महाविकास अघाड़ी, भ्रष्टाचार के काइंया खिलाड़ी!
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत महाराष्ट्र

महाविकास अघाड़ी, भ्रष्टाचार के काइंया खिलाड़ी!

by WEB DESK
Apr 1, 2021, 04:15 pm IST
in महाराष्ट्र
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राजेश प्रभु सालगांवकर, मुम्बई से

करीब 15 महीने पहले महाराष्ट्र में बड़े नाटकीय तरीके से बनी महा विकास अघाड़ी की गठबंधन सरकार के कुर्सी संभालते ही लगने लगा था कि यह सरकार ज्यादा लंबी नहीं चल पाएगी। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस, इन तीनों घटकों में वैचारिक मतभेदों की गहरी खाई है। उद्धव ठाकरे की हठधर्मिता पर बने इस गठजोड़ ने सत्ता में आते ही न सिर्फ कोरोना पर लापरवाही बरती बल्कि शासन को भ्रष्टाचार में आकंठ डुबो दिया। सचिन वाझे या परमबीर तो एक हल्की-सी झलक हैं, राज्य में पनपाई गई हिंसा में पगी घोटालेबाजी की

महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से देश हतप्रभ है। पिछले करीब 15 महीने में महाराष्ट्र एक डांवांडोल सरकार का शासन भोगता आ रहा है। पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार के शुरू किए हर विकास कार्य को वर्तमान गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रुकवा दिया है। चीनी वायरस कोरोना से उपजी महामारी के संदर्भ में भी उद्धव सरकार का नियोजन शून्य रहा है जिसके कारण राज्य पहले से ही बेहद संकट की स्थिति में बना हुआ है। आज देश में कोरोना पीड़ितों की कुल संख्या में अकेले महाराष्ट्र का स्थान 80 प्रतिशत है। राज्य में हिन्दू दमन के अनेक मामले हुए हैं। इन सब हालात के बीच उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोट से लदी कार और उससे शुरू हुए प्रकरण ने आज महाराष्ट्र सरकार के साथ ही राज्य के पुलिस बल पर अनेक सवालिया निशान लगाए हैं। आश्चर्य नहीं कि चारों ओर से उद्धव सरकार से नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की मांग हो रही है।

उद्धव सरकार के पतन का आरंभ!
कुछ हफ्ते पहले दुनिया के बड़े उद्योगपतियों में से एक रिलायन्स उद्योग समूह के मालिक मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित बहुमंजिला निवास एंटिलिया के सामने एक स्कोर्पियो कार मिली जिस में जिलेटीन विस्फोटक भरे थे। उसी समय विश्लेषकों ने संदेह व्यक्त किया था कि यह कहीं न कहीं फिरौती वसूली का मामला है। लेकिन मुंबई पुलिस के एक खेमे ने इसे आतंकवादी घटना करार दिया। केन्द्र सरकार की जागरुकता से देश की आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा बहुत हद तक चुस्त है। ऐसे में मुंबई में अंबानी के घर के सामने विस्फोटक भरी गाड़ी मिलना चौंकाने वाली घटना थी। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा में जोर-शोर से यह मुद्दा उठाया। घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचे मुंबई पुलिस में सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे पर संदेह हुआ। फडणवीस ने न केवल सदन में संबंधित कॉल रिकॉर्ड रखे, बल्कि कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी पेश किये। उन्होंने मांग की कि सचिन वाझे को तुरंत हिरासत मेंलिया जाए।
सचिन वाझे को मुख्यमंत्री ठाकरे का करीबी माना जाता रहा है। 2004 में एक युवा मुस्लिम डॉक्टर की हिरासत में मौत के मामले में वाझे पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कार्रवाई करते हुए उसे निलंबित कर दिया था। 2008 में वाझे पुलिस की नौकरी छोड़कर आधिकारिक रूप से शिवसेना में शामिल हो गया। वह अनेक वर्ष शिवसेना का प्रवक्ता रहा। 2014 में जब फडणवीस सरकार सत्ता में आयी, तब उद्धव ठाकरे ने सचिन वाझे को पुलिस की नौकरी में फिर से बहाल कराने के लिये फडणवीस पर दबाव बनाया, लेकिन उसे बहाल नहीं किया गया।
लेकिन जैसे ही उद्धव की अगुआई में महा विकास अघाड़ी की सरकार सत्ता में आई, वाझे की पुलिस की नौकरी बहाल करने की जोड़-तोड़ शुरू हो गई। परम बीर सिंह मुंबई के पुलिस आयुक्त बनाये गये, तब गृह मंत्रालय ने उन्हें वाझे को बहाल करने को कहा। जून 2020 में एक दिन आधी रात परम बीर ने एक बैठक बुलाकर एक तथाकथित समिति की बैठक कराई और दस मिनट के अंदर वाझे की बहाली स्वीकृत हो गई। गृह मंत्री अनिल देशमुख को यह जानकारी दे दी गई। महाराष्ट्र गृह मंत्रालय ने रातोंरात आदेश जारी कर दिया। वाझे को गुप्तचर विभाग का प्रमुख बनाया गया। इस विभाग को बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
फिर राज्य में एक बड़ा राजनीतिक चक्र चला, जिसमें सरकार पर आंच लाने वाले कई प्रकरण वाझे को सौंपे जाने लगे। इसीलिये जब मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक भरी कार मिली तो वहां सबसे पहले ‘जांच’ के लिए वाझे ही पहुंचा। लेकिन बाद में राष्टÑीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विस्तृत जांच में साफ होता गया कि वाझे का इस प्रकरण में स्पष्ट हाथ था और उसके साथ कई अन्य बड़े नाम इस सबसे जुड़े हैं। वाझे को हिरासत में लेकर जांच
आगे बढ़ी।

इस पूरे प्रकरण में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की भूमिका पर कई सवालिया निशान लगे हैं। वे पहले कांग्रेस के करीबी माने जाते थे। लेकिन उद्धव सरकार बनने के बाद उनके शिवसेना से करीबी रिश्ते बने। मुख्यमंत्री ने उन्हें मुंबई के पुलिस आयुक्त के महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया। ऐसे में एनआईए ने जब वाझे को पकड़ा, तब घटना की दिशा को देखते हुए शरद पवार ने परम बीर को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाने की मांग की। माना जाता है कि उसके बदले में शिवसेना ने गृह मंत्री अनिल देशमुख को हटाना चाहा। लेकिन सरकार गिरने के डर से ठाकरे देशमुख को सीधे हटा नहीं पाये। ऐसे में परम बीर का अनिल देशमुख मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करने वाला पत्र सामने आया। साफ दिखने लगा कि यह मामला अब शिवसेना बनाम एनसीपी की लड़ाई बन चुका है।
सचिन वाझे की हिरासत को शिवसेना ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। दूसरी ओर, राज्य में पहले के अनेक घोटालों में अपने अनेक नेताओं को जेल जाते देख चुकी राकांपा अपना पल्लू साफ दिखाने का लगातार प्रयास कर रही है।

सकते में शिवसेना
अब यह सिद्ध हो चुका है कि सचिन वाझे ने ही मुकेश अंबानी के घर के सामने विस्फोटक रखे थे। उसने जिन आलीशान गाड़ियों का प्रयोग किया एनआईए को उनमें से कई गाड़ियां तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर के कार्यालय परिसर से मिली हंै। जैसा ऊपर कहा गया है, वाझे और परमबीर, दोनों शिवसेना के करीबी माने जाते हैं। इसी कारण शिवसेना में डर का वातावरण है। परमबीर के पत्र के माध्यम से यह इशारा जाता है कि सिर्फ राकांपा ही उद्योगपतियों से वसूली कर रही थी। वहीं राकांपा शिवसेना पर सीधे वार करने से चूक रही है, क्यों कि गृह मंत्री अनिल देशमुख शरद पवार के बेहद करीबी माने जाते हंै। यह जगजाहिर है कि राकांपा में दो गुट हैं, एक शरद पवार का और दूसरा उनके ताकतवर भतीजे अजित पवार का। लेकिन राकांपा ने जनता को यह जताने में कोई कसर नहीं उठा रखी है कि सचिन वाझे और परमबीर, दोनों शिवसेना के करीबी हैं। ऐसे में शिवसेना राकांपा के जाल में फंसती दिख रही है। विश्लेषकों का मानना है कि इसी जाल से निकलने के लिये सीबीआई जांच की मांग करने वाले परमबीर के पत्र को हथियार बनाया गया है।
इस आपसी घमासान से सरकार में बैठीं दोनों पार्टियां अपनी विश्वसनीयता खो चुकी हैं। मुंबई पुलिस पर इस घटनाक्रम से बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा है। सचिन वाझे प्रकरण में एनआईए को पुख्ता प्रमाण मिले हंै। वहीं परम बीर ने भी महाराष्ट्र के गृह मंत्री के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अकाट्य प्रमाण दर्ज कराए हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव को इनमें से अनेक प्रकरणों की जानकारी थी। ऐसे में उद्धव ठाकरे, शिवसेना, राकांपा, शरद पवार और कांग्रेस अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। अब यह प्रकरण ठाकरे सरकार के गले की फांस बन गया है जो न उगलते बन रही है, न निगलते। इसका प्रमाण भी है, और वह यह कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे पत्रकारों से दूर भाग रहे हैं। पूरे घटनाक्रम पर इन दोनों की तरफ से एक भी बयान नहीं आया है। माना जा रहा है कि इन पुलिस अधिकारियों के अलावा ठाकरे परिवार के कई करीबी शिवसेना मंत्री भी इस कांड की बलि चढ़ सकते हैं। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पहले ही खुला आरोप लगाया है कि शिवसेना के मंत्री अपना विभाग छोड़ गृह विभाग के काम में दखल देते रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राकांपा अनिल देशमुख के पीछे लामबंद होती दिख रही है।

मुंह ताक रही कांग्रेस
इस सारे घटनाक्रम में इसी सरकार में शामिल कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है। पहले तो विश्लेषकों को आशंका थी कि अंबानी प्रकरण में कांग्रेस का हाथ हो सकता है, क्यों कि देशभर में चुनावों के लिए कांग्रेस को पैसा चाहिये, जिसकी पार्टी को कमी महसूस हो रही है, इसलिए वह देश के उद्योगपतियों पर लक्ष्य साध रही है। लेकिन अभी तक जितनी जानकारी सामने आई है उसमें कांग्रेस के ऊपर कोई भी सीधा आरोप नहीं दिखता। फिर भी सरकार में अनेक महत्वपूर्ण विभाग संभाल रही कांग्रेस जवाबदेही से नहीं बच सकती। इसीलिये 23 मार्च की शाम कांग्रेस के नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें चर्चा की गई कि इस घमासान से कांग्रेस को अलग कैसे दिखाया जाए। इन हालात में क्या, कैसे करना है, इसका निर्णय सोनिया गांधी पर छोड़ दिया गया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कांग्रेस खेमे से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी में एक गुट ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेने पर जोर डाल रहा है, तो दूसरा गुट कह रहा है कि जब तक कांग्रेस के दामन पर दाग नहीं लगता तब तक इस सरकार में बने रहना चाहिये। फिलहाल पार्टी की यही रणनीति दिख रही है।

देशमुख की सीबीआई जांच की मांग
जानकार कहते हैं कि परमबीर सिंह को मुम्बई का पुलिस आयुक्त बनाने के साथ ही उद्धव सरकार के पतन की घंटी बज गई थी। सचिन वाझे को निलंबित करते समय उसके कर्मों का ठीकरा परम बीर के सिर फोड़ते हुए उन्हें अपमानजनक तरीके से राज्य होम गार्ड्स का महानिदेशक बनाया गया। परम बीर यह अपमान सहन नहीं कर पाये। उन्होंने मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल को एक पत्र लिख कर साफ किया कि वाझे को गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के होटलों और रेस्टोरेंट वालों से हर महीने सौ करोड़ रुपये की उगाही करने का फरमान सुनाया था!
साफ है कि यह शिवसेना और राकांपा की आपसी कलह का नतीजा है। जब वाझे को एनआईए ने पकड़ा तो उसके कर्मों का ठीकरा शिवसेना ने राकांपा नेता अनिल देशमुख पर फोड़ना चाहा, हालांकि शरद पवार ने घटानाक्रम पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपनी पार्टी को इस प्रकरण से अलग दिखाने की कोशिश की थी। बताते हैं, वाझे शिवसेना प्रमुख मुख्यमंत्री उद्धव का नजदीकी है। ऐसे में परम बीर सिंह के पत्र को मुख्यमंत्री उद्धव की ओर से शरद पवार पर सीधा वार माना जा रहा है। परमबीर ने जो बातें प्रेस को बतायी हैं उनसे जाहिर है कि उन्होंने बहुत से प्रमाण एकत्रित कर लिये हंै। परम बीर ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके राज्य के गृह मंत्री की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप गंभीर हैं। अदालत ने सिंह को मुंबई उच्च न्यायालय में अपील करने को कहा है।

राज्य से उद्योगों का पलायन
महाराष्ट्र में उद्योग और उद्योगपति खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। इसका प्रमाण है कि गत एक वर्ष में कई बड़े उद्योग राज्य से पलायन कर चुके हैं। पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार द्वारा राज्य में स्थापित कराई गई एप्पल मोबाइल फोन बनाने वाली फोक्स्कॉन कंपनी तमिलनाडु जा चुकी है। पुणे में कंपनी का प्लांट बनकर तैयार था और 6-7 माह में उत्पादन शुरू होने वाला था। लेकिन बताया जा रहा है कि शिवसेना नेताओं से मिलने के बाद कंपनी ने महाराष्ट्र छोड़ने का निर्णय ले लिया।
इसी तरह इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी टेसला ने भी शिवसेना नेताओं से मिलने के बाद महाराष्ट्र में नहीं आने का निर्णय लिया। आटोमोबाइल क्षेत्र की कई कंपनियों ने अपनी इकाइयां महाराष्ट्र से बाहर ले जाने का निर्णय उद्धव सरकार के गत एक वर्ष के कार्यकाल में ही लिया है। वहीं मुंबई के सबसे बड़े हीरा व्यापार का भी अगले कुछ महीनों में महाराष्ट्र से बाहर जाना तय है।

वाझे और विवाद

2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फडणवीस को फोन करके उद्धव ने चाहा था कि वाझे को पुलिस विभाग में बहाल किया जाए, पर फडणवीस ने बात अनसुनी कर दी
2020 में उद्धव की सरकार बनने के फौरन बाद वाझे को परमबीर से बहाल कराया, गुप्तचर विभाग का प्रमुख बनाया
वाझे की साख फिर से बहाल करने हेतु रचा गया विस्फोटक से भरी गाड़ी अंबानी के घर के बाहर खड़ी करने का षड्यंत्र
बड़ी-बड़ी गाड़ियां कैसे चलाता रहा वाझे? चोरी की वे गाड़ियां पुलिस महकमे के मुख्यालय से पाई गइं!
वाझे द्वारा इस्तेमाल हो रही गाड़ी में 5 लाख रु. नकद मिले, वे किसके थे, कहां से आए?
वाझे के पास नोट गिनने की मशीन किस काम के लिए थी?
25 मार्च को वाझे के घर से हथियार बरामद हुए।

पहले खास, अब खटास
काले कारनामों की कलई खुलने के बाद शिवसेना भले परम बीर को भाजपा का नजदीकी बता रही हो, पर देश जानता है कि 2019 में कुर्सी पर बैठते ही परम बीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त उद्धव के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने ही बनाया था। गठबंधन सरकार की घटक कांग्रेस के ही कथित इशारे पर रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी पर कानूनी शिकंजा कसा गया और उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जब उन्होंने अपने कार्यक्रम में सोनिया गांधी का असली इतालवी नाम अंतानियो माइनो लिया था। मादाम चिढ़ गई थीं और शायद उनके कथित इशारे पर परम बीर ने ही अतिसक्रिय होकर अर्णब को पुलिस थानों के चक्कर लगाने पर मजबूर किया था। सुशांत सिंह की कथित आत्महत्या के मामले में भी रिपब्लिक टीवी की सक्रियता को कुचलने के लिए परम बीर ने राज्य सरकार के कथित संकेत पर एक पुराने मामले में अर्णब को पूछताछ के लिए कई बार थाने आने पर मजबूर किया था। परम बीर ने ही टीआरपी घोटाले पर पत्रकार वार्ताएं करके अर्णब पर घोटाला करने के आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ जांच कराई थी, लेकिन अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया है जो अर्णब को दोषी साबित करता हो।
अब, वाझे और अनिल देशमुख प्रकरण में बुरी तरह फंसने के बाद शिवसेना मुखिया परम बीर को ‘भाजपा के इशारे’ पर चलता बता रहे हैं। राजनीति में नेताओं को पाले बदलते तो देखा है, पर उद्धव को इतनी जल्दी अपना रंग बदलते देखकर जानकार हैरान हैं।

फडणवीस ने खोला भ्रष्टाचार का एक और राज
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुंबई में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल तथा तत्कालीन गुप्तचर अधिकारी रश्मि शुक्ला ने उद्धव सरकार के तहत चल रहे पुलिस विभाग में तबादले के कारोबार को छह माह पहले ही उजागर किया था। राज्य के पुलिस विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति तथा मनपसंद जगहों पर तबादलों के लिये कई दलाल कार्यरत हैं, जिसकी भनक लगते ही तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जायसवाल तथा गुप्तचर प्रमुख रश्मि शुक्ला ने बाकायदा गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव से अनुमति लेकर राज्य के कई फोन की निगरानी की थी। इस निगरानी से बहुत ही विस्फोटक जानकारी हाथ आने पर पुलिस विभाग में चल रहे तबादलों के कारोबार केबारे में इन दोनों अधिकारियों ने एक प्रपत्र मुख्यमंत्री उद्धव को सौंपा था। लेकिन नतीजा यह हुआ कि रश्मि शुक्ला का ही तबादला कर दिया गया। सुबोध जायसवाल परेशान होकर केंद्र की सेवा में चले गये। रश्मि शुक्ला भी बाद में केंद्र की सेवा मे चली गयीं। फडणवीस ने 23 मार्च को पत्रकार वार्ता में कहा कि उनके पास उक्त अधिकारियों द्वारा की गई निगरानी से प्राप्त 63. जीबी का डाटा उपलब्ध है, जिसमें अनेक महत्वपूर्ण नेताओं तथा बड़े अधिकारियों के नाम हैं। ये सब प्रमाण फडणवीस ने उसी दिन केंद्रीय गृहसचिव को सौंप दिये तथा इस भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। राकांपा के एक प्रभावशाली मंत्री नवाब मलिक ने एक प्रकार से फडणवीस के आरोपों की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि नेताओं के फोन टैप करने के कारण रश्मि शुक्ला का तबादला किया गया था।

चुप है कांग्रेस की तिकड़ी

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल कांग्रेस की तिकड़ी यानी सोनिया, राहुल और प्रियंका की तरफ से इस प्रकरण पर आपराधिक चुप्पी साध लेने का जानकार एक ही अर्थ निकाल रहे हैं। वे कह रहे हैं कि कांग्रेस दूसरों के कंधों पर सवार होकर सत्ता की मलाई तो डकारते रहना चाहती है, लेकिन गठबंधन के गलत कारनामों से दूरी बनाकर खुद को पाक-साफ दिखाती है। राहुल-प्रियंका यूं तो हर ऐसे-गैरे मुद्दे पर अपनी ‘अक्लमंदी’ भरी सलाह देते रहते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में इतने बड़े नाम डुबाने वाले प्रकरण पर उनके मुंह सिले हुए हैं! उधर राज्य के कांग्रेसी 10 जनपथ की ओर कातर निगाहों से देख रहे हैं कि वहां से ही कुछ तो इशारा मिले, लेकिन मादाम खामोशी ओढ़े हैं। दिशाहीन से बेचारे महाराष्ट्र के कांग्रेसी आपस में ही मिल-बैठकर एक-दूसरे को ढाढस बंधाते रहते हैं। इस चक्कर में वहां दो गुट बन गए हैं। एक कहता है, गठबंधन से बाहर निकल लेना चाहिए, तो दूसरा कहता है, जमे रहो, हलचल थमने के बाद फिर से मलाई काटेंगे।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

Operation sindoor

Operation Sindoor: 4 दिन में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, जबकि भारत ने तो अच्छे से शुरू भी नहीं किया

West Bengal Cab Driver Hanuman chalisa

कोलकाता: हनुमान चालीसा रील देखने पर हिंदू युवती को कैब ड्राइवर मोहममद इरफान ने दी हत्या की धमकी

ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान ने सैनिकों जैसा सम्मान दिया।

जवाब जरूरी था…

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

Operation sindoor

Operation Sindoor: 4 दिन में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, जबकि भारत ने तो अच्छे से शुरू भी नहीं किया

West Bengal Cab Driver Hanuman chalisa

कोलकाता: हनुमान चालीसा रील देखने पर हिंदू युवती को कैब ड्राइवर मोहममद इरफान ने दी हत्या की धमकी

ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान ने सैनिकों जैसा सम्मान दिया।

जवाब जरूरी था…

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’

Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश

international border पर पाकिस्तान की कायराना हरकत : गोलाबारी में BSF के 8 जवान घायल!

Fact Check

पाकिस्तान ने भारत में फैलाए ये फेक वीडियो

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies