जब इस तरह की घटनाएं एक—एक कर सामने आ रहीं हैं फिर यति नरसिंहानंद सरस्वती की बातें प्रासंगिक हो उठती हैं। जब मुसलमान मंदिर में पूजा करने नहीं आ रहा है तो फिर उसका मंदिर परिसर में आने का उद्देश्य क्या है
कर्नाटक के मंगलुरू में स्वामी कोरगज्जा को लेकर स्थानीय लोगों के मन असीम आस्था है। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। वे एक जागृत देवता हैं। पिछले कुछ समय से कोरगज्जा मंदिर में कई अभद्र घटनाएं एक के बाद एक करके हो रही थीं। संभव है कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाला कोई अपराधी पानी पीने का बहाना बनाकर भी स्वामी के मंदिर में दाखिल हो गया हो और उदार हिन्दू समाज ने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की तरह एहतियात भी न बरती हो। जिसका परिणाम यह हुआ कि एक दिन मंदिर के दानपात्र में कोई कंडोम रखकर चला गया। यह इसी वर्ष जनवरी की घटना है।
कोरगज्जा भगवान को लेकर उनमें आस्था रखने वालों का मानना है कि वे न्याय के लिए अपने भक्तों के बीच जाने जाते हैं। उनके न्यायालय में जल्दी से जल्दी न्याय होता है और दोषियों को वहां सजा जरूर मिलती है। मंदिर को लेकर ऐसी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिसमें स्वामी कोरगज्जा को लेकर कोई अपमानजनक विचार रखने वाला व्यक्ति वापस आया और उसने अपनी भूल के लिए माफी मांगी। स्वामी के श्रद्धालुओं के लिए अब यह कोई चमत्कार नहीं है लेकिन जब कंडोम वाली घटना घटी मानो स्वामी के श्रद्धालुओं पर कोई वज्रपात हो गया हो। जांच—पड़ताल के बाद भी जब वे दोषियों तक नहीं पहुंच पाए फिर उन्होंने स्वामी कोरगज्जा से ही प्रार्थना की कि स्वामी दोषियों को सजा दें। यह अपमान उन हजारों—लाखों का श्रद्धालुओं का भी था, जिनकी आस्था स्वामी पर है।
अब सारा मामला साफ हो चुका है। तीन मुसलमान युवकों ने मंदिर में दाखिल होकर ना सिर्फ दान पेटी में कंडोम डाला बल्कि वहां पेशाब भी किया। यह कोई एक बार नहीं हुआ, बल्कि कई बार हुआ। मंदिर की तरफ से इसकी शिकायत पुलिस को की गई लेकिन पुलिस भी दोषियों को तलाश नहीं पाई।
अचानक एक दिन अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफीक नाम के दो युवक मंदिर के मुख्य पुजारी के सामने गिड़गिड़ाने लगे। वे स्वामी कोरगज्जा से माफी मांगना चाहते थे। उन्हें अपने दोस्त नवाज की मौत के बाद अपनी भूल का एहसास हो गया था। नवाज मंदिर में पेशाब करने और कंडोम का पैकेट डालने वाली घटना में अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफिक के साथ शामिल था।
नवाज अपने अपराध के लिए स्वामी कोरगज्जा से क्षमा मांगने के लिए जीवित नहीं था। कंडोम डालने के बाद उसे खून की उल्टियां हुईं। उसका अंत बेहद दर्दनाक रहा। अपराध में उसके दोनो साथी रहीम और तौफिक के अनुसार— वह अपने घर की दीवारों पर सिर पटक—पटक कर खून की उल्टियां करते हुए मरा। मरते- मरते नवाज ने ही अपने दोस्तों को बताया कि स्वामी कोरगज्जा के दरबार में उनसे जाकर माफी मांग ले। स्वामी उनसे बहुत नाराज हैं।
नवाज की हालत देखने के बाद दोनों अपनी जान जाने के डर से घबरा गए और ईश्वर की शरण में जीवन की भीख मांगने लगे। मंदिर के पुजारी के सामने दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। पुलिस को अभी तक की जांच में दोनों आरोपियों ने बताया है कि उन्होंने तीन जगह और ऐसा किया था।
कोरगज्जा भगवान के मंदिर परिसर में नवाज, अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफीक ने जैसा व्यवहार किया, ऐसी घटना सिर्फ कर्नाटक में नहीं घटी। बल्कि देशभर में हो रहीं है। बुलंदशहर में दो साल पहले महादेव मंदिर में मोहम्मद इरशाद के शिवलिंग पर पेशाब करने की खबर सामने आई थी।
जब इस तरह की घटनाएं एक—एक कर सामने आ रहीं हैं फिर यति नरसिंहानंद सरस्वती की बातें प्रासंगिक हो उठती हैं। जब मुस्लिम मंदिर में पूजा करने नहीं आ रहा है। देवी की अर्चना करने नहीं आ रहा है फिर उसका मंदिर परिसर में आने का उद्देश्य क्या है? वह सिर्फ हिन्दू समाज की भावनाओं को आहत करने और मंदिर को अपवित्र करने के लिए ही दाखिल होना चाहता है। यदि वह पूजा में शामिल हो। देवी का प्रसाद ग्रहण करे। फिर किसी मंदिर को उनके प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों लगाना होगा?
इस्लाम के मौलवियों और जानकारों को अब इस्लाम सुधार पर विचार करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में कुरान को लेकर एक बहस प्रारम्भ हुई है। यदि वह किसी नतीजे पर पहुंचे तो निश्चित तौर पर मंदिरों में पानी पीने से एक मुसलमान युवक को किसी यति नरसिंहानंद सरस्वती को रोकना नहीं पड़ेगा। लेकिन जब तक मंदिरों के अंदर प्रवेश पाने के पीछे मुसलमानों की मंशा ऐसा घृणित काम करने की होगी तो कोई भी सनातनी मंदिर में मुसलमानों के प्रवेश पर सवाल उठाएगा।
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