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भारत से मुगलों व अंग्रेजों का राज भले ही चला गया हो, लेकिन बहुसंख्यकों के आस्था केंद्रों का मान—मर्दन व उन्हें हथियाने के लिए षड्यंत्रों का क्रम अभी भी समाप्त नहीं हुआ है. मंदिरों की जमीनों को हथियाने के लिए षड्यंत्र लगातार जारी हैं। इसी क्रम में राजस्थान के हनुमान गढ़ के शिला माता मंदिर को लेकर भी षड्यंत्र रचे जा रहे हैं. इतिहासकारों के अनुसार मंदिर में स्थापित शिला महाराजा गंगासिंह के समय सरस्वती नदी की सहायक नदी घग्गर में बहकर आ गई थी. उसके चमत्कारों के प्रति श्रद्धा से महाराजा ने उसे यहां स्थापित करवा दिया. तबसे ही श्रद्धालु इस पर नमक व दूध चढ़ाकर शिला की पूजा करते आ रहे हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि शिला पर चढ़े नमक व दूध को त्वचा पर लगाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं. मंदिर की इस ख्याति के कारण चर्म रोग से पीड़ित मजहबी लोग भी यहां आने लगे और पिछले कुछ वर्षों में यह मंदिर इस्लामिक षड्यंत्र का शिकार बन गया. मंदिर का कर्ताधर्ता एक मुसलमान को बना दिया गया.
स्थानीय लोग बताते हैं कि मजहबी साजिश के अंतर्गत यहां पहले दिया जलाना बंद हुआ, फिर आरती और फिर लोगों को नमक व दूध चढ़ाने से भी रोका जाने लगा और एक दिन शिला पर हरी चादर डाल दी गई. इस तरह शिला माता को मजार का रूप दे दिया गया और शिला माता को शिला पीर या शीला पीर प्रचारित किया जाने लगा.
पिछले कुछ समय से हिन्दुओं को शुक्रवार के दिन पूजा पाठ करने से भी रोका जाने लगा. इस हेतु मंदिर में बैनर व पोस्टर तक लगा दिए गए. जिसका हिन्दू समाज ने विरोध किया. विहिप व बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और मंदिर में हिन्दू पुजारी रखने की मांग करते हुए पूर्ववत पूजा अर्चना चलते रहने की अपील की.
हनुमान गढ़ के राजेश बताते हैं मंदिर को मजार में बदलने के प्रयासों के बारे में पहले भी कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. इस बार ज्ञापन देने के बाद पूजा—अर्चना में किसी भी प्रकार का व्यवधान न पहुंचाए जाने के प्रशासन ने आदेश दिए हैं.
पीलीबंगा के नरेश बताते हैं कि दस वर्ष पहले वे अपनी मां को लेकर मंदिर आए थे, तब यहां दूध व नमक के साथ चूड़ियां भी चढ़ाई जाती थीं, लेकिन इस बार वे आए तो दृश्य ही अलग था. मंदिर के मुस्लिम पुजारी ने शिला खराब हो जाएगी कहते हुए उन्हें नमक मंदिर के कोने में तो दूध बाल्टी में डालने के निर्देश दिए.
हिन्दू मंदिरों के खिलाफ इस तरह के षड्यंत्र नए नहीं हैं. इसी साल जनवरी में तमिलनाडु के तिरुपत्तूर जिले के नटरमपल्ली तालुक के एलापल्ली गांव में अम्मन मंदिर की सभी दीवारों पर क्रिश्चियन क्रॉस बनाकर चर्च का रूप देने के प्रयास किए गए थे.
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