बांग्लादेश: मोदी के दौरे से बौखलाए कट्टरपंथी
July 18, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

बांग्लादेश: मोदी के दौरे से बौखलाए कट्टरपंथी

by WEB DESK
Apr 6, 2021, 01:24 pm IST
in विश्व
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

प्रमोद जोशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय यात्रा से बौखलाए बांग्लादेश के कट्टरपंथियों ने देश के कई शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसा की। ये कट्टरपंथी नहीं चाहते कि बांग्लादेश शांति और विकास के रास्ते पर चले और भारत से नजदीकी बढ़ाए। इसीलिए उन्होंने बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार को गिराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को बहाना बनाया।

प्रधानमंत्री का दो दिवसीय बांग्लादेश दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उनकी इस यात्रा के राजनीतिक, राजनयिक व सांस्कृतिक निहितार्थ हैं। बदलती वैश्विक परिस्थितियों में दक्षिण एशिया और भारत की भूमिका बदल रही है। प्रधानमंत्री की इस यात्रा का बहुत ज्यादा प्रतीकात्मक महत्व है। इसमें दो बातें महत्वपूर्ण हैं। पिछले एक साल से विदेश-यात्रा न करने वाले प्रधानमंत्री ने अपनी पहली विदेश-यात्रा के लिए बांग्लादेश को चुना। दूसरी तरफ, अपने देश की स्वर्ण जयंती और शेख मुजीबुर्रहमान के शताब्दी समारोह में बांग्लादेश ने नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया।

इन दोनों बातों के पीछे है दक्षिण एशिया में भारत का महत्व और बांग्लादेश के साथ हमारी साझा संस्कृति। बांग्लादेश का स्वतंत्रता दिवस 26 मार्च उस ‘पाकिस्तान-दिवस’ (23 मार्च) के ठीक तीन दिन बाद पड़ता है, जिसके साथ भारत के ही नहीं, बांग्लादेश के भी कड़वे अनुभव हैं। जिस तरह 1947 का विभाजन एक ऐतिहासिक अंतर्विरोध को व्यक्त करता है, उसी तरह 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति ‘टू नेशन थ्योरी’ के अंतर्विरोध को रेखांकित करती है। बांग्लादेश का ध्वज 23 मार्च, 1971 को ही फहरा दिया गया था, पर बंगबंधु मुजीबुर्रहमान ने स्वतंत्रता की घोषणा 26 मार्च की मध्यरात्रि में की। बांग्लादेश मुक्ति का यह संग्राम करीब नौ महीने तक चला और भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण के साथ युद्ध का समापन हुआ। बांग्लादेश की स्वतंत्रता पर भारत में वैसा ही जश्न मना था, जैसा कोई देश अपने स्वतंत्रता दिवस पर मनाता है।

सांस्कृतिक एकता
संविधान ने बांग्लादेश को पंथनिरपेक्ष देश घोषित किया है। हालांकि शेख मुजीब की हत्या के बाद संविधान में संशोधन कर उसे इस्लामिक देश बनाया गया, पर उच्चतम न्यायालय ने उस संशोधन को स्वीकार नहीं किया। इस देश का आधिकारिक मजहब इस्लाम है, पर व्यवस्था पंथनिरपेक्ष है। मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी वाले देशों में बांग्लादेश अपनी तरह का अलग देश है। नरेंद्र मोदी की यात्रा के पहले दिन मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ कुरान, श्रीमद्भगवद् गीता, त्रिपिटक व बाइबिल सहित पवित्र पुस्तकों के अनुवाचन से हुआ। इस समारोह में भारत की तरफ से मोदी ने शेख मुजीबुर्रहमान को मरणोपरांत दिए गए गांधी शांति पुरस्कार-2020 को उनकी पुत्रियों-शेख हसीना और रेहाना को प्रदान किया। बांग्लादेश ने रवींद्रनाथ ठाकुर के गीत ‘आमार शोनार बांग्ला’ को अपना राष्ट्रगान बनाया था। यह तथ्य दोनों देशों की सांस्कृतिक एकता को रेखांकित करता है। बांग्लादेश में लोक कलाओं की समृद्ध परंपरा रही है, जिसमें आध्यात्मिकता, रहस्यवाद व भक्ति शामिल हैं। 26 मार्च के कार्यक्रम के सांस्कृतिक खंड में प्रस्तुत संगीत, नृत्य एवं नाट्य प्रस्तुतियां इस बात की गवाह हैं। यह परंपरा समूचे बंगाल की है और भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति को व्यक्त करती है। इस देश ने परंपरागत संस्कृति को न केवल अपनाया, बल्कि उसे सजाया व संवारा भी है। यहां की स्त्रियों ने जिस तरह साड़ी के परिधान को सम्मान दिया है, वैसा भारत में भी कम दिखता है।

मंदिरों के दर्शन
यात्रा के दूसरे दिन 27 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी सबसे पहले दक्षिण-पश्चिमी सतखीरा स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक यशोरेश्वरी मंदिर पहुंचे और वहां पूजा की। इस दौरान उन्होंने मानव जाति को स्वस्थ रखने के लिए कोरोना-मुक्त विश्व का आशीर्वाद मांगा। साथ ही, वहां भारत सरकार की ओर से एक सामुदायिक भवन के निर्माण की घोषणा भी की। उन्होंने कहा, ‘‘आज मुझे मां काली के चरणों में आने का सौभाग्य मिला है। जब मैं 2015 में बांग्लादेश आया था, तो मुझे मां ढाकेश्वरी के चरणों में शीश झुकाने का अवसर मिला था।’’

इसके बाद प्रधानमंत्री ओराकंडी स्थित हरिचंद ठाकुर के मतुआ मंदिर में गए। यह पहला अवसर है, जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इन मंदिरों के दर्शन किए हैं। ओराकंडी मतुआ समुदाय के गुरु हरिचंद ठाकुर और गुरुचंद ठाकुर का जन्मस्थल है। इसकी स्थापना 1860 में एक सुधार आंदोलन के रूप में की गई थी। इस समुदाय के लोग अस्पृश्य माने जाते थे। हरिचंद ठाकुर ने इनमें चेतना जगाने का काम किया। मतुआ धर्म महासंघ समाज के दबे-कुचले तबके के उत्थान के लिए काम करता है। प्रधानमंत्री ने इस मंदिर में कहा, ‘‘ओराकंडी में भारत सरकार लड़कियों के माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड करेगी। यहां एक प्राथमिक विद्यालय भी खोला जाएगा। यह भारत के करोड़ों लोगों की तरफ से हरिचंद ठाकुर को श्रद्धांजलि है।’’

क्षेत्रीय सहयोग में बांग्लादेश की भूमिका
बांग्लादेश की दो कारणों से बड़ी भूमिका है। पाकिस्तान के विपरीत बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। दक्षिण एशिया में आतंकवाद को रोकने में बांग्लादेश ने जहां भारत से सहयोग किया है, वहीं पाकिस्तान की भूमिका नकारात्मक रही है। इस यात्रा के पीछे ज्यादा बड़ा कारण है चीन के प्रभाव को रोकना। अब यह कामना केवल भारत की नहीं है, बल्कि क्वाड में शामिल अमेरिका, जापान और आॅस्ट्रेलिया की भी है। भारत-बांग्लादेश बिमस्टेक (बे आॅफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक को-आॅपरेशन) के सदस्य हैं। दोनों देश बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, नेपाल) नामक एक और समूह के सदस्य भी हैं। दक्षेस के निष्क्रिय होने के बाद से इन संगठनों की भूमिका बढ़ गई है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सक्रिय भागीदारी और क्वाड देशों के समूह में शामिल होने के बाद बंगाल की खाड़ी एक तरफ रक्षा सहयोग का केंद्र बनेगी, दूसरी तरफ भारत इसके चारों तरफ के देशों बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, भूटान, नेपाल व श्रीलंका के विकास की धुरी बनेगा।
इस क्षेत्र में गैस के भंडार हैं, जिनके दोहन में भारत की भूमिका होगी। इसके अलावा बुनियादी ढांचा विकास, सड़क, पुल, नागरिक उड्डयन, बंदरगाहों और रेलवे के विकास में जापान जैसे देश के साथ मिलकर त्रिपक्षीय समझौतों की सम्भावनाएं बन रही हैं। भारत-बांग्लादेश सीमा 4,096 किलोमीटर लंबी है। दोनों देश 54 नदियों के पानी को साझा करते हैं। यही नहीं, बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। 2019 में दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।

सहयोगी-स्वर
अपनी आक्रामक व आर्थिक नीतियों के कारण चीन ने दक्षिण एशिया के सभी देशों में जगह बना ली है। इन देशों के हित भी उन्हें चीन से जोड़ते हैं। फिर भी कुछ बातें भारत के पक्ष में ही रहेंगी। मसलन कोरोना-वैक्सीन की कूटनीति में भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई है और बांग्लादेश को एक करोड़ से अधिक टीके उपलब्ध कराए हैं। 2014 में संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण के फैसले के बाद दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा विवाद निपट गया है। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का रास्ता बांग्लादेश और म्यांमार से होकर गुजरता है। भारत और जापान अब इस इलाके के देशों के साथ मिलकर त्रिपक्षीय समझौतों पर काम कर रहे हैं। ऐसे समझौतों में भारत की भूमिका स्थानीयता के कारण महत्वपूर्ण होगी, जबकि जापान की भूमिका तकनीकी व परियोजनाओं को कुशलता से लागू करने से जुड़ी होगी। हालांकि भारत-बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल विवाद अभी नहीं सुलझा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में ढाका दौरे के समय बांग्लादेश को आश्वस्त किया था कि इस विवाद को भी सुलझा लिया जाएगा। बांग्लादेश साल में दिसंबर से मार्च के दौरान तीस्ता नदी का 50 प्रतिशत पानी चाहता है। भारत को इस पर भी ध्यान देना होगा। इसके अलावा, बांग्लादेश में जो भारतीय परियोजनाएं चल रही हैं, उन्हें भी पटरी पर लाने की जरूरत है। भारत के सहयोग से बन रही बिजली परियोजनाएं धीमी गति से चल रही हैं। अखौरा-अगरतला रेल लिंक, आंतरिक जलमार्गों की ड्रैजिंग और भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन परियोजनाओं में सुस्ती है। इसके बाद अप्रैल 2017 में दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत दोनों देश परमाणु बिजली संयंत्र के लिए उपकरण, सामग्री की आपूर्ति और निर्माण कर सकते हैं। बांग्लादेश के पहले परमाणु बिजली घर के लिए भारत और रूस के साथ त्रिपक्षीय समझौता है। इस परियोजना के निर्माण-कार्यों में भी भारत की भागीदारी है।

चीनी विस्तार
बॉर्डर रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) कार्यक्रम के तहत चीन मध्य एशिया व दक्षिण पूर्व एशिया को चीन से जोड़ने वाले जमीनी और समुद्री मार्गों का विकास कर रहा है। सड़कों, बिजलीघर, बंदरगाह, रेल पटरियां, 5-जी नेटवर्क और फाइबर आॅप्टिक नेटवर्क बिछाने का काम चल रहा है। चीन की यह योजना उसे 139 देशों के साथ जोड़ेगी। बांग्लादेश भी इस परियोजना का भागीदार है। चीन बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में निवेश कर रहा है। 2016 की बांग्लादेश यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 24 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया था। बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी देश अब चीन है। चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने जुलाई 2019 में बांग्लादेश का दौरा किया और शेख हसीना से मुलाकात की। इस समय बांग्लादेश में करीब 10 अरब डॉलर के चीनी-निवेश से बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें विशेष आर्थिक क्षेत्र, सड़कें, बंदरगाह और बिजलीघर शामिल हैं।

पिछले साल चीनी बाजार को 97 प्रतिशत बांग्लादेशी उत्पादों के लिए खोला गया। इसके बाद बांग्लादेश की 8,256 वस्तुएं चीनी बाजारों में बगैर किसी रोक-टोक के प्रवेश कर गई हैं। इसके अलावा सिल्हट हवाई अड्डे के टर्मिनल का ठेका चीनी कम्पनी को मिला है। भारतीय कम्पनी एलएंडटी यह ठेका लेने में सफल नहीं हो पाई थी। इसके अलावा, ढाका शहर के पास चीन एक मेगा स्मार्ट सिटी का विकास कर रहा है। चीनी परियोजनाएं बहुत तेजी से लागू होती हैं, पर उनके समझौतों में दोष भी हैं। उनके मूल उपकरण के समझौते उदार शर्तों पर होते हैं, पर उनके कल-पुर्जों की शर्तें बदल जाती हैं।

page 21_1 H x
नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के ओराकंडी स्थित हरिचंद ठाकुर के मतुआ मंदिर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं

सामरिक सहयोग
बांग्लादेश के पास चीन में बनी मिंग श्रेणी की दो पनडुब्बियां हैं। उसकी तीनों सेनाओं के पास ज्यादातर रक्षा-उपकरण चीनी हैं। इनमें टैंक, फ्रिगेट, पनडुब्बियां और लड़ाकू विमान शामिल हैं। दोनों देशों के बीच 2002 में रक्षा सहयोग समझौता हुआ था, जो आज भी प्रभावी है। बांग्लादेश ने 2016 में जब चीन से दो पनडुब्बियां खरीदीं, तब भारत का माथा ठनका। उसे पनडुब्बी की जरूरत क्यों है? बताया गया कि म्यांमार के साथ उसके रिश्ते खराब हो रहे हैं। चीनी पनडुब्बियों के साथ चीनी सेना की गतिविधियां भी बढ़ेंगी। बहरहाल, इस इलाके में नौसैनिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। थाईलैंड भी चीनी पनडुब्बियां खरीदने जा रहा है। दिसंबर 2020 में भारत ने किलो श्रेणी की एक पनडुब्बी अपग्रेड करके म्यांमार को उपहार में दी है।
भारत ने भी अब सामरिक सहयोग की दिशा में सोचना शुरू किया है। 2022 में होने वाले बांग्लादेश के पहले एयरशो में भारत भी हिस्सा लेगा। यह एयरशो रक्षा उद्योग में बांग्लादेश की महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक होगा। इस साल बेंगलुरु के एयरोइंडिया-2021 के दौरान बांग्लादेश के वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल मसीहुज्जमां सर्निबात ने भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस पर उड़ान भरी। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने पिछले साल मार्च में कहा था कि भारत बांग्लादेश को किसी भी प्रकार का सैनिक साजो-सामान दे सकता है। बांग्लादेश की दिलचस्पी ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों में है। क्वाड समूह की दिलचस्पी बंगाल की खाड़ी में चीनी प्रभाव को रोकने में है। इसलिए बांग्लादेश को भी वैश्विक ध्रुवीकरण की दिशा दिखाई पड़ रही है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

प्रयागराज में कांवड़ यात्रा पर हमला : DJ बजाने को लेकर नमाजी आक्रोशित, लाठी-डंडे और तलवार से किया हमला

बांग्लादेश में कट्टरता चरम पर है

बांग्लादेश: गोपालगंज में हिंसा में मारे गए लोगों का बिना पोस्टमार्टम के अंतिम संस्कार

पिथौरागढ़ सावन मेले में बाहरी घुसपैठ : बिना सत्यापन के व्यापारियों की एंट्री पर स्थानियों ने जताई चिंता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies