तरीका काम नहीं करेगा। टूटानोटा न तो आपके संदेशों को पढ़ता है, न गतिविधियों पर नजर रखता है और न ही आपको ‘टारगेटेड’ विज्ञापन दिखाता है। इसके जरिए भेजे जाने वाले संदेशों में आपका आईपी एड्रेस शामिल नहीं होता इसलिए हैकर आपकी लोकेशन का भी पता नहीं लगा सकेंगे। जीमेल की तरह यहां पर भी ‘टू फैक्टर आॅथेंटिकेशन’ मौजूद है। मतलब यह कि लॉगिन करने के लिए पासवर्ड के साथ-साथ फोन पर आने वाले ‘वन टाइम पासवर्ड’ को इस्तेमाल करने की सुविधा। यहा ‘फ्री वर्जन’ में आपको सिर्फ एक जीबी ‘स्पेस’ मिलता है। पता है- tutanota.com

पोस्टियो:
शायद आपको पता हो कि यूरोप में कुछ महीनों पहले जीडीपीआर के नाम से बहुत कठोर निजता कानून बनाया गया था जो इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों पर लागू होता है। टूटानोटा की ही तरह पोस्टियो भी जीडीपीआर के नियमों का पालन करता है। संयोग से, यह भी एक जर्मन कंपनी का उत्पाद है। पोस्टियो आपके डेटा की सुरक्षा पक्की करने के लिए कई स्तर पर एनक्रिप्शन का प्रयोग करता है। आप इसका इस्तेमाल अपनी पहचान को पूरी तरह छिपाते हुए भी कर सकते हैं। टूटानोटा की ही तरह यह कंपनी भी आपके संदेशों से आईपी एड्रेस को अलग हटा देती है, ताकि कोई आपकी लोकेशन को भांप न सके। वह आपकी गतिविधियों का ब्योरा भी नहीं रखती, जैसे कि कई दूसरे ईमेल प्रोवाइडर रखते हैं। पर इसकी एक कमी है ‘स्पैम फोल्डर’ का न होना। अगर किसी ईमेल संदेश पर शक है तो वह सीधे ‘डिलीट’ कर दिया जाएगा या फिर आपको भेज दिया जाएगा। यहां ‘स्टोरेज स्पेस’ है-2 जीबी और ‘अटैचमेंट साइज’ की सीमा है 50 एमबी। हालांकि यह ‘पेड सेवा’ है लेकिन शुल्क बहुत कम है- एक यूरो प्रति माह। पता है- posteo.de/en/

स्टार्टमेल:
यह मेल सेवा निजता को अपना सबसे बड़ा लक्ष्य मानकर चलती है इसलिए यहां अकाउंट बनाकर आप उस तरफ से निश्चिंत हो सकते हैं। नीदरलैंड से संचालित यह सेवा स्टार्टपेज नामक सर्च इंजन के निर्माताओं ने शुरू की थी। यहां आपके डेटा को ब्राउजर की बजाए मेल सर्वर में एनक्रिप्ट किया जाता है जो निजता की पक्की गारंटी है। वजह? ब्राउजर आपके कंप्यूटर पर खोला जाता है इसलिए उसमें फिर भी कोई सेंध लगा सकता है, लेकिन सर्वर को हैक करके डेटा को चुरा लेना एक मुश्किल काम है। स्टार्टमेल कभी भी आपकी ईमेल को पढ़कर उसका किसी काम के लिए इस्तेमाल नहीं करता। यहां पर दस गीगाबाइट का ‘स्टोरेज स्पेस’ मिलता है। इसका ‘ट्रायल वर्जन’ भी उपलब्ध है और ‘पेड वर्जन’ भी। ‘अटैचमेंट साइज’ की सीमा 25 मेगाबाइट है। एक दिलचस्प ‘फीचर’ अस्थायी ‘ईमेल एड्रेस’ का है, जिसका प्रयोग करने के कुछ देर बाद वह ‘एक्सपायर’ या निष्क्रिय हो जाता है। जिन्हें अपनी निजता बचाते हुए मेल संदेश भेजने हों उनके लिए यह एक उपयोगी सुविधा है। पता है-startmail.com/en/

जोहो मेल:
यूरोप के जीडीपीआर निजता नियमों का पालन करने वाली जोहो मेल में ‘टू-फैक्टर आॅथेन्टिकेशन’, ‘फिल्टर’ और ‘एडवांस्ड सर्च’ जैसे ‘फीचर’ मौजूद हैं। जोहो मेल में सभी संदेशों को ‘एनक्रिप्ट’ किया जाता है, मेल सेवा प्रदाता उन संदेशों को पढ़ते नहीं हैं और न ही उनकी छानबीन करते हैं। उसका दावा है कि वह आपकी सूचनाओं को विज्ञापनदाताओं के साथ साझा नहीं करती। एक अहम सुविधा है यहां पर ‘कोलेबरेशन’ के ‘फीचर्स’ की मौजूदगी, यानी एक से अधिक लोग अगर साथ काम करना चाहें तो उनके लिए तकनीकी सुविधाएं। इसके फोरेवर फ्री (सदा नि:शुल्क) प्लान के तहत हर ‘यूजर’ को पाँच जीबी ‘स्पेस’ मिलता है और वह 25 मेगाबाइट तक का ‘अटैचमेंट’ भेज सकता है। पता है-zoho.com/mail/ (लेखक सुप्रसिद्ध तकनीक विशेषज्ञ हैं)

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