पंजाब सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गया। मुख्तार को यूपी की जेल में भेजा जाएगा। मुख्तार ने बीमारी का बहाना बनाया. पंजाब सरकार ने भी उसका खूब जमकर साथ दिया.
मोहाली के जिस मुकदमे में पंजाब पुलिस मुख्तार को पंजाब ले गई थी. उस मुकदमे में दो वर्ष बीत जाने के बाद भी पंजाब पुलिस ने चार्जशीट नहीं दायर की. चार्जशीट ना दाखिल होने की स्थिति में मुख्तार ने जमानत याचिका नहीं दाखिल की. मतलब साफ है कि पंजाब सरकार, मुख्तार को अपने यहां जेल में निरुद्ध रखना चाहती थी और मुख़्तार पंजाब की जेल में बना रहना चाहता था मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब मुख्तार को यूपी आना ही होगा. पंजाब सरकार ने मुख्तार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ा मगर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार का पक्ष खारिज कर दिया. पंजाब के ऐसे मुख्यमंत्री जो कभी आर्मी में प्लाटून कमांडर थे. देश की जनता को उनसे ऐसी उम्मीद न थी.
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृज लाल ने ट्वीट किया है कि “माननीय सुप्रीम कोर्ट से मुख़्तार अंसारी को पंजाब जेल से उत्तर प्रदेश की जेल में लाने का रास्ता साफ़ हो गया. मैंने साढ़े सैंतीस साल पुलिस सेवा में किसी राज्य सरकार की ऐसी बेशर्मी नहीं देखी, जो पंजाब की कांग्रेस सरकार ने किया है.” अवकाश प्राप्त पुलिस अधिकारी बृज लाल ने यह भी लिखा है कि “गजब कैप्टन साहब ! पंजाब के अपराधियों की ट्रेनिंग के लिए आप ने माफिया मुख़्तार को इंपोर्ट किया. एक बटालियन तो उसने आपके के लिए ट्रेंड कर ही दिया होगा. फ़ौज में भी आप प्लाटून कमांडर थे.” सोशल मीडिया और अन्य स्थानों पर लोग पंजाब के मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. मुख्यमंत्री के पद पर बैठे कैप्टन अमरिंदर, आर्मी में प्लाटून कमांडर रह चुके हैं. एक पूर्व सैनिक की गरिमा का ध्यान न रखते हुए कैप्टन अमरिंदर ने उत्तर प्रदेश के माफिया को अपने यहां सुनियोजित ढंग से बुलाया और न्यायिक प्रक्रिया में उलझा कर उसे दो वर्ष तक अपने यहां शरण दी. कांग्रेस सरकार की हर तरफ आलोचना हो रही है.
कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश में सक्रियता दिखाने का प्रयास कर रही हैं मगर जब कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने प्रियंका गांधी को पत्र लिखा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. अलका राय ने लिखा था कि “ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से यूपी लाने के लिए याचिका दायर की. नोटिस लेकर गाजीपुर पुलिस गई थी लेकिन वहां के अधिकारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया. मैं, प्रियंका गांधी से निवेदन कर रही हूं कि ऐसे अपराधी को बचाने की कोशिश न करें. उसे वहां से भेजा जाए, ताकि न्यायालय में लंबित मुकदमे में न्याय मिल सके. आप भी महिला हैं और मुझे विश्वास है कि वह मेरी भावनाओं को समझेंगीं.”
कुछ समय बाद अलका राय ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को दोबारा भी पत्र लिखा था. उन्होंने पत्र में लिखा कि “ पंजाब सरकार मुख्तार अंसारी को बचा रही है और राजस्थान सरकार, मुख्तार के पुत्र को राज्य अतिथि बना रही है. महिला होते हुए मुझे ये उम्मीद थी कि आप मेरा दर्द समझेंगी. आप आए दिन अपराध और अपराधियों के खिलाफ तमाम दावें करती हैं, लेकिन इंसाफ मांग रही मेरे जैसी अनेकों पीड़िताओं के एक भी पत्र का जवाब देना आपने उचित नहीं समझा और ना ही हमें इंसाफ दिलाने की कोशिश की.”
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और सुक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं कि “ देश के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा उदाहरण मिले जिसमें किसी राजनीतिक दल की एक माफिया के प्रति इस कदर सहानुभूति उमड़ी हो कि उसके पैरोकारी में वह सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाए. पूरा समाज जानता है कि मुख्तार क्या है? कितने लोग उसके जुल्म और ज्यादती के शिकार हुए हैं? मेरा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से सवाल है कि इस सहानुभूति की वजह क्या है? उन लोगों के बारे में उनका क्या ख्याल है जिनका घर-परिवार मुख्तार के कारण उजड़ गया? मैं ही नहीं पूरा देश और समाज यह जानना चाहता है. मुख्तार की पैरवी करते हुए क्या कभी कांग्रेस ने इनके बारे में सोचा? यकीनन नहीं सोचा होगा. कांग्रेस की पूरी राजनीति की बुनियाद ही नफा-नुकसान पर आधारित है. मुख्तार के बहाने उनकी नजर वर्ग विशेष के वोट पर है, पर उनके ये मंसूबे पूरे होने से रहे. योगी सरकार अलग तरह की सरकार है. वह अपराधियों और माफियाओं को सत्ता के संरक्षण के रूप में खाद-पानी नहीं देती. उनका मान मर्दन करती है और करती रहेगी.”
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ए.के. जैन का कहना है कि “स्पष्ट है कि राजनीतिक संरक्षण पंजाब में है जिस कारण मुख्तार को शरण दी गई. यूपी में सीएम योगी के निर्देश पर यूपी पुलिस की ओर से जो अभियान माफियाओं के खिलाफ चलाया जा रहा है, उससे डरकर वह वहां से नहीं आना चाहता है. यह खुशी का विषय है कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया है. ऐसे जेल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो सक्षम न्यायालय के आदेशों की स्पष्ट रूप से अवहेलना कर रहे हैं.”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “ उत्तर प्रदेश में भय,आतंक फैलाने वालों की कोई जगह नहीं है, ये वहीं प्रदेश है जहां 2017 से पहले गुंडों, मफियाओं और अपराधियों का आतंक रहता था लेकिन आज वही अपराधी, माफिया गले मे तख्ती लटका कर माफी मांग रहे हैं. उन पर हो रही कार्रवाइयों को लेकर उनके रहनुमाओं को अब परेशानी हो रही है. उनको छटपटाहट हो रही है. उनके गुर्गों पर शासन का बुलडोजर चल रहा है.”
ये हैं मुख़्तार के संगीन अपराधों की फेहरिस्त
1- मुख्तार के खिलाफ जनपद मऊ के दक्षिण टोला थाने में दोहरे हत्याकांड का मुकदमा दर्ज हुआ था. यह मुकदमा अभी भी विचाराधीन है. जनपद मऊ में वर्ष 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह की एके-47 से हत्या हुई थी. इस मुकदमे के गवाह राम सिंह मौर्य और गनर सतीश की भी बाद में हत्या कर दी गई थी.
2-हत्या का एक और मुकदमा वाराणसी जनपद का है. इस मामले में चेतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी.
3- हत्या का एक मुकदमा आजमगढ़ जनपद का है. इस मामले में एफआईआर आजमगढ़ के तरवा थाने में दर्ज हुई थी.
4- मुख्तार के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में आईपीसी की धारा 307 और 120 B के तहत दर्ज हुआ था.
5- मुख्तार के खिलाफ गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में फर्जी शस्त्र लाइसेंस का मुकदमा दर्ज हुआ था.
6- वाराणसी के भेलूपुर थाने में जान से मारने की धमकी का मुकदमा मुख्तार के ख़िलाफ़ दर्ज था.
8- मुख्तार के खिलाफ गाज़ीपुर के करांडा थाने से गैंगस्टर अधिनियम का मुकदमा विचाराधीन है.
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