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प्रधानमंत्री की यात्रा से बौखलाए बांग्लादेश के कट्टरपंथी आतंकी संगठनों ने शेख हसीना की सरकार को गिराने के लिए बड़े पैमाने पर देश के कई शहरों में हिंसा करवाई। कट्टरपंथी आतंकी संगठन ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ की अगुआई में इन हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया। यह संगठन 2010 में बना है, जो परोक्ष रूप से प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी के लिए काम करता है। हिंसा के दौरान कट्टरपंथियों ने न सिर्फ रेलवे, पुलिस थानों सहित सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बल्कि हिंदू-परिवारों पर और मंदिरों पर भी हमले किए।
नरेंद्र मोदी की यात्रा से दो दिन पहले ही खुफिया विभाग ने देश में बड़े पैमाने पर हिंसा की चेतावनी दी थी। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम और विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे थे। इनके निशाने पर पुलिस, मीडिया और सरकारी प्रतिष्ठान थे।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी ने व्यापक हमलों के लिए लोगों में काफी पैसे बांटे थे। यह कट्टरपंथी संगठन इस प्रयास में था कि मोदी की यात्रा के दौरान हिंसा भड़का कर शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाकर उसे गिराया जा सके। हिंसा की शुरुआत ढाका के बैतूल मुकर्रम इलाके से हुई। जुमे की नमाज के बाद बैतूल मुकर्रम क्षेत्र में कट्टरपंथियों ने प्रदर्शन किया। इस उन्मादियों की पुलिस से झड़प भी हुई।
हालांकि सर्वाधिक मौत ब्राह्मणबरिया जिले में हुईं। चटगांव में भी हिंसा हुई, जहां हिफाजत-ए-इस्लाम का मुख्यालय है। वहां जिला मुख्यालय, नगर पालिका परिषद, केंद्रीय पुस्तकालय, नगरपालिका सभागार, भूमि कार्यालय और प्रेस क्लब समेत टीए रोड के दोनों तरफ स्थित अनेक सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई। ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ ने पहले से ही नरेंद्र मोदी के दौरे का विरोध करने की घोषणा कर रखी थी। उन्मादियों ने थाने में जमकर तोड़फोड़ की और पत्थरबाजी के बाद थाने को आग लगाने का भी प्रयास किया। सोशल मीडिया पर बांग्लादेश के काफी लोगों ने ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ को सत्ता का भूखा और मजहब का व्यापार करने वाला संगठन बताया है। कहा जा रहा है कि यह कट्टरपंथी संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहा है।
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