किसान आंदोलन की आड़ में पंजाब में अराजकता, भाजपा विधायक के कपड़े फाड़े
May 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

किसान आंदोलन की आड़ में पंजाब में अराजकता, भाजपा विधायक के कपड़े फाड़े

by WEB DESK
Mar 31, 2021, 04:18 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पंजाब में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। कथित किसान आंदोलन की आड़ में अपराधी तत्व न केवल भाजपा नेताओं को निशाना बना रहे हैं, बल्कि पार्टी के कार्यक्रमों में भी उपद्रव कर रहे हैं। इन अपराधियों-गुंडों की मदद से खालिस्तानी आतंकी संगठन अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं

राजनीतिक हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल सुर्खियों में रहता है, पर अब पंजाब भी इसमें शामिल हो गया है। पंजाब में ‘किसान आंदोलन’ की आड़ में इस तरह की हिंसा की घटनाएं धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। गत 27 मार्च को मुक्तसर जिले के मलोट कस्बे में कथित किसान आंदोलनकारियों ने अबोहर के भाजपा विधायक अरुण नारंग के साथ न केवल मारपीट की, बल्कि उनके कपड़े भी फाड़ डाले। अराजक तत्वों ने उनके साथ गाली-गलौज की और उनकी गाड़ी पर स्याही फेंक दी। पुलिस ने बड़ी मुश्किल के विधायक को प्रदर्शनकारी गुंडों से मुक्त करवाया और उन्हें एक दुकान में ले जाकर शटर बंद कर दिया। बाद में विधायक नारंग ने मीडिया को बताया कि प्रदर्शकारी उनकी हत्या कर सकते थे। उन पर इसी इरादे से हमला किया गया था। 
पंजाब में कथित किसान आंदोलन के नाम पर एकजुट हो रही असामाजिक शक्तियों ने मलोट में एक जन प्रतिनिधि के साथ जो किया, वह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी पंजाब में टांडा उड़मुड़ के पास भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला, पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद, विनोद कुमार ज्याणी और तरुण चुघ सहित कई नेताओं पर हमले हो चुके हैं। हाल ही में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनाव में तो भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार तक नहीं करने दिया गया। विधायक अरुण नारंग के साथ जो हुआ, उसे आंदोलनकारियों की हताशा और निराशा की चरम सीमा कहा जा सकता है। इसका कारण यह है कि देश के जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां भाजपा का विरोध करने गए किसान नेताओं को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। दूसरा, भारत बंद, चक्का जाम जैसे उनके हथकंडे पंजाब और हरियाणा को छोड़कर देश के दूसरे हिस्सों में पूरी तरह बेअसर रहे हैं। इन असफलताओं ने आंदोलनकारियों की हताशा को बढ़ाया, जिसका परिणाम मलोट कांड के रूप में सामने आया। भविष्य में पंजाब में ऐसी और भी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं, क्योंकि भाजपा पर दबाव डालने के लिए राज्य के लगभग सभी राजनीतिक दल एक ही नीति पर काम कर रहे हैं। अकाली दल (बादल), आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, वामपंथियों सहित अन्य दल तीनों कृषि कानूनों के के बहाने प्रदेश की राजनीति में हावी होने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए इन दलों ने पूरी तरह से ‘किसान आंदोलन’ का राजनीतिकरण कर दिया है।
लोकतंत्र की मर्यादा के अनुसार, अगर किसान संगठनों व विपक्षी दलों को कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है तो भाजपा एवं इन कानूनों के समर्थकों को भी अपनी बात रखने का अधिकार है। लोकतंत्र की सफलता इसी बात में है कि पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी बात सार्वजनिक रूप से रख सकते हैं। कृषि कानून देश की संसद द्वारा पारित किए गए हैं। इसलिए सरकार के पारित किसी भी कानून का विरोध लोकतांत्रिक ढंग से ही हो सकता है। यदि इससे असहमति है तो न्यायपालिका में इस कानून को चुनौती दी जा सकती है। किसी को भी कानून हाथ में लेने का अधिकार अधिकार नहीं है। मलोट में जो हुआ, उसे अलोकतांत्रिक और अशोभनीय ही कहा जाएगा।
‘किसान आंदोलन’ की आड़ में राज्य में नक्सली और खालिस्तानी गठजोड़ सिर उठा रहा है और सामयिक लाभ के लिए इसे कांग्रेस का मूक समर्थन मिल रहा है। इसी कारण राज्य में राजनीतिक हिंसा बढ़ रही है। जब राज्य में भाजपा के नेता, विधायक ही सुरक्षित नहीं हैं, तो पार्टी के साधारण कार्यकर्ताओं की स्थिति क्या होगी, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। भाजपा के हर छोटे-बड़े कार्यक्रमों में कथित किसान प्रदर्शनकारियों के रूप में गुंडा तत्वों का घुस जाना, तोडफोड़ और मारपीट करना सामान्य बात होता जा रहा है। दुखद बात यह है कि इन घटनाओं के लिए राज्य के विपक्षी दल भाजपाइयों को ही जिम्मेवार ठहराते हैं।
किसानों के नाम पर गुंडा तत्वों ने राज्य के उद्योगपतियों व व्यवसायियों को आतंकित करने के लिए तोड़फोड़ की। उन्होंने एक ही कंपनी के 1600 से अधिक मोबाइल टावर को निशाना बनाया। आलम यह है कि पुलिस मूक दर्शक बनी रही। उसने बाद में खानापूर्ति के लिए कार्रवाई की। मलोट प्रकरण में पुलिस की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कथित किसानों के उत्पात की दर्जनों घटनाओं के बावजूद किसी भी मामले में अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। यहां तक कि दिल्ली के लालकिले पर खालिस्तानी झंडा फहराने का मुख्य आरोपी गैंगस्टर लक्खा सिधाना भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के पैतृक गांव महिराज में किसानों की रैली को संबोधित करता है और पुलिस उसे देखती रहती है।
पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में केवल यही घटनाएं चिंता पैदा नहीं करतीं, बल्कि यहां गैंगवार की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इसका कारण यह है कि इन्हें राजनीतिक प्रश्रय मिलता है। हत्या जैसे संगीन अपराध में फंसे उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को सर्वोच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। इन्हीं गुंडा तत्वों के चलते खालिस्तानी आतंकवाद के संचालकों ने भी अपनी रणनीति बदली है। अब वे आतंकियों की भर्ती करने की बजाय इन्हीं गुंडों को सुपारी देकर अपने विरोधियों की हत्याएं करवा रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को यह समझना चाहिए कि भस्मासुरों को पालना न तो राज्य के हित में है और न ही उनके हित में

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तान उच्चायोग का एक अधिकारी भारत से निष्कासित, ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित, भारतीय सेना की जानकारी लीक करने का आरोप

मप्र-महाराष्‍ट्र सरकार की पहल : देश को मिलेगा 5 ज्योतिर्लिंगों का सर्किट, श्रद्धालु एक साथ कर पाएंगे सभी जगह दर्शन

भाजपा

असम पंचायत चुनाव में भाजपा की सुनामी में बहे विपक्षी दल

Muslim Women forced By Maulana to give tripple talaq

उत्तराखंड : मुस्लिम महिलाओं को हज कमेटी में पहली बार मिला प्रतिनिधित्त्व, सीएम ने बताया- महिला सशक्तिकरण का कदम

वाराणसी में संदिग्ध रोहिंग्या : बांग्लादेशियों सत्यापन के लिए बंगाल जाएंगी जांच टीमें

राहुल गांधी

भगवान राम पर विवादित टिप्पणी, राहुल गांधी के खिलाफ MP–MLA कोर्ट में परिवाद दाखिल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान उच्चायोग का एक अधिकारी भारत से निष्कासित, ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित, भारतीय सेना की जानकारी लीक करने का आरोप

मप्र-महाराष्‍ट्र सरकार की पहल : देश को मिलेगा 5 ज्योतिर्लिंगों का सर्किट, श्रद्धालु एक साथ कर पाएंगे सभी जगह दर्शन

भाजपा

असम पंचायत चुनाव में भाजपा की सुनामी में बहे विपक्षी दल

Muslim Women forced By Maulana to give tripple talaq

उत्तराखंड : मुस्लिम महिलाओं को हज कमेटी में पहली बार मिला प्रतिनिधित्त्व, सीएम ने बताया- महिला सशक्तिकरण का कदम

वाराणसी में संदिग्ध रोहिंग्या : बांग्लादेशियों सत्यापन के लिए बंगाल जाएंगी जांच टीमें

राहुल गांधी

भगवान राम पर विवादित टिप्पणी, राहुल गांधी के खिलाफ MP–MLA कोर्ट में परिवाद दाखिल

बांग्लादेश में आवामी लीग पर प्रतिबंध, भारत ने जताई चिंता

कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं : भारत

मोतिहारी में NIA की बड़ी कार्रवाई : 10 लाख का इनामी खालिस्तानी आतंकी कश्मीर सिंह गिरफ्तार, नेपाल से चला रहा था नेटवर्क

अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा ‘आयुर्वेद दिवस’, आयुष मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies