संघ का कार्य समाज में आज अपरिचित नहीं है। देश-विदेश में संघ के बारे में जिज्ञासा है, प्रशंसा है, सहयोग और संघ के कार्य का स्वागत भी है, यह हम सबका प्रत्यक्ष अनुभव है। संघ को समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर सर्वसामान्य तक स्नेह, आत्मीयता से सहयोग का अनुभव भी है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण संघ का कार्य प्रभावित हुआ, नियमित शाखाएं नहीं लग सकीं। लेकिन कोरोना संकट के दौरान संघ कार्य का एक नया आयाम हमारे ध्यान में आया। घर में रहकर भी स्वयंसेवकत्व को जाग्रत, क्रियाशील रखने का कार्य स्वयंसेवकों ने किया। साथ ही सामाजिक दायित्व को भी स्वयंसेवकों ने निभाया। संकट के दौर में स्वयंसेवकों ने समाज के सहयोग से सबकी सेवा की। लाखों-करोड़ों की संख्या में लोगों तक दैनंदिन आवश्यकता और राहत सामग्री पहुंचाई।
महामारी का सामना करने के लिए समाज ने अपनी शक्ति का परिचय दिया। इस दौरान समस्त ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ ने अपना दायित्व निभाया, देश की भावी पीढ़ी उनके इस समर्पण से प्रेरणा लेगी। अगले तीन वर्ष में भारत में संघ कार्य को हर मंडल तक पहुंचाने की योजना है। 58,000 मंडलों तक संघ कार्य पहुंचाने को लेकर योजना बनी है। वर्तमान में परिवार प्रबोधन, गो सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। संघ का उद्देश्य भेदभाव रहित हिंदू समाज का निर्माण करना है।
आने वाले समय में संघ ग्राम विकास और कृषि क्षेत्र में विशेष दृष्टि रखते हुए कार्य का आरंभ करेगा। 13 अप्रैल से संघ भूमि सुपोषण अभियान शुरू करने वाला है। कृषि क्षेत्र के तज्ञ लोगों ने प्रयोग करके सिद्ध किया है कि इन प्रयोगों से किसानों की स्थिति बेहतर बनाई जा सकती है। इस क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं, संगठनों ने मिलकर कार्य करने का निर्णय लिया है। इसे सामाजिक अभियान के रूप में चलाने का निर्णय लिया है। भूमि-सुपोषण से अर्थ है कि मृदा में आवश्यक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए काम किया जाए।
दत्ता जी की संघ यात्रा
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सहसरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले को अगले तीन वर्ष के लिए सरकार्यवाह चुना गया। दत्ता जी के नाम से प्रसिद्ध श्री होसबाले का जन्म 1954 में कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले गांव में हुआ। बेंगलुरु विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ग्रहण की। वे 1968 में 13 वर्ष की आयु में संघ के स्वयंसेवक बने और 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े। 1978 में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के पश्चात् दत्ता जी पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने। विद्यार्थी परिषद में प्रांत, क्षेत्र अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करने के पश्चात् 1992 से 2003 तक 11 वर्ष तक अ. भा. संगठन महामंत्री रहे। 1975-77 के आपातकाल के दौरान आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई और लगभग 14 माह तक ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल में रहे।
2003 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बने। 2009 से सह-सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे। दत्ता जी को मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेजी, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत सहित अनेक भाषाओं का ज्ञान है। दत्ता जी कन्नड़ मासिक पत्रिका ‘असीमा’ के संस्थापक संपादक भी रहे हैं। भारत में पढ़ रहे विदेशी छात्रों के संगठन विश्व विद्यार्थी युवा संगठन के संस्थापक महामंत्री का दायित्व भी दत्ता जी ने संभाला है। उन्होंने अमेरिका, यूरोप सहित विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया है।
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